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मिजोरम: राज्यपाल ने चकमा स्वायत्त जिला परिषद को किया भंग, कब हुआ था इसका गठन?

चकमा स्वायत जिला परिषद (CADC) को भंग करने के पहले परिषद में सत्ता पर बीजेपी काबिज थी, लेकिन 16 जून को बीजेपी के सभी स्वायत परिषद सदस्यों ने इस्तीफा दे दिए और बाद में वे सभी स्थानीय ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (zpm) के साथ मिल गए.

दरअसल डीएडीसी में कुल 20 सदस्यों का चुनाव होता है जबकि 4 नामांकित किए जाते हैं. डीएडीसी में बहुमत के लिए 13 सदस्यों का समर्थन होना चाहिए. बीजेपी की सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद 16 सदस्यों ने जोरम पीपुल्स पार्टी को समर्थन कर दिया. इस समूह में 18 जून को zpm की सरकार बनाने का दावा राज्यपाल के सामने पेश कर दिया.

कैसे शुरू हुआ सबकुछ?

CADC में राजनीतिक संकट 16 जून को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से बीजेपी के मोलिन कुमार चकमा के मुख्य कार्यकारी सदस्य के पद से हटाए जाने के साथ शुरू हुआ. उनके हटाए जाने के बाद दलबदल की लहर चली, जिसमें परिषद के अध्यक्ष लखन चकमा भी शामिल थे, जिन्होंने बाद में नई कार्यकारिणी बनाने का दावा पेश किया.

मिजोरम के मुख्यमंत्री ने लालदुमोहा ने चकमा स्वायत जिला परिषद में zpm की बहुमत होने की घटना से राज्यपाल वीके सिंह अवगत कराया. 5 जुलाई को मिजोरम सरकार ने चकमा काउंसिल में zpm के नेतृत्व में बनाने की सिफारिश कर दी.

ये पूर्वोत्तर भारत के मिज़ोरम राज्य की तीन स्वायत्त ज़िला परिषदों में से एक है. यह बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा से लगे दक्षिण-पश्चिमी मिज़ोरम में रहने वाले चकमा जातीय लोगों के लिए एक स्वायत्त परिषद है. पिछले कुछ सालों से ‘चकमालैंड’ केंद्र शासित प्रदेश की मांग भी होती रही है.

इसका मुख्यालय कमलानगर में है. चकमा लोग चकमा स्वायत्त जिला परिषद की स्थिति को चकमालैंड नाम से केंद्र शासित प्रदेश में बदलने की मांग कर रहे हैं.

कैसे बनी पीएलआरसी ?

1972 में, इस मुद्दे को हल करने के लिए पीएलआरसी को तीन क्षेत्रीय परिषदों में विभाजित किया गया और मारा, लाई और चकमा के लिए 3 जिला परिषदों में अपग्रेड किया गया था. सीएडीसी का गठन भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत 1972 में हुआ था. यह परिषद राज्य विधानसभा का प्रतिरूप है और विशेष रूप से आवंटित विभागों पर कार्यकारी शक्ति का प्रयोग करती है.

चकमा स्वायत जिला परिषद बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा से लगे दक्षिण-पश्चिमी मिज़ोरम में रहने वाले चकमा जातीय लोगों के लिए एक स्वायत्त परिषद है.

विभिन्न जनजातियों के स्वायत शासन के विचार को ध्यान में रखते हुए देश में कुल 10 स्वायत जिला परिषद बनाया गया है. जो खास तौर पर पूर्वोतर के 4 राज्यों असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में स्थित हैं. जिनमें से असम, मेघालय, मिजोरम में 3-3 ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल हैं जबकि त्रिपुरा में 1 एडीसी है.

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