ब्रेकिंग
पार्सल में आया बम, डिलीवरी लेते वक्त फटा; 2 लोग जख्मी मणिपुर में सुरक्षा बलों ने तेज की कार्रवाई, अलग-अलग सफल अभियानों में कई गोला-बारूद बरामद धक्का-मुक्की कांड: कल घायल सांसदों का बयान दर्ज कर सकती है क्राइम ब्रांच, CCTV फुटेज इकट्ठा करने की ... ‘बेशक कुछ लोगों ने…’, भुजबल की नाराजगी पर अब अजित पवार ने तोड़ी चुप्पी संगीता बलवंत ने नेहरू के जन्मदिन पर बाल दिवस मनाने पर उठाए सवाल, कही ये बात बिहार पंचायत के पुस्तकालयों में IAS के पिता की कई किताबें, मंत्री बोले- जांच कराई जाएगी एक दिन बड़ा आदमी बनूंगा…जब भरी महफिल में अनिल कपूर के कपड़ों का बना मजाक तो रोते हुए एक्टर ने खाई कस... सुरेश रैना का 24 गेंदों वाला तूफान, फाइनल में 9 चौके 1 छक्का जड़कर की रनों की बौछार नया बिजनेस शुरू करने के लिए 1 करोड़ काफी नहीं, बिड़ला ने क्यों कही ये बात? तिरुमाला के ‘श्री वेंकटेश्वर मंदिर’ में AI लाने की तैयारी, तीर्थयात्रियों को ऐसे होगा फायदा

तेजी से बढ़ रहे काला मोतियाबिंद के मामले

गोरखपुर। काला मोतियाबिंद मरीजों की आंखों की रोशनी छीन रहा है। मोतियाबिंद को नजर अंदाज करने वाले लोग इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में काला मोतियाबिंद से पीड़ित मरीजों की संख्या पिछले एक साल में तेजी से बढ़ी है। पहले जहां हर माह 10 फीसदी मरीज आते थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 20 से 25 फीसदी हो गई है। इनमें पांच प्रतिशत मरीजों की आंखों की रोशनी चली जा रही है।

जानकारी के मुताबिक, बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हर माह मोतियाबिंद के करीब 200 ऑपरेशन होते हैं। इनमें 25 से 30 मरीज काला मोतियाबिंद से पीड़ित मिल रहे हैं। इनके अलावा 10-12 प्रतिशत मरीजों को दवा देकर इलाज किया जाता है। डॉक्टरों की भाषा में इस बीमारी को ग्लूकोमा भी कहते हैं।बीआरडी मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ राम कुमार जायसवाल ने बताया कि काला मोतियाबिंद बेहद खतरनाक बीमारी है। इस बीमारी में मरीजों को कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है। यही वजह है कि इस बीमारी में मरीजों की आंखों की रोशनी चली जाती है।

काला मोतियाबिंद में आंखों की नसों (ऑप्टिक नर्व) पर दबाव पड़ता है, इससे उन्हें काफी नुकसान पहुंचता है। लगातार दबाव पड़ने से नर्व तक ब्लड की सप्लाई नहीं पहुंचती है, इससे नर्व नष्ट हो जाती है। इसी ऑप्टिक नर्व के जरिए सूचनाएं और चित्र दिमाग तक पहुंचता है। यदि ऑप्टिक नर्व और आंखों के अन्य भागों पर पड़ने वाले दबाव को कम न किया जाए, तो आंखों की रोशनी चली जाती है।एक बार अगर काला मोतियाबिंद से आंखों की रोशनी चली गई, तो दोबारा रोशनी नहीं मिलती है। बताया कि इस बीमारी का शिकार 40 से 45 वर्ष के युवा भी हो रहे हैं। तीन से चार युवा ऐसे मिले हैं, जिनकी आंखों की रोशनी 70 फीसदी से अधिक जा चुकी है। इनकी सर्जरी भी अब नहीं हो सकती है। दवा देकर इलाज किया जा रहा है।

पांच तरह का होता है काला मोतियाबिंद

डॉ राम कुमार जायसवाल ने बताया कि काला मोतियाबिंद पांच तरह का होता है। पहला प्राथमिक या ओपन एंगल ग्लूकोमा, एंगल क्लोजन ग्लूकोमा, लो टेंशन या नार्मल टेंशन ग्लूकोमा, कोनजेनाइटल ग्लूकोमा और सेकेंडरी ग्लूकोमा होता है। बताया कि पूर्वांचल में सबसे अधिक मरीज ओपन एंगल ग्लूकोमा के मिलते हैं। हर माह 25 से 30 मरीज काला मोतियाबिंद के इलाज के लिए आ रहे हैं। इनमें पांच फीसदी मरीजों की आंखों की रोशन भी चली जा रही है।

काला मोतियाबिंद के लक्षण

डॉ. राम कुमार जायसवाल ने बताया कि आमतौर पर काला मोतियाबिंद का कोई विशेष लक्षण नहीं होता है। यही वजह है कि लोगों को इस बीमारी का पता समय से नहीं चल पाता है। इलाज में देरी की वजह से मरीजों की आंखों की रोशनी चली जाती है। आंखों और सिर में तेज दर्द होना। नजर कमजोर होना या धुंधला दिखाई देना। आंखें लाल होना। रोशनी के चारों ओर रंगीन छल्ले दिखाई देना। जी मचलाना और उल्टी होना जैसे लक्षण मिलते हैं।

पार्सल में आया बम, डिलीवरी लेते वक्त फटा; 2 लोग जख्मी     |     मणिपुर में सुरक्षा बलों ने तेज की कार्रवाई, अलग-अलग सफल अभियानों में कई गोला-बारूद बरामद     |     धक्का-मुक्की कांड: कल घायल सांसदों का बयान दर्ज कर सकती है क्राइम ब्रांच, CCTV फुटेज इकट्ठा करने की कवायद तेज     |     ‘बेशक कुछ लोगों ने…’, भुजबल की नाराजगी पर अब अजित पवार ने तोड़ी चुप्पी     |     संगीता बलवंत ने नेहरू के जन्मदिन पर बाल दिवस मनाने पर उठाए सवाल, कही ये बात     |     बिहार पंचायत के पुस्तकालयों में IAS के पिता की कई किताबें, मंत्री बोले- जांच कराई जाएगी     |     एक दिन बड़ा आदमी बनूंगा…जब भरी महफिल में अनिल कपूर के कपड़ों का बना मजाक तो रोते हुए एक्टर ने खाई कसम     |     सुरेश रैना का 24 गेंदों वाला तूफान, फाइनल में 9 चौके 1 छक्का जड़कर की रनों की बौछार     |     नया बिजनेस शुरू करने के लिए 1 करोड़ काफी नहीं, बिड़ला ने क्यों कही ये बात?     |     तिरुमाला के ‘श्री वेंकटेश्वर मंदिर’ में AI लाने की तैयारी, तीर्थयात्रियों को ऐसे होगा फायदा     |