कोलंबो| श्रीलंका के शिक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को सभी स्कूलों को बंद रखने का फैसला किया है। कहा जा रहा है कि भारत से भारी धुंध आकर देश के कई हिस्सों में फैल गई है, जिस कारण लोगों को राह नहीं सूझ रही है।
मंत्रालय ने प्रतिकूल मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए शुक्रवार को सभी सरकारी और सरकार द्वारा अनुमोदित निजी स्कूलों के लिए अवकाश घोषित किया है।
मौसम विज्ञान विभाग और आपदा प्रबंधन केंद्र की सलाह के बाद स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया गया था।
गुरुवार सुबह से राजधानी कोलंबो और श्रीलंका के कई शहरों में हवा की गुणवत्ता में गिरावट के कारण कोहरा छाया रहा। नेशनल बिल्डिंग रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (एनबीआरओ) ने चेतावनी दी है कि वातावरण में धूल के कणों में वृद्धि के कारण बेहद अस्वास्थ्यकर स्थिति पैदा हो गई है।
एनबीआरओ के पर्यावरण निदेशक सरत पद्मसिरी ने मीडिया को बताया कि भारत से आने वाली तेज हवाओं के माध्यम से श्रीलंका के वायु क्षेत्र को दूषित करने वाले धूल के कणों का भारी प्रवाह इस स्थिति का एक प्रमुख कारण है।
एनबीआरओ के अनुसार, कोलंबो, जाफना, कैंडी, वावुनिया, त्रिंकोमाली, रत्नापुरा और पुतलम सहित देशभर के शहरों की वायु गुणवत्ता में गिरावट आई थी।
कोलंबो यूएस एयर क्वालिटी इंडेक्स (अदक) के 246 पर चिह्न्ति होने से सबसे अधिक प्रभावित था। कुरुनगला, जाफना, वावुनिया, कैंडी, त्रिंकोमाली सहित कई अन्य शहरों ने अदक में 200 से अधिक दर्ज किया। हालांकि, पद्मसिरी ने कहा कि एक-दो दिन में स्थिति सामान्य हो सकती है।
इस बीच, कोलंबो नगर परिषद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ. रुवान विजयमुनि ने स्कूलों से बच्चों को सार्वजनिक पार्को और खेल के मैदान में आने से रोकने का आग्रह किया और उन्हें क्लास रूम तक सीमित रखने की सलाह दी।
पर्यावरण सचिव डॉ. अनिल जसिंघे ने कहा कि स्थिति श्रीलंका के नियंत्रण से बाहर है, क्योंकि दूषित हवा दूसरे देश से आ रही है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संभाला जाना चाहिए। उन्होंने यह भी आगाह किया कि बच्चे, गर्भवती, बुजुर्ग और जो लोग सांस संबंधी बीमारियों और हृदय रोग से पीड़ित हैं, वे घर पर रहें और सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचें।
उन्होंने चेतावनी दी, “यह स्थिति मौत का कारण भी बन सकती है।”