ब्रेकिंग
AIMIM का बिहार में बढ़ता दखल! विधानसभा चुनाव के लिए जारी की एक और लिस्ट, अब तक उतारे गए इतने उम्मीदव... मोहन भागवत का बड़ा बयान: 'दुनिया विनाश की तरफ जा रही है', बोले- 'मगर समाधान का रास्ता सिर्फ हमारे पा... कर्तव्य पथ पर दिखा अलौकिक दृश्य! दीपों की रोशनी से जगमग हुआ पूरा इलाका, CM रेखा गुप्ता बोलीं- 'यह आस... JNU में छात्रों पर लाठीचार्ज? प्रदर्शन के बाद अध्यक्ष समेत 6 छात्रों के खिलाफ FIR, लगे हाथापाई और अभ... लापरवाही की हद! नसबंदी कराने आई 4 बच्चों की मां को डॉक्टर ने लगाया इंजेक्शन, कुछ ही देर में हो गई मौ... निकाह के 48 घंटे बाद ही मौत का रहस्य! सऊदी से लौटे युवक की लटकी लाश मिली, परिजनों का सीधा आरोप- 'यह ... साध्वी प्रज्ञा के विवादित बोल: लव जिहाद पर भड़कीं, बोलीं- 'बेटी को समझाओ, न माने तो टांगें तोड़कर घर... दिवाली पर किसानों की हुई 'धनवर्षा'! CM मोहन यादव ने बटन दबाकर ट्रांसफर किए ₹265 करोड़ रुपये, बंपर सौ... नॉनवेज बिरयानी पर खून-खराबा! ऑर्डर में गलती होने पर रेस्टोरेंट मालिक को मारी गोली, मौके पर मौत से हड... विवादित बोल पर पलटे गिरिराज सिंह? 'नमक हराम' बयान पर सफाई में बोले- 'जो सरकार का उपकार नहीं मानते, म...
देश

असम में अब नहीं मिलेगा मुस्लिम विधायकों को नमाज ब्रेक… 90 वर्षों से चली आ रही परंपरा खत्म

असम की हिमंता सरकार ने विधानसभा में ‘नमाज के लिए ब्रेक’ की दशकों पुरानी परंपरा को खत्म कर दिया गया है. हालांकि ये फैसला पिछले साल अगस्त महीने में लिया गया था, लेकिन लागू इसे बज सत्र के दौरान किया गया है. असम सरकार के इस फैसले के बाद भारी विरोध भी देखने को मिल रहा है.

एआईयूडीएफ के विधायक रफीकुल इस्लाम ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह संख्या बल के आधार पर थोपा गया निर्णय है. उन्होंने कहा कि विधानसभा में करीब 30 मुस्लिम विधायक हैं. हमने इस कदम के खिलाफ अपने विचार व्यक्त किए थे, लेकिन उनके (BJP) पास संख्या है और वे उसी के आधार पर इसे थोप रहे हैं.

अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी ने संविधान को देखते हुए प्रस्ताव दिया था कि असम विधानसभा को अन्य दिनों की तरह शुक्रवार को भी अपनी कार्यवाही का संचालन किया जाना चाहिए, इस नियम को कमेटी के सामने रखा गया था. जिसे कमेटी ने सर्वसम्मति से पास कर दिया.

क्या था नियम?

असम विधानसभा में लागू इस परंपरा के तहत मुस्लिम विधायकों को जुमे की ‘नमाज’ अदा करने के लिए दो घंटे का ब्रेक दिया जाता था. यानी इस दौरान सदन की कार्यवाही नहीं होती थी. विपक्ष ने सदन के इस फैसले पर सख्त ऐतराज़ जताते हुए इस बहुसंख्यकों की मनमानी बताया है.

क्या बोले सीएम हिमंता बिस्वा सरमा?

विधानसभा के इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह परंपरा मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला की तरफ से 1937 में शुरू की गई थी, और इस प्रावधान को बंद करने का फैसला “उत्पादकता को प्राथमिकता देता है.

इसके जवाब में स्पीकर बिस्वजीत दैमारी ने कहा कि संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के तहत ये कदम उठाया गया है. बाकी दिनों की तरह शुक्रवार को भी बिना किसी नमाज़ ब्रेक के सदन चलेगा.

Related Articles

Back to top button