अमृतसर । गुरु नानक देव अस्पताल स्थित रक्त बैंक सूख गया है।यहां ओ पॉजिटिव रक्त समूह को छोड़कर अन्य समूह का रक्त नहीं है।आपातकालीन स्थिति में लाए जा रहे मरीजों अथवा गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी के लिए रक्त की अनिवार्यता है।वहीं थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को भी रक्त चाहिए।वर्तमान में यह स्थिति है कि जिस मरीज को रक्त चाहिए,पहले वह रक्तदाता साथ लाएगा।यह नियम सड़क दुर्घटनाओं में घायल या गर्भवती महिलाओं पर भी लागू किया गया है।यह तब है जब सरकारी आदेश है कि रक्त के लिए रक्तदाता की मांग नहीं की जा सकती।
आखिर रक्त बैंक में रक्त की कमी क्यों आई? यह सवाल ही रक्त बैंक की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहा है।रक्त बैंक का संचालन करने वाले अधिकारी रक्तदान शिविर नहीं लगा रहे। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि रक्त बैंक में पिछले दो सालों से पीआरओ का पद रिक्त है।पूर्व पीआरओ रवि महाजन की सेवानिवृत्ति के बाद रक्त बैंक प्रशासन ने उन्हें ठेके की नौकरी पर रखा, पर समय पर वेतन न मिलने की वजह से रवि महाजन 2021 में नौकरी छोड़ गए। जब तक रवि महाजन पीआरओ रहे तब तक शहर की विभिन्न रक्तदाता सोसायटियों द्वारा रक्तदान शिविर लगाए जाते रहे।
रक्त बैंक का एक नियम यह है कि यहां कम से कम 200 यूनिट सरपल्स होना चाहिए। जीएनडीएच स्थित रक्त बैंक में महज 100 यूनिट शेष हैं। जीएनडीएच के चिकित्सा अधीक्षक डा. कर्मजीत सिंह का कहना है कि हमने बटाला से 15 यूनिट मंगवाए हैं। रविवार को दो जगहों पर रक्तदान शिविर लगाए गए हैं। डा. कर्मजीत ने माना कि पीआरओ न होने की वजह से काफी परेशानी आई है। रक्तदाताओं को प्रोत्साहित करने के लिए पीआरओ की अनिवार्यता है। सरकार को पीआरओ की नियुक्ति को लिखा है।डा. कर्मजीत के अनुसार गायनी विभाग में गर्भवती महिलाओं को रक्त देना पड़ता है। इनके साथ रक्तदाता नहीं होता। इसके अलावा मेडिसिन व सर्जिकल वार्डों में कई बुजुर्ग उपचाराधीन हैं। इसके साथ भी रक्तदाता नहीं। इस वजह से सारा बोझ रक्त बैंक पर है।