साइबर फ्रॉड पर नकेल: सरकार ने किया SIM बाइंडिंग अनिवार्य, बिना एक्टिव सिम के नहीं चलेगा WhatsApp!

भारत सरकार WhatsApp, Telegram, Signal जैसे सभी मैसेजिंग ऐप्स के लिए कड़े साइबरसिक्योरिटी नियम लाई है. अब इन ऐप्स को चलाने के लिए उसी नंबर का सक्रिय SIM फोन में लगा होना जरूरी होगा जिससे अकाउंट रजिस्टर किया गया है. फोन से SIM निकालते ही ऐप तुरंत बंद हो जाएगा और वेब वर्जन हर छह घंटे में खुद-ब-खुद लॉगआउट होंगे. DoT का दावा है कि यह कदम साइबर फ्रॉड, स्पैम और विदेशों से होने वाले ठगी नेटवर्क को रोकने के लिए जरूरी है. यह नियम फरवरी 2026 से पूरे देश में लागू होंगे.
SIM हटाते ही बंद हो जाएगा WhatsApp
DoT के Telecommunication Cybersecurity Amendment Rules 2025 के तहत WhatsApp, Telegram, Signal और सभी चैट ऐप्स को अब SIM से लगातार लिंक रहना होगा. यदि कोई यूजर फोन से वह SIM निकाल देता है जिससे उसका मैसेजिंग अकाउंट बना था, तो ऐप तुरंत चलना बंद कर देगा. यह बदलाव इसलिए किया गया है क्योंकि अभी तक ऐप केवल एक बार OTP से नंबर वेरिफाई करते हैं और SIM हटाने के बाद भी काफी समय तक चलते रहते हैं. सरकार का मानना है कि यही ढील साइबर अपराधियों को फायदा देती है जो SIM बदलकर अपनी पहचान छिपाते रहते हैं.
वेब सर्वर पर हर 6 घंटे में होगा ऑटो लॉगआउट
नया आदेश वेब-बेस्ड लॉगिन के नियमों को भी पूरी तरह बदल देता है. अब WhatsApp Web, Telegram Web या किसी भी चैट सर्विस का वेब वर्जन हर छह घंटे में अपने-आप लॉगआउट हो जाएगा और यूजर को QR कोड से फिर से लॉगइन करना होगा. फिलहाल WhatsApp Web तभी लॉगआउट होता है जब प्राइमरी फोन 14 दिनों तक इस्तेमाल न किया गया हो. सरकार का कहना है कि वेब से होने वाली अनट्रेसेबल लॉगिन एक्टिविटी साइबर अपराधियों को भारत के बाहर से भी ठगी करने का मौका देती हैं, जिसे यह नया नियम रोकने का प्रयास करेगा.
सरकार क्यों लाई नया नियम?
DoT और COAI ने बताया कि मैसेजिंग ऐप्स के एक बार वाले वेरिफिकेशन मॉडल से एक बड़ा सुरक्षा गैप बन रहा था. अपराधी भारत में रजिस्टर्ड नंबर को देश से बाहर ले जाकर या इंटरनेट कॉलिंग माध्यमों से ठगी कर लेते हैं, और SIM इनएक्टिव होने पर भी ऐप से जुड़े रहते हैं. इसे ट्रेस करना लगभग असंभव हो जाता है क्योंकि कॉल रिकॉर्ड, लोकेशन और नेटवर्क डेटा SIM से लिंक नहीं रहता. लगातार SIM-बाइंडिंग से सरकार को यूजर, नंबर और डिवाइस के बीच संबंध स्थापित करने में मदद मिलेगी, जिससे फ्रॉड और स्पैम दोनों कम होंगे.
कितना कारगर होगा SIM बाइंडिंग?
साइबर सुरक्षा एक्सपर्ट का मानना है कि यह कदम कुछ हद तक ट्रेसबिलिटी बढ़ा सकता है, लेकिन बड़े स्तर पर फ्रॉड रोकने में इसकी सीमाएं भी रहेंगी. ठग आसानी से फर्जी डॉक्यूमेंट्स से नए SIM ले लेते हैं, इसलिए SIM-बाइंडिंग को बायपास करना उनके लिए बहुत मुश्किल नहीं होगा. दूसरी ओर टेलीकॉम इंडस्ट्री का कहना है कि भारत में मोबाइल नंबर सबसे विश्वसनीय डिजिटल पहचान हैं और इसी पहचान के आधार पर साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाना अभी आवश्यक है. दोनों पक्षों में बहस जारी है कि यह कदम सुरक्षा बढ़ाएगा या सिर्फ यूजर्स की दिक्कतें बढ़ाएगा.
यूजर्स पर असर
नए नियम लागू होने के बाद यूजर अपने मैसेजिंग ऐप्स को तभी चला पाएंगे जब एक्टिव SIM फोन में लगा होगा. इसका मतलब है कि WhatsApp या Telegram को मल्टी-डिवाइस मोड में SIM के बिना लगातार इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. जिस नंबर से अकाउंट बना है, उसके SIM को फोन से निकालते ही ऐप बंद हो जाएगा और यूजर को दोबारा लॉगइन करना पड़ेगा. साथ ही वेब वर्जन यूजर्स को हर छह घंटे में ऑथेंटिकेशन दोहराना होगा. यह बदलाव उन लोगों के लिए सबसे अधिक प्रभाव डालेंगे जो WhatsApp को बिना SIM के टैबलेट या सेकेंडरी डिवाइस पर चलाते हैं.






