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मध्यप्रदेश

ट्रेन में तीन घंटे तड़पे दिव्यांग क्रिकेटर, नहीं मिला इलाज… टूर्नामेंट में पहुंचने से पहले मौत

पंजाब के दिव्यांग क्रिकेटर विक्रम सिंह की बुधवार, 4 जून को ट्रेन में मौत हो गई. वह दिल्ली के निजामुद्दीन स्टेशन से ट्रेन में सवार हुए थे. वह अपने साथियों के साथ छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में मध्य प्रदेश के ग्वालियर जा रहे थे. लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही रास्ते में ही उनकी तबीयत बिगड़ गई थी. बताया जा रहा है कि तबीयत बिगड़ने पर उन्हें समय से इलाज नहीं मिला और उन्होंने ट्रेन में ही दम तोड़ दिया.

ट्रेन के अझाई स्टेशन पर पहुंचने से पहले ही विक्रम सिंह की तबीयत खराब हो गई थी. उनके लिए रेलवे से मदद मांगी गई. सुबह करीब 5 बजे रेलवे हेल्पलाइन 139 पर फोन किया गया. लेकिन रेलवे की ओर से जवाब दिया गया कि मथुरा स्टेशन पर डॉक्टर मिलेंगे और इससे पहले ही अझाई स्टेशन पर ट्रेन डेढ़ घंटे तक खड़ी रही.

तीन घंटे तक तड़पते रहे विक्रम

ऐसे में अझाई स्टेशन पर इतनी देर तक ट्रेन खड़े रहने से विक्रम सिंह को इलाज नहीं मिल पाया और उनकी हालत पहले से और ज्यादा खराब होने लगी. इसके बाद 8:10 पर ट्रेन मथुरा पहुंची. लेकिन तीन घंटे से ज्यादा समय तक इलाज न मिल पाने की वजह से विक्रम की मौत हो गई. उनके साथी खिलाड़ियों ने विक्रम की मौत के लिए रेलवे की लापरवाही को जिम्मेदार बताया और कहा कि तीन घंटे तक विक्रम को इलाज नहीं मिल पाया और वह तड़पते रहे. फिर उनकी मौत हो गई.

नेशनल व्हीलचेयर क्रिकेट टूर्नामेंट

विक्रम सिंह पंजाब के पिहड़ी गांव के निवासी थे. वह अपने साथी खिलाड़ियों के साथ नई दिल्ली से ग्वालियर जा रहे थे, जहां नेशनल व्हीलचेयर क्रिकेट टूर्नामेंट होने जा रहा है. वह इस टूर्नामेंट में शामिल होने के लिए ही अपने 11 साथी खिलाड़ियों के साथ ग्वालियर जा रहे थे. लेकिन इससे पहले ही उनकी जान चली गई. घटना के बाद उनके शव को पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया, जहां पोस्टमार्टम के बाद उनके परिजनों को उनका शव सौंप दिया गया. विक्रम सिंह की अचानक मौत के बाद उनके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया.

इंडियन व्हीलचेयर क्रिकेट के कैप्टन ने की पोस्ट

इंडियन व्हीलचेयर क्रिकेट के कैप्टन सोमजीत सिंह गौर ने विक्रम सिंह की मौत के बाद उनकी फोटो पोस्ट करते हुए लिखा, ‘पंजाब के एक साथी व्हीलचेयर क्रिकेटर विक्रम की ट्रेन यात्रा के दौरान मौत हो गई. मथुरा स्टेशन पर ट्रेन पहुंचने से बहुत पहले ही वह बेहोश हो गए. सुबह 4:41 बजे मेडिकल इमरजेंसी की सूचना दी गई, लेकिन फिर भी ट्रेन को मथुरा जंक्शन पहुंचने से पहले ही 1.5 घंटे से ज्यादा समय तक रोक दिया गया था. जब तक मेडिकल मदद पहुंची, तब तक विक्रम की मौत हो चुकी थी. उनका बेजान शरीर रेलवे स्टेशन के फर्श पर पड़ा रहा, उनके साथियों से घिरा था. सभी व्हीलचेयर का इस्तेमाल करते हैं, जो चुपचाप दुख और लाचारी में बैठे रहने के अलावा कुछ नहीं कर सकते थे.’

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