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उत्तरप्रदेश

‘हमने कफन खरीद लिया था, दोबारा जिंदगी मिली है…’ ईरान से लौटकर बताया कैसे काटे दिन?

ईरान की जियारत से लौटे उत्तर प्रदेश के बरेली के जायरीन आज अपने वतन की मिट्टी को चूमते हुए खुदा का शुक्र अदा कर रहे हैं. लौटते वक्त आंखों में खौफ था. लेकिन दिल में राहत थी कि अब अपनों के बीच हैं. ईरान में बिताए गए वह चार दिन किसी डरावने सपने से कम नहीं थे. उनके सिर के ऊपर उड़ती मिसाइलें, धमाकों की गूंज और बंद एयरपोर्ट. उन्हें हर पल लगता था कि अगला निशाना कहीं वह न बन जाएं.

बरेली के कंघी टोला की नजमा बेगम जो जियारत कर लौटी हैं. वह बताती हैं कि चार दिन ऐसे बीते कि लगने लगा अब वतन लौटना मुमकिन नहीं, जहां ठहरे थे. वहां से आसमान में मिसाइलें उड़ती दिखती थीं.एक वक्त तो दिल बैठ गया. फिर सोचा कि अगर मौत यहां भी आई तो शहादत के तौर पर कबूल कर लेंगे. हमने कफन तक खरीद लिया था. ईरान का माहौल काफी जज्बाती था. लोग एक-दूसरे को हौसला दे रहे थे. मगर अंदर से सब डरे हुए थे.

फ्लाइट कैंसिल की खबर ने हिला दिया

थाना बारादरी क्षेत्र के मीरा की पैठ की रुखसार नकवी कहती हैं, ‘जब फ्लाइट कैंसिल होने की खबर मिली तो दिल जैसे कांप गया. सारी उम्मीदें खत्म हो गईं. रात को नींद नहीं आती थी. बस एक ही दुआ थी कि किसी तरह अपने वतन वापसी हो जाए. भारतीय दूतावास ने मदद की और हमें कोम से मशद पहुंचाया गया. मशद में अच्छे होटल में ठहराया गया. मगर दिल अपने देश की मिट्टी को देखने के लिए बेचैन था.

मिसाइलों का वीडियो बना रहे थे

बरेली के थाना प्रेमनगर क्षेत्र के किला छावनी के हसन जाफर ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि वहां के लोगों को ऐसी आदत हो गई थी कि वो उड़ती मिसाइलों के वीडियो बना रहे थे. जबकि हम भारतीय जायरीन सहमे हुए थे. धमाकों की आवाजें दिल दहला देती थीं. मशद एयरपोर्ट तक मोबाइल फोन बंद करवा दिए गए थे. हर कोई दुआ कर रहा था कि सुरक्षित अपने वतन पहुंच जाएं.

दिल्ली एयरपोर्ट पर तिरंगे से स्वागत

किला की मुजीब जहरा ने बताया कि जायरीन को ज्यादा दिक्कत नहीं हुईं. लेकिन डर तो सबके दिल में था. भारतीय दूतावास के मीसम रजा और ईरान में मौलाना हैदर साहब ने बहुत मदद की. जब दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे और वहां लोगों ने तिरंगा थमाया तो आंखें भर आईं. ऐसा लगा जैसे फिर से जिंदगी मिली हो. भारत सरकार और ईरान सरकार का शुक्रिया अदा करती हूं.

अपने देश आकर सुकून मिला

ईरान की जियारत पर जाने वाले बरेली के ये जायरीन अपने साथ एक ऐसी कहानी लेकर लौटे हैं, जो उन्हें जिंदगी भर याद रहेंगी. जब सिर के ऊपर मौत मंडरा रही थी. तब भी उन्होंने हौसला नहीं खोया. ये लोग बताते हैं कि ईरान में रहना जितना मुश्किल था. उससे ज्यादा मुश्किल वतन से दूर रहना था. अब जब सभी सकुशल अपने वतन लौट आए हैं तो अपनों के गले लगकर उनकी आंखों से बहते आंसू सब बयां कर रहे हैं.

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