नई दिल्ली । संसद का बजट सत्र खत्म हो गया है, लेकिन परिषद सत्र के दूसरे चरण में कामकाज बिल्कुल भी नहीं हो सका। एक ओर जहां भाजपा और सत्तारूढ़ सांसदों ने लोकतंत्र को लेकर राहुल गांधी द्वारा दिए गए बयान को मुद्दा बनाया तो वहीं विपक्ष अदानी मामले को लेकर जेपीसी की मांग पर अड़ा रहा। विपक्ष आज भी अदानी मुद्दे को लेकर जेपीसी की मांग कर रहा है। राहुल गांधी जबरदस्त तरीके से केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर हैं। इसके अलावा कांग्रेस के तमाम नेताओं ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और अदानी मामले में जेपीसी की मांग की। इन सब के बीच से एनसीपी के प्रमुख और देश के वरिष्ठतम नेताओं में से एक शरद पवार ने जेपीसी को लेकर कुछ ऐसा बयान दे दिया, जिससे कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है।
शरद पवार के बयान से सरकार को संजीवनी मिल गई है। शरद पवार के बयान के बाद अब सरकार की ओर से भी प्रतिक्रिया आई है। केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने साफ तौर पर कहा है कि राहुल गांधी के राजनीतिक करियर को चमकाने के लिए कांग्रेस इसे एक मुद्दा बना रही थी। उन्होंने अपने बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट कमेटी बनाकर मुद्दे को देख रहा है। उन्होंने कहा कि ये सारा मुद्दा राहुल गांधी के राजनीतिक कैरियर को चमकाने के लिए बनाया जा रहा है। देश संविधान से चलता है। हालांकि, पवार के बयान पर राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि अदानी मामले पर चाहे तृणमूल कांग्रेस हो या एनसीपी की अपनी-अपनी अलग राय हो, लेकिन इससे विपक्ष की एकजुटता में कोई दरार नहीं आएगी। संजय राउत उद्धव गुट के नेता हैं, जो एनसीपी के साथ गठबंधन में हैं।
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा था कि जेपीसी की मांग हमारे सभी साथियों ने की, ये बात सच है मगर हमें लगता है कि जेपीसी में 21 में से 15 सदस्य सत्ताधारी पार्टी के होंगे। यहां ज्यादातर लोग सत्ताधारी पर्टी के हों, वहां देश के सामने सच्चाई कहां तक आएगी। शरद पवार ने कहा कि एक जमाना ऐसा था, जब सत्ताधारी पार्टी की आलोचना करनी होती थी तो हम टाटा-बिड़ला का नाम लेते थे। टाटा का देश में योगदान है। आजकल अंबानी-अदानी का नाम लेते हैं, उनका देश में क्या योगदान है, इस बारे में सोचने की आवश्यकता है।