ब्रेकिंग
कानपुर में भी लखनऊ की तरह हुई थी ‘डकैती’, मैनेजर ने ही तुड़वा दिए थे बैंक लॉकर; 11 ग्राहकों को लौटान... बरेली की अदालत ने ओवैसी को भेजा नोटिस, 7 जनवरी को पेश होने का निर्देश; जानिए पूरा मामला ‘साहब वोट मछुआरे देंगे डॉल्फिन नहीं’… मछली पकड़ने पर लगा बैन तो DM से बोले, गंगा का 72 किलोमीटर का ए... कुमार विश्वास ने सोनाक्षी सिन्हा पर क्या टिप्पणी की जिस पर हो गया विवाद, ये है पूरा बयान 14 छक्के, 37 चौके, ठोक दिए 403 रन, कोहली-पंड्या की तूफानी बैटिंग, 25 साल के अनजान खिलाड़ी ने ठोका शत... क्रिस्मस से न्यू ईयर तक इतने दिन बंद रहने वाले हैं बैंक, यहां देखें लिस्ट WhatsApp अकाउंट हो गया बैन? ये है ठीक करने का तरीका सफला एकादशी के दिन इस दुर्लभ संयोग में करें पूजा, हर काम में मिलेगी सफलता! म्यांमार: रखाइन स्टेट में अराकान आर्मी का कब्जा, 60 हजार रोहिंग्या ने इस मुल्क में ली शरण सर्दियों में घर पर चॉकलेट से बनाएं ये गरमा-गरम ड्रिंक, जानें रेसिपी

सरकारी वकील के अन्याय से परेशान महिला जज, कोर्ट में लगाई न्याय की गुहार

राजस्थान की राजधानी जयपुर शहर फैमिली कोर्ट संख्या-1 में एक अनोखा मामला देखने को मिला जहां दूसरों के फैसले करने वाली एक महिला जज ही अपनी शिकायत लेकर फैमिली कोर्ट पहुंची। यहां महिला जज ने एक सरकारी वकील के अन्याय के खिलाफ कोर्ट में शिकायत दी। असल में महिला जज और सरकारी वकील आपस में पति-पत्नी हैं।

जानकारी के अनुसार श्रीगंगानगर के श्रीकरणपुर में कार्यरत एडीजे इंदिरा बनेरा ने जयपुर शहर फैमिली कोर्ट संख्या-1 में जज पत्नी ने अपने बच्चों के भरण पोषण के लिए फैमिली कोर्ट में प्रार्थना पत्र लगा रखा था। इस मामले में दोनों पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने सरकारी वकील से बच्चों के अंतरिम भरण पोषण के लिए हर माह 24 हजार रुपये देने का निर्देश दिया है।

मामले के अनुसार प्रार्थना पत्र में इंदिरा बनेरा ने कहा था कि 24 नवंबर 2007 को उनकी शादी जयपुर के भारत अजमेरा से हुई थी। साल 2010 में दोनों को एक बेटी और 2015 में एक बेटा हुआ। दोनों बच्चे इंदिरा के साथ ही रहे पति भारत ने उन्हें कभी भी अपने साथ नहीं रखा। आरोप था कि पति और उसके परिवार वालों का बच्चों और उसके प्रति व्यवहार कभी भी अच्छा नहीं रहा। पति बच्चों की परवरिश में भी कोई जिम्मेदारी नहीं निभाई। इस वजह से उसे भरण पोषण दिलाया जाए। साथ ही ये भी आरोप लगाया कि शादी के समय पति रोजगार की तलाश में प्रयासरत था। उस समय मैंने आर्थिक सहयोग किया, जिसके चलते पति अजमेर में सहायक अभियोजन अधिकारी पद पर सेवारत हो गया। इसके बाद भी कभी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई।

प्रार्थना पत्र खारिज करने की मांग

वहीं, दूसरे पक्ष में वकील पति के अधिवक्ता डीएस शेखावत ने कोर्ट में कहा कि शिकायतकर्ता का वेतन ही दो लाख रुपये से ज्यादा है, जबकि उसके पति का वेतन मात्र 75 हजार रुपये है। वहीं, शिकायतकर्ता पत्नी ने खुद ही तलाक का प्रार्थना पत्र दायर कर रखा है। साथ ही वह खुद बच्चों का भरण-पोषण करने में सक्षम है। इस लिहाज से प्रार्थना पत्र खारिज किया जाए।

कोर्ट ने सुनाया फैसला

दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट पीठासीन अधिकारी अरुण कुमार दुबे ने पति को दोनों बच्चों के लिए 12-12 हजार रुपये महीने भरण पोषण भत्ता देने के आदेश दिए हैं। साथ ही भरण-पोषण राशि 20 दिसंबर 2021 से देने के लिए कहा है।

 

कानपुर में भी लखनऊ की तरह हुई थी ‘डकैती’, मैनेजर ने ही तुड़वा दिए थे बैंक लॉकर; 11 ग्राहकों को लौटाने पड़े थे 2.64 करोड़     |     बरेली की अदालत ने ओवैसी को भेजा नोटिस, 7 जनवरी को पेश होने का निर्देश; जानिए पूरा मामला     |     ‘साहब वोट मछुआरे देंगे डॉल्फिन नहीं’… मछली पकड़ने पर लगा बैन तो DM से बोले, गंगा का 72 किलोमीटर का एरिया है सील     |     कुमार विश्वास ने सोनाक्षी सिन्हा पर क्या टिप्पणी की जिस पर हो गया विवाद, ये है पूरा बयान     |     14 छक्के, 37 चौके, ठोक दिए 403 रन, कोहली-पंड्या की तूफानी बैटिंग, 25 साल के अनजान खिलाड़ी ने ठोका शतक     |     क्रिस्मस से न्यू ईयर तक इतने दिन बंद रहने वाले हैं बैंक, यहां देखें लिस्ट     |     WhatsApp अकाउंट हो गया बैन? ये है ठीक करने का तरीका     |     सफला एकादशी के दिन इस दुर्लभ संयोग में करें पूजा, हर काम में मिलेगी सफलता!     |     म्यांमार: रखाइन स्टेट में अराकान आर्मी का कब्जा, 60 हजार रोहिंग्या ने इस मुल्क में ली शरण     |     सर्दियों में घर पर चॉकलेट से बनाएं ये गरमा-गरम ड्रिंक, जानें रेसिपी     |