गुना: वितरण केंद्रों पर किसानों की लाइन।नानाखेड़ी मंडी स्थित डबल लॉक से खाद वितरण किया जा रहा है। क्यूलेस करने के लिए सुबह ही टोकन वितरित किये जाते हैं। इससे किसानों को लाइन में लगना नहीं पड़ रहा है। टोकन के हिसाब से 5-5 किसानों को बुलाया जाता है और खाद की पर्ची दी जा रही है। वितरण केंद्र पर बड़ी संख्या में किसान जरूर मौजूद हैं, लेकिन लाइन में लगना नहीं पड़ रहा है। पिछली बार की जगह इस बार स्थिति बेहतर है। पिछली बार 3-3 दिनों तक किसानों को लाइन में लगना पड़ रहा था।बता दें कि CM शिवराज सिंह चौहान ने इस बार क्यूलेस खाद वितरण के निर्देश दिए थे। CM के निर्देशों के बाद इस बार टोकन व्यवस्था की गई हैं सुबह ही किसानों को टोकन दे दिए जाते हैं, और उसी हिसाब से किसान खाद लेने पहुंच रहे हैं। रोजाना 500-600 टोकन वितरित किये जाते हैं। इससे वितरण केंद्रों पर लंबी लाइनें नहीं लग रही हैं। वहीं जरूरत के हिसाब से प्राइवेट विक्रेताओं को भी केंद्रों पर बुला लिया जा रहा है। उनसे भी टोकन के हिसाब से पर्ची काटकर खाद वितरण कराया जा रहा है।इस बार पोस्ट मानसून बारिश भरपूर हो जाने से किसानों को DAP की आवश्यकता 15 दिन पहले ही पड़ गई थी। अब यूरिया की मांग तेजी से बढ़ी है। पहले बोवनी होने से फसल जल्दी ग्रोथ करने लगी है। अब उसे यूरिया की जरूरत है। इस बार चने का रकबा कम हुआ है, जबकि गेहूं और सरसों का रकबा बढ़ा है। यही वजह है कि अब यूरिया की ज्यादा मांग है, लेकिन वितरण केंद्रों पर एक किसान को मात्र 2-5 बोरी यूरिया दिया जा रहा है।इतनी है आवश्यकतायूरिया : रबी सीजन में इस बार 60 हजार मीट्रिक टन खपत की संभावना है। प्रशासनिक आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर माह में 8 हजार टन डिमांड के मुकाबले 8617 टन का वितरण हो चुका है। वहीं नवंबर में कुल डिमांड का 50 फीसदी अब तक मिल चुकी है। हालांकि शुक्रवार को जिलेभर के 7 वितरण केंद्रों पर 1274 मीट्रिक टन खाद उपलब्ध थी।डीएपी: पिछले साल इसका अभूतपूर्व संकट रहा। इस बार इसकी 25 हजार मीट्रिक टन खपत की संभावना है। अभी तक जिले को 8327 टन डीएपी ही मिली थी। फिलहाल 919 टन डीएपी बची हुई है। अब तक इसकी मारामारी जैसी स्थिति नहीं बनी है। 15 नवंबर के बाद इसकी डिमांड तेजी से बढ़ेगी, तब असल स्थिति सामने आएगी।5 बजे से पहुंच जाते हैं किसाननानाखेड़ी गल्ला मंडी में खाद की आस में रोजाना पांच बजे से किसान पहुंच जाते हैं। शाम तक मुश्किल से 10-20 फीसदी किसानों को ही खाद मिल पाती है। बीच-बीच में अचानक सर्वर काम करने लगता है। इस दौरान जिस किसान का नंबर रहता है, मशीन पर उसके अंगूठे की छाप लेकर खाद दे दी जाती है। किसानों के अलावा पुलिसकर्मी, पटवारी और कृषि विभाग के कर्मचारी भी परेशान रहते हैं। उन्हें ड्यूटी पर पहुंचना पड़ता है। दिन का ज्यादातर समय इंतजार में ही बीत जाता है।सारा सिस्टम ऑनलाइनअधिकारी बताते हैं कि खाद वितरण का पूरा सिस्टम ऑनलाइन रहता है। पीओएस मशीन पर बायोमेट्रिक पहचान के बाद ही संबंधित किसान को खाद जारी होपाती है। ऐसे में अगर सर्वर ठप हो जाए तो सब कुछ बंद हो जाता है। पांच दिन से प्रदेशभर में किसान परेशान हो रहे हैं लेकिन उनकी सुध नहीं ली गई। अब जाकर ऑफलाइन वितरण की व्यवस्था लागू की जा रही है।”सर्वर की समस्या पूरे प्रदेश में है। इससे सभी तरह के आधार बेस्ड आपरेशन प्रभावित हो रहे हैं। वे चाहे खाद वितरण संबंधी हों या बैंक अथवा डाकघर का काम। सभी जगह समस्या आ रही है। यह कब तक ठीक होगा, फिलहाल हम नहीं कह सकते हैं। वैसे शुक्रवार एक पत्र आया है, जिसके मुताबिक व्यवस्था सुधरने तक किसानों को ऑफलाइन खाद दी जाएगी।” – गरिमा सेंगर, डीएमओ विपणन संघ
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