मुंबई। महाराष्ट्र के मंत्री चंद्रकांत पाटिल के यह कहने के एक दिन बाद कि बाबरी मस्जिद विध्वंस में शिवसेना का एक भी कार्यकर्ता शामिल नहीं था, शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को या तो पद छोड़ देना चाहिए या अपनी टिप्पणी पर पाटिल का इस्तीफा मांग लेना चाहिए।
‘जब मस्जिद को गिराया जा रहा था, चूहे अपने बिलों में छिपे हुए थे’
उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जब मस्जिद को गिराया जा रहा था तो चूहे अपने बिलों में छिपे हुए थे। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी का हिंदुत्व ‘राष्ट्रवाद’ है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को यह बताना चाहिए कि उसका हिंदुत्व क्या है। उन्होंने आगे कहा कि या तो मुख्यमंत्री शिंदे को पाटिल की टिप्पणी पर इस्तीफा दे देना चाहिए या पाटिल का इस्तीफा मांग लेना चाहिए।
चंद्रकांत पाटिल ने क्या कहा?
एकनाथ शिंदे सरकार में उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता पाटिल ने सोमवार को कहा कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद के पास शिवसेना का एक भी कार्यकर्ता नहीं था, जब 6 दिसंबर 1992 को बजरंग दल और दुर्गा वाहिनी द्वारा इसे गिराया गया था। संयोग से, शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे को अक्सर यह कहते हुए सुना जा सकता है कि अगर उनके किसी सैनिक ने विवादित ढांचे के विध्वंस में भाग लिया तो उन्हें गर्व होगा।
‘बालासाहेब किसी की संपत्ति नहीं हैं’
पाटिल ने सीएम शिंदे पर बाल ठाकरे की विरासत चुराने का आरोप लगाने के लिए उद्धव ठाकरे पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि दिवंगत शिवसेना संस्थापक बालासाहेब किसी की संपत्ति नहीं हैं। वह ऐसे व्यक्ति थे, जिनका लोग बहुत सम्मान करते थे। वे सभी हिंदुओं की संपत्ति हैं और हर कोई उनके नाम (विरासत) का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र है।
पिछले साल दो गुटों में बंटी शिवसेना
पिछले साल जून में शिंदे के विद्रोह के बाद शिवसेना दो गुटों में टूट गई। इसमें से शिंदे गुट को पार्टी का नाम और ‘धनुष और तीर’ का प्रतीक मिला, जबकि उद्धव ठाकरे के गुट को शिवसेना (यूबीटी) का नाम दिया गया, जिसका प्रतीक ‘एक जलता हुआ मशाल’ है।