ब्रेकिंग
कौन हैं आर श्रीलेखा, जो तिरुवनंतपुरम में बन सकती है BJP की पहली मेयर, रही हैं DGP सम्राट चौधरी का बड़ा ऐलान! लालू यादव की जब्त प्रॉपर्टी पर अब खुलेंगे सरकारी स्कूल, बिहार में मच गया ... हिमाचल में पाकिस्तानी साज़िश! फिर मिला पाकिस्तानी झंडे के निशान वाला गुब्बारा, गुब्बारे पर लिखे थे य... सरकारी कर्मचारियों के लिए गुड न्यूज? नए लेबर कोड में बड़ा बदलाव, अब हफ्ते में 3 दिन छुट्टी, क्या 4 द... 'मोदी तेरी कब्र खुदेगी' नारे पर मचा बवाल! कांग्रेस की रैली में लगे आपत्तिजनक नारे, BJP का पलटवार- 'क... हिसार-NH पर घने कोहरे के कारण आपस में टकराए कई वाहन, बाल-बाल बची करीब 100 लोगों की जान दरिंदगी की हदें पार: नाबालिगा के मुंह में कपड़ा ठूंस कर किया था किडनैप, फिर जंगल में किया गैंगरेप सोनीपत में किशोर ने अपनी सहपाठी छात्रा से किया दुष्कर्म, शॉपिंग मॉल में ले जाने का दिया था झांसा हरियाणा के सरकारी स्कूलों में मिड-डे-मील और होगा स्वादिष्ट, अब बच्चों के खाने में ये चीजें भी होंगी ... देशभर में 6 करोड़ की साइबर ठगी मामले में 2 आरोपी गिरफ्तार, कुरुक्षेत्र पुलिस ने छत्तीसगढ़ से पकड़ा
देश

चीन को भारत का एक और झटका, सेना की वर्दी के लिए चीनी कपड़े की जगह लेगा भारतीय कपड़ा

नई दिल्ली। देश में सेना की वर्दी बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले चीनी और अन्य विदेशी कपड़े (फेब्रिक) की जगह इस्तेमाल के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) भारतीय कपड़ा उद्योग को धागे के उत्पादन में मदद कर रहा है। इससे इस क्षेत्र में आयात पर निर्भरता घटाने में मदद मिलेगी।डीआरडीओ में डायरेक्टोरेट आफ इंडस्ट्री इंटरफेस एंड टेक्नोलाजी मैनेजमेंट (डीआइआइटीएम) के निदेशक डा. मयंक द्विवेदी ने बताया कि भारतीय सेना की गर्मियों की वर्दी के लिए ही करीब 55 लाख मीटर कपड़े की जरूरत होती है और अगर नौसेना, वायुसेना और अर्धसैनिक बलों की सभी जरूरतों को जोड़ लिया जाए तो यह जरूरत प्रतिवर्ष 1.5 करोड़ मीटर से ऊपर पहुंच जाती है।

उन्होंने कहा, ‘हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान का अनुसरण कर रहे हैं, खासकर रक्षा उत्पादों के मामले में। अगर सशस्त्र बलों के लिए वर्दी बनाने के मकसद से इन धागों और कपड़ों का उत्पादन भारत में हो तो यह बड़ी उपलब्धि होगी क्योंकि इससे हमें आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।’

उन्होंने कहा कि उन्नत कपड़ों का इस्तेमाल पैराशूट और बुलेटप्रूफ जैकेटों की भविष्य की जरूरतों के लिए भी किया जा सकता है। डा. द्विवेदी ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में ग्लास फैब्रिक, कार्बन फेब्रिक, अरामिड फेब्रिक और एडवांस सिरेमिक फेब्रिक जैसे टेक्निकल टेक्सटाइल की काफी संभावना है। अहमदाबाद और सूरत में कुछ उद्योग रक्षा क्षेत्र में उपयोग किए जाने वाले उन्नत कपड़ों का उत्पादन कर भी रहे हैं।

Related Articles

Back to top button