गौतम बुद्ध नगर: मृतक रविन्द्र भाटीग्रेटर नोएडा वेस्ट से बीते 12 नवंबर को गायब हुई हेमा चौधरी का पुलिस ने न केवल पता लगा लिया बल्कि उसकी हत्या के आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। पुलिस की इस त्वरित और कर्तव्यपरायण कार्रवाई से जहां पुलिस की सभी जगह भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है, वहीं हेमा चौधरी के परिजन इस बात को लेकर संतुष्ट है कि उनकी बेटी के कातिल सलाखों के पीछे हैं और उन्हें कोर्ट से अपराध की सजा मिलेगी। वहीं बीते 19 अक्टूबर को दीपावली से ठीक पहले दादरी के बील अकबरपुर गांव निवासी ज्ञानेन्द्र भाटी के इकलौते पुत्र रविन्द्र भाटी की हत्या कर शव को रेलवे ट्रैक पर डाल दिया गया। घटना के बाद से ही पीड़ित परिवार पुलिस से लगातार गुहार लगा रहा है कि मामले की जांच कर उनके बेटे के हत्यारे का पता लगाया जाए। उसे कठोर सजा दिलवाई जाए, लेकिन इस मामले में पुलिस आंखों पर पट्टी बांधे बैठी है।पुलिस की कार्रशैली से प्रतीत होता है कि वह इस मामले को जल्द से जल्द ठंडे बस्ते में डाले जाने का इंतजार कर रही है। वहीं इकलौते बेटे की मौत के बाद न्याय की उम्मीद लगाए बैठे परिजनों की उम्मीदें हर रोज दम तोड़ रही हैं। लेकिन हेमा हत्याकांड़ के खुलासे ने उन्हें एक बार फिर से उम्मीद बंधाई है। परिजनों का कहना है यदि पुलिस मन से जांच करें तो उनके बेटे के हत्यारे का न केवल पता चल जाएगा बल्कि उसे अपराध की कठोर सजा भी मिल जाएगी। रविन्द्र के परिजन अब नई पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के दरबार में अपने बेटे के हत्यारे की तलाश के लिए गुहार लगाएंगे।क्या है पूरा मामला ?दरअसल, दादरी कोतवाली क्षेत्र के बील अकबरपुर गांव निवासी ज्ञानेन्द्र सिंह का पुत्र रविन्द्र (27) घर पर ही एनएच-91 पर एक ढाबा चलाता था। बीती 19 अक्टूबर को रविन्द्र का पत्नी सोनी से विवाद हुआ था। सूचना पाकर रविन्द्र का साला लोकेन्द्र वहां पहुंचा और स्थिति को शांत होने तक की बात कहकर अपनी बहन को अपने गांव हिम्मतपुर ले गया। जब रविन्द्र को इसके बारे में पता चला तो वह पत्नी को घर लाने की जिद करने लगा। अपने एक किराएदार कुलदीप निवासी राजस्थान को लेकर वह पड़ोस के घर नंगला अपने दोस्तों के पास गाड़ी लेने के लिए निकला था। इसके बाद वह घर पर नहीं लौटा। कई बार फोन करने पर उसका फोन नहीं उठ रहा था। परिजन चिंतित थे। अगले दिन सुबह परिजनों को पता चला कि एक युवक का शव अजयापुर चौकी के पास रेलवे ट्रेक पर पड़ा हुआ है। मौके पर पहुंचकर रविन्द्र के परिजनों ने शव की पहचान रविन्द्र के रूप में की। परिजनों के अनुसार उसके हाथ पर रविन्द्र का नाम, गांव का नाम और उसके साले का नाम लिखा हुआ था। लेकिन यह हेंडराइटिंग रविन्द्र की नहीं थी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।रेलवे ट्रैक पर मिला था शव।किराएदार कुलदीप ने बार बार परिजनों और पुलिस को दिए विरोधाभाषी बयानरविन्द्र के परिजनों ने किराएदार कुलदीप से पूछता कि जब वह तुम्हारे साथ नंगला गया था तो उसके साथ क्या हुआ ? कुलदीप ने परिजनों को बताया कि नंगला पहुंचने से पूर्व ही रविन्द्र ने शराब पी थी। उसे नशा हो गया था। मैंने उससे कहा कि वापस घर चलते हैं। इस बीच रविन्द्र मुझे चकमा देकर वहां से निकल गया। मैंने उसका काफी इंतजार किया लेकिन वह नहीं लौटा। इसके बाद मैंने रविन्द्र की बहन रजनी को कॉल कर बताया। बाद में वह घर लौट आया। परिजनों ने कहना है कि कुलदीप ने बताया था कि हादसे के समय रविन्द्र के पास फोन था, लेकिन उसकी आउट गोइंग समाप्त थी। जबकि दो दिन बाद चौकी प्रभारी ने बताया कि फोन घर पर ही है। तलाश करें। परिजनों ने फोन को तलाश किया और फोन घर पर ही मिल गया। बाद में पुलिस ने कुलदीप से कुछ पूछताछ की, जिसके बाद उसने अपना बयान बदल दिया और परिजनों को बताया कि रविन्द्र का फोन घर पर ही था।