केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी ने अपनी व्यक्तिगत लड़ाई को लोकतंत्र की लड़ाई बना दिया है। वे राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बने रहने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसकी जितनी भी आलोचना की जाए कम होगी।ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आगे कहा कि देश में एक माहौल बनाया जा रहा है। शहर-शहर में ट्रेनें रोकी गईं, आमजन को परेशानी हुई, क्या ये गांधीवाद का सिद्धांत है? एक व्यक्ति विशेष के लिए ऐसा क्यों हो रहा है। कांग्रेस द्वारा राहुल गांधी को एक विशेष सत्कार दिया जा रहा है। जमानत के लिए जब गए तो नेताओं की पूरी फौज ले गए। यह अदालत के ऊपर दबाव का प्रयास नहीं है तो क्या है?
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राहुल गांधी को कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा यह पहली बार नहीं है कि जब किसी को संसदीय सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया है, लेकिन अयोग्यता को लेकर अभी जो हो-हल्ला मचाया जा रहा है वह शर्मनाक है। वे लोकतंत्र के मंदिर संसद को बाधित कर रहे हैं।उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी के लिए कुछ लोग ‘फर्स्ट क्लास सिटिजन’ हैं और हम-आप ‘थर्ड क्लास सिटिजन’ हैं। जिस कांग्रेस पार्टी ने पिछड़े वर्ग को कलंकित और अपमानित करने का काम किया है, सैनिकों की पिटाई हुई जैसा वक्तव्य दिया है। ऐसी कांग्रेस पार्टी की कोई विचारधारा नहीं बची है। इनकी केवल एक विचारधारा बची है और वो है, देशद्रोही की विचारधार और देश के विरूद्ध काम करने की विचारधारा।
पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सवाल पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी कभी किसी के ऊपर दबाव नहीं डालती है। मैं यह भी नहीं कहना चाहता हूं कि सरकार दबाव डाल रही है, लेकिन एक उदाहरण है कि एक व्यक्ति जिसे 3 साल सजा होती है, इसके बावजूद उसकी सदस्यता रद्द नहीं की जाती और एक राहुल गांधी हैं, जिन्होंने सच कहा उनकी सदस्यता रद्द की जाती है।इसके अलावा कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस पार्टी पर की गई टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा मैंने स्पीकर से ये कहा है कि सदन में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए, क्योंकि मुझे लगता है कि राहुल गांधी पर जिस तरह त्वरित गति से कार्रवाई की गई है, उससे पूरे हिंदुस्तान में सदन की कार्यवाही पर सवाल उठ रहे हैं। इससे निपटने के लिए खुली चर्चा होनी चाहिए।