आर. वेंकटरमण का जीवन परिचय Ramaswamy Venkataraman biography in hindi
भारत देश के आठवें राष्ट्रपति आर. वेंकटरमण एक भारतीय वकील, स्वतंत्रता संग्रामी और महान राजनेता रहे है. जिन्होंने देश की राजनीती को अपने जीवन के कई साल दिए है.
आर. वेंकटरमण का जीवन परिचय Ramaswamy Venkataraman biography in hindi
आर. वेंकटरमण जन्म, परिवार व शिक्षा (Ramaswamy Venkataraman family) –
क्रमांकजीवन परिचय बिंदु आर. वेंकटरमण जीवन परिचय1.पूरा नामरामास्वामी वेंकटरमण2.जन्म4 दिसम्बर 19103.जन्म स्थानपट्टुकोट्टय, तंजौर जिला, तमिलनाडु4.पिताके रामास्वामी अय्यर5.पत्नीजानकी वेंकटरमण (1938)6.राजनैतिक पार्टीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस7.मृत्यु27 जनवरी 2009 दिल्ली
आर. वेंकटरमण का जन्म 4 दिसंबर, 1910 को तमिलनाडु में तंजौर के पास पट्टुकोट्टय के छोटे से गाँव राजमदम में हुआ था. इनके पिता का नाम रामास्वामी अय्यर था। वे तंजौर जिले में एक वकील थे . आर. वेंकटरमण ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मद्रास(चेन्नई) में पूरी की. फिर मद्रास विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की. तत्पश्चात कानून की परीक्षा के लिए उन्होंने मद्रास के डी लॉ कॉलेज में दाखिला लिया. कानून की शिक्षा पूरी करने के बाद आर. वेंकटरमण के पास दो विकल्प थे – ब्रिटिश हुकूमत की नौकरी करें या तो वे स्वतंत्र रूप से वकालत करें। वेंकटरमण अंग्रेजो के अधीन काम करना कभी मंजूर नहीं था, सो उन्होंने स्वतंत्र रूप से वकालत करने की ठान ली और सन 1935 में मद्रास उच्च न्यायालय से वकालत शुरू कर दी. 1951 के आते आते वे कानून के प्रकांड पंडित के रूप में पहचाने जाने लगे और फिर सुप्रीम कोर्ट में वकील के रूप में अपना कार्य शुरू कर दिया.
आर. वेंकटरमण का स्वतंत्रता की लड़ाई में साथ –
वकालत के साथ साथ आर. वेंकटरमण भारत देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में हिस्सेदार रहे, वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक्टिव मेम्बर बने. वकालत के दौरान आर. वेंकटरमण (Ramaswamy Venkataraman) ने 1942 में भारत की स्वतंत्रता के लिए महात्मा गाँधी जी के साथ भारत छोड़ो आन्दोलन में हिस्सा लिया. अंग्रेज सरकार ने इन्हें गिरिफ्तार कर लिया और इन्हें दो वर्ष कारावास की सजा हो गई. 1944 में अपनी रिहाई के बाद वे फिर से अंग्रेजो के विरुद्ध आन्दोलनों से जुड़ गए. देश के प्रति उनका स्नेह अपार था. 1944 में ही उन्होंने तमिलनाडु कांग्रेस समिति में श्रमिक प्रभाव का गठन किया और प्रभारी के रूप में कार्य संभाला. थोड़े समय बाद ही वे “ट्रेड यूनियन लीडर” के रूप में स्थापित हो गए. श्रमिक एवं मजदूरों के लिए वे हमेशा कम करते थे. उनकी समस्याओं को दूर करना वेंकटरमण जी की पहली प्राथमिकता होती थी. वे आपसी बातचीत एवं तालमेल से समस्या दूर करते थे. कोई और विकल्प न होने पर ही वे कानून का सहारा लेते थे और मजदूरों के हित के लिए लड़ते थे. 1949 में उन्होंने ‘श्रमिक कानून’ पत्रिका शुरू की.
आर. वेंकटरमण का राजनैतिक सफर (R Venkataraman political career) –
स्वतंत्रता प्राप्ति पश्चात् वकालत में उनकी श्रेष्ठता एवं ज्ञान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें देश के उत्कृष्ट वकीलों की टीम में स्थान दिया. सन 1947 से 1950 तक वे ‘महाराष्ट्र बार एसोसिएशन’ के सचिव रहे. राजनीती में आते ही उन्हें 1950 में स्वतंत्र भारत की अस्थाई संसंद का सदस्य बनाया गया. 1951 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का वकील बनकर कार्यभार संभाला. तत्पश्चात 1952 में जब देश की प्रथम संसद का गठन हुआ उस समय भी आर. वेंकटरमण जी को उसका सदस्य बनाया गया. 1957 तक वे इसके सदस्य रहे. 1953 से 54 तक उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सचिव के रूप में कार्यभार संभाला.
1957 में जब लोकसभा चुनाव हुए, तो एक बार फिर से आर. वेंकटरमण जी को सांसद के रूप में चुना गया, किन्तु पद की लालसा न दिखाते हुए उन्होंने इस पद को त्याग दिया और मद्रास राज्य के मंत्रीपरिषद का पद ग्रहण किया. उस समय वहां के मुख्यमंत्री के कामराज ने उनकी राजनैतिक प्रतिभा को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 1957 से 1967 तक आर. वेंकटरमण जी ने मद्रास राज्य में सहकारिता, वाणिज्यिक कर, श्रम, उद्योग, यातायात तथा ऊर्जा जैसे कार्यो को सफलतापूर्वक संभाला.
1967 में तमिलनाडु में सत्ता कांग्रेस के हाथों से चली गई. तत्पश्चात आर. वेंकटरमण जी दिल्ली आ गए और उन्हें योजना आयोग का सदस्य चुन लिया गया. इस दौरान वे उद्योगों, समाज, यातायात, अर्थव्यस्था से जुड़े कार्य संभालते थे. 1971 तक उन्होंने इस पद की गरिमा बढाई. 1980 में वे पुनः लोकसभा चुनाव जीते और सांसद बन गए. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी जी ने वेंकटरमण जी को वित्त मंत्री बना दिया. 1982 से 1984 तक वेंकटरमण जी को रक्षा मंत्री का भार सौंपा गया. 22 अगस्त 1984 में उन्होंने उपराष्ट्रपति का कार्य संभाला. उसी दौरान वे राज्यसभा के अध्यक्ष भी रहे. 24 जुलाई 1987 को इन्होंने उपराष्ट्रपति पद से त्यागपत्र दे दिया और 25 जुलाई 1987 को आठवें राष्ट्रपति के रूप में शपत्र ली.
आर वेंकटरमण मृत्यु (Ramaswamy Venkataraman death) –
98 वर्ष की आयु में 27 जनवरी, 2009 को एक लंबी बीमारी के चलते दिल्ली के आर्मी अस्पताल में रामस्वामी वेंकटरमण का निधन हो गया. तत्कालीन सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमण के सम्मान में 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया.
वे अपने कार्य और उत्तरदायित्वों के प्रति बेहद संजीदा रहा करते थे. वे एक कुशल और परिपक्व राजनेता ही नहीं, बल्कि बेहद सुलझे हुए और अच्छे इंसान भी थे. स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के लिए इन्हें ताम्रपत्र से सम्मानित किया गया था. देश के ऐसे सच्चे कर्मठशील सपूत को भारत माता कभी नहीं भूल सकती.
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