इन कांग्रेस विधायकों के आगे, लॉकडाउन की ऐसी की तैसी… कानून की उड़ाई धज्जियां

रांची। झारखंड के साढ़े नौ लाख मजदूर और कोटा में पढऩे गए राज्य के बच्चे वहां फंसे हुए हैं। आम लोग होने के कारण ये नियम कायदे से बंधे हैं लेकिन खास लोगों पर इसके नियम लागू नहीं होते हैं। न उन्हें कोई रोकने वाला है, न टोकने वाला। पिछले एक महीने से जारी लॉकडाउन के बीच राज्य में कई ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं। कांग्रेस विधायक डॉ. इरफान अंसारी एक मामले में जामताड़ा से रांची पहुंचे और जगन्नाथपुर थाने में लिखित शिकायत करने के बाद पुन: जामताड़ा लौट गए। वहां डीसी-एसपी के साथ बैठक में भी शामिल हुए
हालांकि कुछ विधायक अपवाद भी हैं। निर्दलीय विधायक व पूर्व मंत्री सरयू राय अब तक अपने क्षेत्र में जाने के लिए पास का इंतजार कर रहे हैं। भाजपा विधायक अनंत ओझा भी रांची में फंसे हैं। मां की तबीयत खराब होने के बावजूद उन्हें साहिबगंज जाने का पास नहीं मिला।
उपायुक्त की अनुमति अन्य जिलों में जाने के लिए जरूरी
लॉकडाउन की अवधि में संबंधित जिले के उपायुक्त की अनुमति के बाद ही पास मिलने पर कोई भी व्यक्ति एक जिले से दूसरे जिले में जा सकता है। इसके लिए भी ठोस कारण बताते हुए आवेदन देना होगा।
केंद्र से मांगा जा रहा दिशानिर्देश
पिछले सप्ताह गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर यह दिशानिर्देश मांगा था कि सांसद, विधायक व मंत्री अपने-अपने क्षेत्र में जाना चाहते हैं। इसके लिए क्या प्रावधान होना चाहिए। नियम व शर्तें क्या होंगी। अब केंद्र से दिशानिर्देश मिलने के बाद ही सरयू राय सहित अन्य विधायकों, मंत्रियों, सांसदों को क्षेत्र में जाने का पास बनेगा।
मैैं विधायक होने के साथ-साथ डॉक्टर भी हूं। इसी जिम्मेदारी के नाते कहीं भी आने-जाने के लिए मैंने स्वीकृति ले रखी है। संकट की घड़ी में अपनों से एक जनप्रतिनिधि और डाक्टर दूर कैसे रह सकता है? एक्शन भाजपा के उन दो सांसदों के खिलाफ होना चाहिए जो दिल्ली से कई राज्यों की सीमा लांघकर राज्य में आ गए। डा. इरफान अंसारी, विधायक, जामताड़ा।
जिलों में आने-जाने के लिए छूट देने के पक्ष में कांग्रे
झारखंड प्रदेश कांग्रेस की राहत निगरानी समिति ने मुख्यमंत्री से उन क्षेत्रों में राहत प्रदान करने की मांग की है, जहां कोरोना का प्रसार अधिक नहीं है। कमेटी ने जिलों में भी आवागमन और आर्थिक गतिविधियां शुरू करने की वकालत की है। रविवार को इससे संबंधित एक मांग पत्र मुख्यमंत्री को भेजा गया है। प्रदेश कांग्रेस निगरानी समिति के सदस्य प्रदीप तुलस्यान के नेतृत्व में समिति के सदस्य आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव एवं डॉ. राजेश गुप्ता छोटू ने जिलाध्यक्षों से संपर्क स्थापित कर यह मांग पत्र तैयार किया है। कांग्रेस प्रवक्ता आलोक दुबे ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर कई समस्याओं पर ध्यान दिलाते हुए निराकरण का अनुरोध किया गया है।
कांग्रेस की मुख्य मांगें
- लॉकडाउन के कारण सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को राहत प्रदान की जानी चाहिए। लॉकडाउन के दौरान बिजली बिल, पानी बिल, निगम कर एवं अन्य करों पर छूट दी जानी चाहिए। छोटे व्यवसायियों को क्षतिपूर्ति का भी प्रावधान किया जाना चाहिए।
- लॉकडाउन के दौरान काम पर नहीं आ पा रहे मजदूरों को अनाज के अतिरिक्त समुचित आर्थिक सहायता मिले।
- सरकारी, अद्र्धसरकारी एवं निजी क्षेत्र में निर्माण कार्य शुरू कराया जाए, ताकि श्रमिकों को तत्काल लाभ मिले।
- लॉकडाउन के दौरान बिजली आपूर्ति व्यवस्था कमजोर हुई है, इसे अविलंब सुधारा जाना चाहिए।
- जो क्षेत्र रेड जोन में नहीं हैं, वहां खेलकूद कोचिंग एवं प्रतियोगिता की छूट दी जा सकती है।
- मिठाई एवं दूध काउंटर (केवल पार्सल) प्रारंभ करने से सैकड़ों गोपालकों एवं श्रमिकों को लाभ मिलेगा।
- कुछ जिलों में आवागमन की अनुमति दी जानी चाहिए, जिससे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
- गर्मी को देखते हुए पेयजलापूर्ति की व्यवस्था करवाई जाए। चापाकलों की मरम्मत एवं नई बोरिंग के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिया जाना चाहिए।
- निजी चिकित्सकों को रोगियों को देखने के लिए प्रेरित करना सही होगा।






