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धार्मिक

वो मंदिर जहां शिवलिंग की जगह होती है बरगद के पेड़ की पूजा, जानें क्या है कहानी

भारत के तमिलनाडु राज्य के तंजावुर जिले में एक मंदिर है, जो साल भर बंद रहता है और केवल कार्तिक माह में सोमवार को ही खुलता है. यह मंदिर बोडू अवुदैयार मंदिर है जो अपनी अनोखी परंपराओं और रहस्यमय मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर में भगवान शिव का एक रूप प्रकट हुआ और तब से यह स्थान पूजा का प्रमुख केंद्र बन गया है.

हम अक्सर शिव मंदिरों या शिवालयों में शिवलिंग की पूजा करते हैं. लेकिन तमिलनाडु के तंजावुर जिले में स्थित बोडू अवुदैयार मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग के रूप में पूजा करने के बजाय, वहां स्थित एक बड़े बरगद के पेड़ की भगवान शिव के रूप में पूजा की जाती है. वहां के लोग इस बरगद के पेड़ को भगवान शिव का अवतार मानते हैं और श्रद्धापूर्वक इसकी पूजा करते हैं. वहीं, पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में बरगद के पत्ते और पवित्र जल चढ़ाया जाता है.

मंदिर के नाम के पीछे रोचक कहानी

तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित इस मंदिर का नाम बोडू अवुदैयार मंदिर कैसे पड़ा, इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. किंवदंतियों के अनुसार, दो महान ऋषि – वंगगोबर और महागोबर – गहन ध्यान में थे और चर्चा कर रहे थे कि ईश्वर तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका क्या है: गृहस्थ जीवन या संन्यास? तब भगवान शिव स्वयं श्वेत कपास के वृक्ष के नीचे प्रकट हुए और ऋषियों को संदेश दिया कि सच्चे सिद्धांतों का पालन करने वाला व्यक्ति न तो किसी से श्रेष्ठ है और न ही किसी से कम. इसी कारण इस मंदिर के देवता को ‘पोट्टू अवुदैयार’ और ‘मथ्यपुरीश्वर’ भी कहा जाता है.

इस दिन खोले जाते हैं मंदिर के पट

यह मंदिर पूरे वर्ष बंद रहता है तथा केवल कार्तिक माह के सोमवार को ही इस मंदिर के दरवाजे श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव अपने अनुयायियों के साथ इस मंदिर में वेल्लालल वृक्ष, यानी बरगद के पेड़ के नीचे आए थे और बाद में उसी वृक्ष में विलीन हो गए थे. इसी कारण से हर साल मध्य रात्रि में मंदिर के कपाट खोले जाते हैं और विशेष पूजा की जाती है. अन्य दिनों में यह मंदिर पूर्णतः बंद रहता है.

मंदिर में होता है अनोखा दान

हर साल कार्तिक माह के आखिरी सोमवार को हजारों भक्त शिव शंकर केदर्शन करनेयहां आते हैं और भगवान शिव को विभिन्न वस्तुएं अर्पित करते हैं. भक्तगण भगवान शिव को प्रसाद के रूप में सोना, चांदी, पीतल, पैसे के साथ-साथ चावल, दाल, उड़द, मसूर, तिल, नारियल, आम, इमली, मिर्च और सब्जियां चढ़ाते हैं. इसके साथ ही, यहाँ कुछ लोग भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बकरे और मुर्गे भी चढ़ाते हैं. उनका मानना ​​है कि इस तरह भगवान शिव का आशीर्वाद उनके सभी भक्तों पर रहता है और उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.

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