अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति के तत्वावधान में 15 मार्च को किशनगंज के करुआमणि से शुरू हुए संकल्प पदयात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत रविवार को दरभंगा से हुई। पदयात्रियों ने रविवार को शहीदे आजम भगत सिंह एवं पूर्व सांसद कामरेड भोगेंद्र झा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर यात्रा आरंभ की। मौके पर संघर्ष समिति के अध्यक्ष डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने बताया कि पृथक मिथिला राज्य के गठन, संवैधानिक भाषा मैथिली को उचित अधिकार, बाढ के स्थायी समाधान, मिथिला क्षेत्र के सर्वांगीण विकास सहित अनेक ज्वलंत मुद्दों पर आम व खास लोगों का ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से चल रही सात सौ किलोमीटर की संकल्प मिथिला पदयात्रा के पहले चरण में किशनगंज, सहरसा, मधेपुरा, कटिहार आदि जिलों में जनजागरण अभियान चलाया गया। अब इस यात्रा के माध्यम से दरभंगा जिले के लोगों को जागरूक किया जाएगा। रविवार को शिशिर कुमार झा के नेतृत्व में शुरू हुई पदयात्रा में शामिल पदयात्रियों को संघर्ष समिति के अध्यक्ष डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने बिदा किया।
मौके पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि मिथिला के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं भाषाई आजादी के बिना समग्र मिथिला क्षेत्र का विकास असंभव है। सड़़क से संसद तक संघर्ष जारी है और यह आंदोलन पृथक मिथिला राज्य का गठन होने तक अनवरत जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सनातनी मिथिला को पृथक राज्य के रूप में गठन की मांग करते हुए सौ बरस से ऊपर हो गया। इस भौगोलिक क्षेत्र में बंगाल से बिहार, उड़ीसा और झारखंड राज्य बन गया। लेकिन पृथक मिथिला राज्य के गठन की आठ करोड़ से अधिक मिथिलावासी के मांग की अब तक अनदेखी किया जाना निंदनीय है। उन्होंने कहा कि मिथिला क्षेत्र लगातार बिहार से अलग होने की बात कर रहा है क्योंकि मैथिलों के लिए बिहारी शब्द मिथिला के नैतिक पहचान ,नैतिक मूल्य, सभ्यता-संस्कृति, भाषा एवं विकास में बाधक है और इस कारण बिहार में मैथिलों की पहचान लुप्त होती जा रही है।
उधर, संकल्प मिथिला राज्य पदयात्रा के रविवार की शाम दरभंगा जिलांतर्गत तुमौल गांव पहुँचने पर शिक्षिका एवं समाज सेविका वनीता झा की अगुवाई में भव्य स्वागत किया गया।जनजागरण सभा के दौरान संयोजक शिशिर कुमार झा ने मिथिला राज्य के औचित्य पर विस्तार विस्तार से प्रकाश डाला। सभा की अध्यक्षता किसान सभा के प्रांतीय अध्यक्ष राम कुमार झा ने की। सभा में अपना विचार रखते हुए कर्मचारी संघ के पूर्व प्रदेश सचिव गंगा प्रसाद झा ने कहा कि मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए अलग मिथिला राज्य का गठन जरूरी है। मिथिला की प्रगति सरकारी उपेक्षा के कारण दिशाहीन हो गयी है। सरकारी उदासीनता के कारण शिक्षा और स्वास्थ्य के स्तर में तीव्र पतन हो रहा है। वनिता झा ने कहा कि आजादी के 75 वर्षों में मिथिला में बेरोजगारी और पलायन में बेहताशा वृद्धि हुई है। सभी चीनी व जूट मिल सहित उद्योग- धंधे बंद हो गए हैं। ऐसे में अलग मिथिला राज्य का पुनर्गठन जरूरी हो गया है।ग्रामीणों ने पृथक मिथिला राज्य के लिए विभिन्न स्तर पर चल रहे आंदोलन का समर्थन करते हुए सरकार पर दवाब बनाने का संकल्प लिया। लोगों ने कहा कि मिथिला- मैथिली से सरकारी स्तर पर दुर्व्यवहार अब बर्दास्त नहीं किया जायेगा। सभा में राजेश चौधरी, वीरेंद्र यादव, प्रो प्रकाश झा, कृष्ण देव मिश्र, योगेन्द्र झा योगी, हरेकृष्ण झा, अमरजीत यादव, रेणु झा, मीरा देवी, मनोहर मिश्र, लालटून दास, भागे ठाकुर, भारती देवी, महेश झा, ललिता देवी, हीरा दास, उमानाथ झा,अंजन कुमार, फूलचन्द्र झा, विनोद झा आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।