भोपाल: वरिष्ठ समाजवादी नेता और जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का शनिवार को मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के उनके पैतृक गांव अंखमऊ में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनकी पार्थिव देह को बेटे शांतनु बुंदेला और बेटी सुभाषिनी ने मुखाग्नि दी। अंतिम सफर पर देश भर के दिग्गज शामिल हुए। सीएम शिवराज, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल के साथ परिवारजन के सदस्यों ने हुए नम आंखों से श्रद्धांजलि दी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव राजनीति में क़रीब 50 साल तक सक्रिय रहे। बीते दिन शरद यादव ने 75 साल की उम्र में गुड़गांव के फ़ोर्टिस मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में अंतिम सांसें ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री का जन्म मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम में जुलाई, 1947 में हुआ था। वे जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में गोल्ड मेडलिस्ट रहे। वे 27 साल की उम्र में जबलपुर यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष थे और छात्र आंदोलन के चलते जेल में थे। जेल से ही जबलपुर का चुनाव जीता।
जनता पार्टी की आंधी की पहली झलक शरद यादव की जीत से ही मिली। शरद यादव के राजनीतिक जीवन में दूसरा अहम मोड़ आया 1989 में, जब वे जनता दल के टिकट पर बदायूं से लोकसभा में पहुंचे। वीपी सिंह की सरकार में वे कपड़ा मंत्री तो थे, लेकिन जब देवीलाल और वीपी सिंह में नहीं बनी तो उन्होंने वीपी सिंह का साथ दिया।
बिहार में मधेपुरा की पहचान यादवों के गढ़ के तौर पर होती है और शरद यादव 1991, 1996, 1999 और 2009 में वहां से जीते। वे मधेपुरा से चार बार हारे भी। 1998, 2004 में लालू प्रसाद से, 2014 में आरजेडी उम्मीदवार पप्पू यादव से और 2019 में जेडीयू के दिनेश यादव से। वे 2003 से 2016 तक जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष भी रहे। शरद यादव केंद्र की राजनीति में क़रीब पांच दशक तक सक्रिय रहे। इन्हें समाजवाद का सच्चा सिपाही कहा जाता था।