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ज्ञानवापी परिसर में नया गेट लगाने का विरोध, मुस्लिम पक्ष और प्रशासन आमने-सामने, मुफ्ती ने कहा- ‘भूले नहीं हैं 31 जनवरी’

वाराणसी जिले में ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिम पक्ष और प्रशासन फिर आमने-सामने है. ज्ञानवापी परिसर में नया गेट लगाने का मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया. शहर के मुफ्ती ने कहा कि हम 31 जनवरी को भूले नही हैं. सावन महीने की शिवरात्रि और जुमा की नमाज एक साथ पड़ने से भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के लिए श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन द्वारा गुरुवार को प्रवेश द्वार नंबर-4 के पास एक अस्थायी गेट लगाया जा रहा था, जिसका मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया.

मुस्लिम पक्ष ने यह कहते हुए इस गेट को लगाने का विरोध किया कि यह मुस्लिमों को मस्जिद में प्रवेश से रोकने का षड्यंत्र है. इस नई व्यवस्था को स्वीकार नहीं किया जाएगा. विवाद बढ़ने पर प्रशासन ने गेट नहीं लगाने का आश्वासन दिया, लेकिन मुस्लिम पक्ष उसका फ्रेम हटाने पर अड़ा रहा. इसको लेकर जुमे की नमाज भी तय समय पर नहीं हो पाई. प्रशासन के आश्वासन पर लगभग दो घंटे विलंब से जुमे की नमाज पढ़ी गई.

विरोध में मुस्लिमों ने बंद की दुकानें

इसे लेकर मुफ्ती-ए-शहर, इमाम-ए-जुमा अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि जब तक फ्रेम नहीं हट जाता, वे वहीं बने रहेंगे. गेट लगाने को लेकर फैली अफवाह के चलते मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र दालमंडी के दुकानदारों ने कुछ देर के लिए अपनी दुकानें भी बंद कर दी थीं. प्रवेश द्वार नंबर-4 से मंदिर और मस्जिद दोनों पक्षों के लोग जाते हैं.

इस संबंध में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के उपजिलाधिकारी शंभूनाथ ने बताया कि शुक्रवार को दोनों समुदायों की आने वाली भीड़ को देखते हुए सुरक्षा व भीड़ प्रबंधन की दृष्टि से एक अस्थायी गेट लगाया जा रहा था, जिससे कि भीड़ को आसानी से एक तरफ से प्रवेश देकर, दूसरी तरफ से निकाला जा सके.

बंद किया गया गेट लगाने का काम

इस गेट को लगाने का प्रस्ताव सुरक्षा समिति का था. इसे लेकर दूसरे पक्ष ने आपत्ति की तो काम बंद कर दिया गया. उधर, ज्ञानवापी में नमाज पढ़ने पहुंचे लोगों ने जब देखा कि गेट लगाया जा रहा है तो उन्होंने इसका तीखा विरोध किया.

उनका आरोप था कि प्रशासन मुसलमानों को मस्जिद में जाने से रोकने के लिए ऐसा कर रहा है. मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने इस आशंका को बिल्कुल गलत बताया. मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि गेट लगाने का ये फैसला क्राउड मैनेजमेंट को ध्यान में रखकर लिया गया है.

भूले नहीं हैं 31 जनवरी

शहर-ए-मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि प्रशासन ने हमें आश्वासन तो दिया है, लेकिन हम 31 जनवरी की रात को भूले नहीं हैं, जब रातों-रात तहखाना खोलकर उसमें मूर्तियां रख दी गई थीं. इसलिए गेट का फ्रेम हटने तक हम यहां से हटने वाले नहीं हैं. हमारा विरोध जारी रहेगा.

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