ब्रेकिंग
RSS के 100 साल पूरे, संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी; क्या-क्या बदलेगा? तेजाब हमले के बाद 16 साल की लड़ाई, आखिर क्यों बरी हो गए शाहीन के आरोपी? क्रिस्मस के दिन बंद रहेगा शेयर बाजार, नहीं होगा सोना-चांदी का कारोबार, ये रही 2026 की हॉलिडे लिस्ट वरदान नहीं, मुसीबत भी बन सकता है AI! इन सलाहों से रखें दूरी कम बजट में क्रिसमस सेलिब्रेशन, इन यूनिक तरीकों से बच्चे होंगे खुश उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर… जानें कैसा रहेगा आज तीनों पहाड़ी राज्यों का मौसम इंद्रेश उपाध्याय ने खत्म किया विवाद: यादव समाज की नाराजगी के बाद जारी किया माफीनामा, सफाई में दी अपन... कर्नाटक में 'मौत का सफर': ट्रक से टकराते ही आग का गोला बनी स्लीपर बस, 9 यात्री जिंदा जले पीएम मोदी का क्रिसमस संदेश: पवित्र प्रार्थना सभा में शिरकत की, ईसाई समुदाय को दीं प्रभु यीशु के जन्म... अब सिर्फ चेहरा नहीं, रणनीतिकार भी": नए साल में कांग्रेस का पावर बैलेंस बदलेगा, प्रियंका गांधी के पास...
देश

जमानत अदालत बन गया है सुप्रीम कोर्ट… बेल के बढ़ते मामलों पर जस्टिस नागरत्ना की सख्त टिप्पणी

जमानत के बढ़ते मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. शीर्ष अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट एक जमानत अदालत बन गया है. जस्टिस बीवी नागरत्ना ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत के बढ़ते मामलों की संख्या पर चिंता जताते हुए कहा कि यह जमानत अदालत बन गया है. शुक्रवार को हमारे पास 25 मामले थे और आज 19 जमानत मामले हैं. एक के बाद एक हम या तो जमानत दे देते हैं या ना कर देते हैं.

जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि अगर निचली अदालतें सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सख्ती से पालन करें, तो यहां आने वाले मामलों की संख्या कम हो सकती है. इससे पहले उन्होंने इस तरह के मामले में चिंता जताई थी. उस समय जस्टिस नागरत्ना ने कहा था कि शीर्ष अदालत को अब फैमिली कोर्ट, ट्रायल कोर्ट, जमानत कोर्ट और यहां तक कि हाई कोर्ट की भूमिका निभानी पड़ रही है

जस्टिस नागरत्ना ने क्या कहा?

जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि छोटे-मोटे मुद्दों पर अपील दाखिल करने का जो चलन है, उसके चलते सुप्रीम कोर्ट का संवैधानिक मामलों पर जो असली फोकस है, वो कमजोर हो रहा है. उन्होंने कहा कि आज की सुनवाई में जमानत 19 मामले लिस्ट थे. जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि हाई कोर्ट को अधिक सशक्त बनाना चाहिए ताकि वे अंतिम फैसला ले सकें और जमानत जैसे मामलों में निचली अदालतें को डर न लगे.

Related Articles

Back to top button