कांग्रेस को जल्द मिल सकता है नया अध्यक्ष, बंद लिफाफे से निकलेगा नाम

नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव में लगातार दूसरी बड़ी हार के बाद कांग्रेस के भीतर संकट के बादल छाए हुए हैं। हार के बाद से ही राहुल गांधी अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं और पार्टी को कोई नया अध्यक्ष मिल नहीं पा रहा है। मगर अब कांग्रेस का यह संकट जल्दी ही खत्म होने के आसार बनने लगे हैं। 15 जुलाई को कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल सकता है। नए अध्यक्ष का नाम बंद लिफाफे से निकलेगा। कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सभी सदस्य इस नए नाम पर मोहर लगाएंगे। गांधी परिवार पहली बार यह जताना चाहता है कि वह पार्टी पर अध्यक्ष थोपना नहीं चाहते, बल्कि पार्टी अपनी मर्जी से नया अध्यक्ष चुनेगी ताकि भाजपा को यह मौका नहीं मिले कि अभी भी कांग्रेस गांधी परिवार के हाथों में खेल रही है।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सभी मैंबरों को दिल्ली में ही रुकने का आदेश जारी किया गया है और संभावना है कि 15 जुलाई को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग बुलाई जाएगी जिसमें राहुल गांधी के इस्तीफे को स्वीकार कर नए अध्यक्ष के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा। नए अध्यक्ष के नाम के लिए वर्किंग कमेटी के सभी सदस्यों से उनकी राय पूछी गई है और उनसे बंद लिफाफे अपने अपने तीन-चार पसंदीदा नेताओं के नाम लिखकर पार्टी महासचिव के.सी. वेणुगोपाल को देने को कहा है। सी.डब्ल्यू.सी. के सभी सदस्यों के बीच नए अध्यक्ष को बातचीत जारी है। सभी नेताओं से उनकी पसंद पूछी जा रही है।
पार्टी ने वेणुगोपाल को ही यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वे किसी एक नाम पर सहमति बनाने का प्रयास करें। अध्यक्ष पद के लिए नौजवान नेताओं में पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और मुंबई के पूर्व अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा तो बुजुर्ग नेताओं में सुशील शिंदे व मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम चल रहे हैं। लोकसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी के सामने संकट गहराता जा रहा है। कर्नाटक में कांग्रेस व जनता दल (एस) सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं तो गोवा में 10 विधायक पार्टी को अलविदा कह गए हैं। पार्टी को डर है कि कहीं यह सिलसिला आगे राजस्थान व मध्य प्रदेश की तरफ न मुड़ जाए।
अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस सभी राज्यों में अपनी सरकार को गंवा सकती है। पार्टी को इस बात का भी डर है कि कोई राष्ट्रीय अध्यक्ष न होने से पार्टी बेलगाम होकर रह गई है। पंजाब भी इसका जीता जागता उदाहरण है, जहां मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच लंबी ठन चुकी है और सिद्धू अपना महकमा तक पिछले लंबे समय से नहीं संभाल रहे हैं। पार्टी को यह भी डर है कि अगर भाजपा ने सदस्यता अभियान के बाद कहीं अपने पैर मजबूती से पंजाब में रखे तो पंजाब की सरकार पर भी संकट के बादल न छा जाएं। इसलिए कांग्रेस हाईकमान जल्द से जल्द नया अध्यक्ष चुनना चाहता है।