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दिल्ली में नहीं पकेंगे मिट्टी के बर्तन, भट्ठियां बंद करने की तैयारी

नई दिल्ली: एनजीटी के सख्त रुख के बाद अब दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने भी अपना रोल बखूबी निभाना शुरू कर दिया है। दिल्ली सरकार की प्रदूषण नियंत्रण समिति ने शुक्रवार को वेस्ट दिल्ली की तमाम कुम्हार कॉलोनियों के अंदर अपना हुक्मनामा टंगवा दिया है। जिसके तहत कुम्हारों को अपनी मिट्टी के बर्तन पकाने वाली तमाम भट्ठियों को बंद करने का आदेश दिया गया है।

सरकारी आदेश है कि 27 जुलाई को नगर निगम, दिल्ली पुलिस, जिलाधिकारी और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की टीम द्वारा चालू हालत में पाई जीने वाली सभी भट्ठियों को सील कर देगी। यदि ऐसा हुआ तो वेस्ट दिल्ली के सैनिक एंक्लेव, विकास नगर और उत्तम नगर इत्यादि स्थानों पर लगभग 8 हजार कुम्हारों का रोजगार छिन जाएगा। जिनके पास अपनी अजीविका चलाने के लिए दूसरा कोई विकल्प अभी तक मौजूद नहीं है। एनजीटी ने दिल्ली में प्रदूषण फैलाने के लिए जब से कुम्हारों और उनकी लकड़ी और कोयले से चलने वाली भट्ठियों को लपेटे में लिया है, तब से दिल्ली की कुम्हार कॉलोनियों में रहने वाले हजारों मजदूरों को ठीक से खाना-पानी हजम नहीं हो रहा है।

पिछले छह महीने से यहां लोगों को अपने रोजगार उजड़ जाने की चिंता में रात को नींद नहीं आ रही है। उत्तम नगर स्थित कुम्हार कॉलोनी में कुम्हारों ने बताया कि यह उनका पुश्तैनी रोजगार है। जिसे वह सैकड़ों सालों से करते आ रहे हैं। वह और उनके बच्चे सब मिट्टी के बर्तन बनाने के काम में ही लगे हुए हैं। न वह और न ही बच्चों ने पढ़ाई की है। ऐसे में अपना पुश्तैनी रोजगार छूट गया तो वह दूसरा कौन सा काम करेंगे।

लोगों ने बताया कि उनके बीच में ही काम करने वाले कई कारीगरों को राष्टपति के हांथों पुरस्कार मिल चुका है। कइयों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार भी जीता है। मौजूदा समय सरकार को भी पता है कि मिट्टी के बर्तन प्लास्टिक या धातुओं के बर्तनों से ज्यादा स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। लेकिन दिल्ली सरकार दिल्ली से कुम्हारों और हस्त-कला दोनों को मिटाना चाहती है।

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