ब्रेकिंग
संभल में हिंदू परिवारों को वापस मिली जमीन, 47 साल पहले भगाए गए थे; 10 हजार स्क्वायर फीट पर था कब्जा चुनाव नियमों में संशोधन मामला: जयराम रमेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में कल होगी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली तो क्या करेंगी पूर्व ट्रेनी IAS पूजा खेडकर? IIT बॉम्बे से इंजीनियरिंग, फोटोग्राफी में मास्टर; हरियाणा का छोरा कैसे बन गया गोरख बाबा? अंबानी, हनी सिंह, पंत…स्टीव जॉब्स की पत्नी ही नहीं, ये हस्तियां भी हैं निरंजनी अखाड़े की शिष्य आचार संहिता उल्लंघन करने वालों पर EC करे कार्रवाई… शाहदरा में राघव चड्ढा ने निकाला रोड शो जयपुर की वो जगह, जहां मिलता है भारत के हर कोने का खाना; मसाले से है कनेक्शन आपके खून-पसीने की कमाई…क्राउड फंडिंग के जरिए 40 लाख का चंदा मिलने पर क्या बोले सिसोदिया दिल्ली कांग्रेस ने जारी की नई लिस्ट, मुंडका से धर्मपाल तो ओखला से अरीबा खान को टिकट दारोगा के घर पर लुटेरी दुल्हन का ‘राज’, अब तक 4 को बनाया शिकार; कैसे खुली पोल?

जानिए कौन है गुरु अंगद देव

अंगद देव का पूर्व नाम लहना था. भाई लहणा जी के ऊपर सनातन मत का प्रभाव था, जिस के कारण वह देवी दुर्गा को एक स्त्री एंवम मूर्ती रूप में देवी मान कर, उसकी पूजा अर्चना करते थे.

वो प्रतिवर्ष भक्तों के एक जत्थे का नेतृत्व कर ज्वालामुखी मंदिर जाया करता था. 1520 में, विवाह माता खीवीं जी से हुआ. उनसे उनके दो पुत्र – दासू जी एवं दातू जी तथा दो पुत्रियाँ – अमरो जी एवं अनोखी जी हुई. मुगल एवं बलूच लुटेरों (जो कि बाबर के साथ आये थे) की वजह से फेरू जी को अपना पैतृक गांव छोड़ना पड़ा. इसके पश्चात उनका परिवार तरन तारन के समीप अमृतसर से लगभग 25 कि॰मी॰ दूर स्थित खडूर साहिब नामक गांव में बस गया, जो कि ब्यास नदी के किनारे स्थित था.

बाबा नानक से मिलन और गुरमत विचारधारा से सहमती: एक बार भाई लहना जी ने भाई जोधा जी (सतगुर नानक साहिब के अनुयायी एक सिख) के मुख से गुरू नानक साहिब जी के शबद सुने और शब्द में कहे गए गुरमत के फलसफे से वो बहुत प्रभावित हुए. लहना जी निर्णय लिया कि वो सतगुर नानक साहिब के दर्शन के लिए करतारपुर जायेंगे. उनकी सतगुर नानक साहिब जी से पहली भेंट ने उनके जीवन में क्रांति ला दी. सतगुर नानक ने उन्हें आदि शक्ति या हुक्म का भेद समझाया और बताया की परमेशर की शक्ति कोई औरत या मूर्ती नहीं है बल्कि वोह वो रूप हीन है और उसकी प्राप्ति सिर्फ अपने अंदर से ही की जा सकती है. सतगुरु नानक से भाई लहने ने आत्म ज्ञान लिया जिसने उन्हें पूर्ण रूप से बदल दिया.

वो सतगुर नानक साहिब की विचारधारा के सिख बन गये एवं करतारपुर में निवास करने लगे. वे सतगुर नानक साहिब जी के अनन्य सिख थे. सतगुर नानक देव जी के महान एवं पवित्र मिशन के प्रति उनकी महान भक्ति और ज्ञान को देखते हुए सतगुर नानक साहिब जी ने 7 सितम्बर 1531 को गुरुपद प्रदान किया और गुरमत के प्रचार का जिम्मा सौंपा गया. सतगुर नानक के लडके इस बात से नाराज हुए और गुरु घर के विरोधी बन गए.गुरू साहिब ने उन्हें एक नया नाम अंगद (गुरू अंगद साहिब) दिया. उन्होने गुरू साहिब की सेवा में ६ से 7 वर्ष करतारपुर में बिताये.

22 सितम्बर 1531 को गुरू नानक साहिब जी की ज्योति जोत समाने के पश्चात गुरू अंगद साहिब करतारपुर छोड़ कर खडूर साहिब गांव (गोइन्दवाल के समीप) चले गये. उन्होने गुरू नानक साहिब जी के विचारों को दोनों ही रूप में, लिखित एवं भावनात्मक, प्रचारित किया. विभिन्न मतावलम्बियों, मतों, पंथों, सम्प्रदायों के योगी एवं संतों से उन्होंने आध्यात्म के विषय में गहन वार्तालाप किया.

संभल में हिंदू परिवारों को वापस मिली जमीन, 47 साल पहले भगाए गए थे; 10 हजार स्क्वायर फीट पर था कब्जा     |     चुनाव नियमों में संशोधन मामला: जयराम रमेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में कल होगी सुनवाई     |     सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली तो क्या करेंगी पूर्व ट्रेनी IAS पूजा खेडकर?     |     IIT बॉम्बे से इंजीनियरिंग, फोटोग्राफी में मास्टर; हरियाणा का छोरा कैसे बन गया गोरख बाबा?     |     अंबानी, हनी सिंह, पंत…स्टीव जॉब्स की पत्नी ही नहीं, ये हस्तियां भी हैं निरंजनी अखाड़े की शिष्य     |     आचार संहिता उल्लंघन करने वालों पर EC करे कार्रवाई… शाहदरा में राघव चड्ढा ने निकाला रोड शो     |     जयपुर की वो जगह, जहां मिलता है भारत के हर कोने का खाना; मसाले से है कनेक्शन     |     आपके खून-पसीने की कमाई…क्राउड फंडिंग के जरिए 40 लाख का चंदा मिलने पर क्या बोले सिसोदिया     |     दिल्ली कांग्रेस ने जारी की नई लिस्ट, मुंडका से धर्मपाल तो ओखला से अरीबा खान को टिकट     |     दारोगा के घर पर लुटेरी दुल्हन का ‘राज’, अब तक 4 को बनाया शिकार; कैसे खुली पोल?     |