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उत्तरप्रदेश

जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने मरीज का धो डाला फेफड़ा, कैसे हो गया था जाम? फ्री में हुआ इलाज

उत्तर प्रदेश के लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग ने फेफड़ों की दुर्लभ बीमारी पल्मोनरी एल्वियोलर प्रोटीनोसिस (पीएपी) से जूझ रहे 40 वर्षीय मरीज अनिरुद्ध को नई जिंदगी दी है. बस्ती निवासी अनिरुद्ध का होल लंग लैवेज (डब्ल्यूएलएल) यानी फेफड़ों की धुलाई विधि से सफल इलाज किया गया. यह प्रक्रिया उत्तर प्रदेश में पहली बार केजीएमयू में आयुष्मान भारत योजना के तहत पूरी तरह मुफ्त की गई, जिसकी लागत निजी अस्पतालों में तीन से चार लाख रुपये तक आती है.

अनिरुद्ध पिछले 15 वर्षों से मुंबई में पत्थर लगाने और घिसाई का काम करते थे. फरवरी 2025 में उन्हें अचानक मुंह और नाक से खून बहने के साथ सांस लेने में तकलीफ शुरू हुई. बस्ती में एक शादी समारोह में शामिल होने के दौरान उनकी हालत बिगड़ गई. जिला अस्पताल में प्राथमिक जांच के बाद डॉक्टरों ने स्थिति गंभीर बताई. इसके बाद अनिरुद्ध लखनऊ के विवेकानंद अस्पताल पहुंचे, जहां जांच में पता चला कि उनके फेफड़ों के वायुकोषों में गंदगी जमा हो गई है. निजी अस्पताल में इलाज का खर्च तीन से चार लाख रुपये बताया गया, जो उनकी आर्थिक स्थिति के लिए असंभव था.

केजीएमयू में मिली उम्मीद की किरण

आर्थिक तंगी के बीच अनिरुद्ध केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग पहुंचे. यहां डॉ. एसके वर्मा, डॉ. राजीव गर्ग और डॉ. आनंद श्रीवास्तव की देखरेख में उनकी जांच शुरू हुई. एचआरसीटी स्कैन में ग्राउंड ग्लास ओपेसिटी और केजी पेविंग पैटर्न जैसे लक्षण दिखे, जो पीएपी बीमारी की पुष्टि करते थे. ब्रॉन्कोएल्वियोलर लवेज जांच के बाद डॉक्टरों ने डब्ल्यूएलएल प्रक्रिया से इलाज का फैसला लिया.

दो चरणों में फेफड़ों की सफाई

13 जून को अनिरुद्ध के दाएं फेफड़े और 7 जुलाई को बाएं फेफड़े की धुलाई की गई. दोनों प्रक्रियाओं के बाद मरीज को 12 घंटे के भीतर वेंटिलेटर से हटा दिया गया. इलाज के बाद अनिरुद्ध की हालत में तेजी से सुधार हुआ और अब वह स्वस्थ हो रहे हैं.

डॉक्टरों की टीम ने रचा इतिहास

इस जटिल प्रक्रिया को डॉ. राजीव गर्ग, डॉ. आनंद श्रीवास्तव, डॉ. शेफाली गौतम, डॉ. विनिता सिंह, डॉ. कृतिका यादव, डॉ. राहुल, डॉ. मोनिका कोहली और डॉ. सुरेश कुमार की टीम ने अंजाम दिया. केजीएमयू की व कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने इसे संस्थान के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए टीम की सराहना की.

पल्मोनरी एल्वियोलर प्रोटीनोसिस (पीएपी) फेफड़ों की एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें वायुकोषों में चिपचिपा प्रोटीन और फैट जमा होने से ऑक्सीजन अवशोषण बाधित होता है. इससे मरीज को सांस लेने में दिक्कत, खांसी, थकान, सीने में दर्द और तेजी से वजन घटने जैसी समस्याएं होती हैं.

क्या कहते हैं चिकित्सा अधीक्षक?

चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुरेश कुमार के अनुसार, अनिरुद्ध का इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत पूरी तरह मुफ्त किया गया. उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में यह सुविधा केवल केजीएमयू में उपलब्ध है. निजी अस्पतालों में जहां इस इलाज पर लाखों रुपये खर्च होते हैं, वहीं केजीएमयू में मात्र 60,000 रुपये में यह प्रक्रिया संभव हो पाई.

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