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किसी भ्रम में न रहे पाकिस्तान…बातचीत का वक्त खत्म, पहलगाम हमले पर भड़के फारूक अब्दुल्ला

पाकिस्तान के साथ बातचीत के प्रबल समर्थक रहे नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार को बड़ा ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा कि भारत पहलगाम आतंकी हमले के लिए पड़ोसी देश को मुंहतोड़ जवाब देगा. इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को इस भ्रम से उबरना चाहिए कि आतंकवाद से जम्मू-कश्मीर उसका हिस्सा बन जाएगा.

पूर्व मुख्यमंत्री ने यहां जम्मू-कश्मीर विधानसभा परिसर के बाहर कहा कि मैंने हमेशा बातचीत का समर्थन किया है और (पाकिस्तान के साथ) बातचीत की इच्छा रखता हूं, लेकिन हम आतंकवाद पीड़ितों के परिवारों से क्या कहेंगे? क्या यह न्याय होगा?

‘मैं बातचीत का पक्षधर था’

फारूक अब्दुल्ला से पूछा गया था कि कुछ लोग कह रहे हैं कि पाकिस्तान के साथ युद्ध के बजाय बातचीत के जरिए मुद्दों को सुलझाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत 2019 के बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक की तरह नहीं, बल्कि ऐसी प्रतिक्रिया चाहता है ताकि जम्मू-कश्मीर की धरती पर ऐसा कुछ फिर कभी न हो.

पाकिस्तान ने की मानवता की हत्या

उन्होंने कहा कि हम आतंकी हमले में लोगों की कीमती जान जाने से बहुत दुखी हैं. यह अफसोस की बात है कि पाकिस्तान अब भी यह नहीं समझ पाया है कि उसने मानवता की हत्या की है. अगर उन्हें लगता है कि हम उनका साथ देंगे, तो उन्हें इस भ्रम से बाहर निकलने की जरूरत है.

अब हिंसा बर्दाश्त नहीं करेंगे: सज्जाद लोन

पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने सोमवार को कहा कि पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर हुए बर्बर हमले ने कश्मीर के लोगों को जगा दिया है और अब वे हिंसा बर्दाश्त नहीं करेंगे. 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए जम्मू-कश्मीर विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव पर लोन ने कहा कि लोगों को दंडात्मक कार्रवाई करके पीछे धकेलने के बजाय सकारात्मक रूप से साथ लिया जाना चाहिए.

एक पीढ़ी को उखाड़ फेंकने की कोशिश

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में लोग पर्यटन क्षेत्र से अपनी आजीविका कमा रहे हैं और यह नृशंस आतंकी हमला एक पीढ़ी को उखाड़ फेंकने का सीधा प्रयास है.उन्होंने कहा कि हम अपने देश के आभारी हैं, जो 35 साल बाद हमारे मेहमानों पर हुए हमले की निंदा करने के लिए जागा है. लोन ने कहा कि राजनीति को एक तरफ रखते हुए, मेरा मानना ​​है कि हिंसा को हमारे समाज में कुछ हद तक स्वीकार्यता प्राप्त है क्योंकि कुछ लोगों ने इसे वैध चीज के रूप में स्वीकार किया है, लेकिन उनकी संख्या लगातार घट रही है.

अब्दुल गनी लोन की हत्या

पूर्व मंत्री सज्जाद लोन के पिता और हुर्रियत नेता अब्दुल गनी लोन की भी आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी.लोन ने कहा कि कश्मीरी समाज में हिंसा को एक सामाजिक स्वीकार्यता प्राप्त थी, लेकिन पहलगाम की घटना के बाद इसमें बदलाव आया है.उन्होंने कहा कि हमने देखा कि हर गली-मोहल्ले में लोग हिंसा के खिलाफ निकल रहे हैं. लोग अब हिंसा को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं, यह हिंसा की सामाजिक स्वीकार्यता के अंत की शुरुआत है.

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