पुलिस ने घटना को हादसा सिद्ध करने का किया प्रयासपीड़ित परिजनों के अनुसार जिस हालत में रविन्द्र का शव रेलवे ट्रैक पर मिला था, उससे सीधे-सीधे प्रतीत हो रहा था कि यह कोई हादसा नहीं, बल्कि सोची समझी साजिश है। रविन्द्र की हत्या कर हादसा साबित करने के लिए शव को रेलवे ट्रेक पर रखा गया है। परिजनों का कहना है कि रेल की चपेट में आने से शव कई टुकड़ों में बंट जाता है। शरीर के कई अंग भी क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। लेकिन रविन्द्र के सिर में ही चोट का निशान था। पोस्टमार्टम से पूर्व ही पुलिस ने घटना को हादसा बताना शुरू कर दिया। पोस्टमार्टम में भी कुछ ऐसी चीजें सामने आई है, जिनसे पूरा घटनाक्रम हत्या की ओर इशारा करता है। इसके बाद भी पुलिस लगातार मामले को हादसा ही बताती रही। बाद में आला अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने मामले को हत्या में दर्ज किया।पुलिस चौकी प्रभारी की कार्यशैली से पीड़ित परिजन हतप्रभवपीड़ित परिजनों का कहना है कि तत्कालीन अजयापुर चौकी प्रभारी मामले को लगातार हादसा बता रहे थे। परिजनों द्वारा कुछ ऐसी बातें चौकी प्रभारी के सामने पेश की, जिससे उन्हें आशंका व्यक्त हो रही थी कि यह मामला हत्या का है। इसके बावजूद चौकी प्रभारी मामले को हत्या मानने को तैयार नहीं थे। वह मामले को केवल एक हादसा मानकर संतुष्ट थे। परिजनों का सवाल है कि ऐसा क्या सबूत चौकी प्रभारी के हाथ लग गया था, जिससे वह रविन्द्र की मौत हादसा लग रही है। वह रविन्द्र की मौत को हादसा क्यों साबित करना चाहते हैं ? पीडित परिजनों का कहना है कि कई बार कहने के बाद चौकी प्रभारी ने घटना के अहम किरादर और किराएदार कुलदीप को बुलाकर औपचारिक पूछताछ की। जो कुलदीप पहले परिजनों को बता रहा था कि रविन्द्र के पास फोन था, लेकिन उसकी आउंट गोइंग बंद थी, चौकी प्रभारी से मुलाकात के बाद से ही कहने लगा कि फोन रविन्द्र के पास नहीं था। घर पर ही रहा होगा। बड़ा सवाल, पुलिस ने कुलदीप को हिरासत में लेकर पूछताछ क्यों नहीं की ?पीडित परिजनों का कहना है कि इस पूरे घटनाक्रम में एक मात्र अहम किरदार कुलदीप है, फिर पुलिस ने कुलदीप को हिरासत में लेकर पूछताछ क्यों नहीं की ? जानकारी के बावजूद पुलिस ने उसे उसके घर राजस्थान क्यों जाने दिया ? क्या पुलिस ने कुलदीप को क्लीन चिट दे दी थी ?अजयापुर चौकी प्रभारी को लेकर है बड़ा इत्तेफाकरविन्द्र हत्याकांड में एक इत्तेफाक भी जुड़ा है। यह तत्कालीन चौकी अजायपुर चौकी प्रभारी को लेकर है। पीड़ित परिजनों ने बताया कि पूर्व में अजयापुर चौकी प्रभारी ही वीआईईटी चौकी प्रभारी रहे थे। वीआईईटी चौकी बील अकबरपुर गांव में ही स्थित हैं और मृतक रविन्द्र के मकान से पुलिस चौकी महज 500 मीटर दूर स्थित है। परिजनों ने यह भी बताया कि चौकी प्रभारी रविन्द्र और इस पूरे घटनाक्रम के अहम किरदार कुलदीप से परिचित था।आरपीएफ जांच में मिल रहे हैं हत्या के प्रमाणरविन्द्र हत्याकांड़ की जांच आरपीएफ द्वारा भी की जा रही है। जांच अधिकारी ने बताया कि 20 अक्टूबर को पटना राजधानी 12309 के चालक सत्यवीर सिंह ने स्टेशन मास्टर को सूचना दी थी, रेलवे ट्रेक के बीचों बीच एक शव पड़ा हुआ है। आरपीएफ जांच अधिकारी ने यूटीआई जांच में ट्रेन चालक सत्यवीर के बयान दर्ज किए गए हैं। अपने बयान में सत्यवीर ने इस बात की पुष्टि की है कि पटना राजधानी ट्रेन के गुजरने से पूर्व ही शव ट्रेन के बीचों बीच रखा गया था।
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