दिल्ली शराब घोटाले केस में अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल गई है. केजरीवाल इस केस में 7वें आरोपी हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी है. केजरीवाल से पहले शराब घोटाला मामले में मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, के कविथा, विजय नायर, समीर महेंद्रू और अरुण पिल्लई को जमानत मिल चुकी है.
दिलचस्प बात है कि शराब घोटाला मामले में संजय सिंह को छोड़कर बाकी के सभी आरोपियों को पिछले 35 दिन के भीतर जमानत मिली है. इतना ही नहीं, केस में बेल पाने वाले सभी आरोपियों की जमानत का आधार भी एक ही है. केस की ट्रायल का शुरू न होना.
7 महीने सीबीआई और ईडी की गिरफ्त में रहे केजरीवाल
दिल्ली शराब घोटाला मामले में अरविंद केजरीवाल को मार्च 2024 में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था. केजरीवाल पर मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े आरोप में गिरफ्तार किया गया था. आप दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री थे, जो पद पर रहते हुए गिरफ्तार हुए.
आप ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को राजनीतिक कार्रवाई बताया था. केजरीवाल की गिरफ्तारी ऐसे वक्त में हुई थी, जब आप के टॉप-3 के नेता जेल में बंद थे. इनमें मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और संजय सिंह का नाम शामिल है.
लोकसभा चुनाव के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन के लिए केजरीवाल को अंतरिम जमानत जरूर दी, लेकिन फिर उन्हें जेल जाना पड़ा.
जून 2024 में इस मामले में ईडी की गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल को दिल्ली हाईकोर्ट से नियमित जमानत मिल गई, लेकिन तभी केस में सीबीआई की एंट्री हो गई. सीबीआई ने जून 2024 में अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था.
एक-एक कर ऐसे बाहर आए शराब घोटाले के आरोपी
मनीष सिसोदिया- दिल्ली शराब घोटाले में पहली बड़ी गिरफ्तारी मनीष सिसोदिया की हुई थी. सिसोदिया को फरवरी 2023 में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. सिसोदिया पर आरोप है कि दिल्ली सरकार में आबकारी विभाग के मंत्री रहते हुए इन्होंने ऐसी नीति तैयार की, जिससे कुछ शराब माफियाओं का फायदा हुआ.
आरोप के मुताबिक सिसोदिया और उनकी पार्टी को इसके एवज में शराब कंपनियों से से पैसे मिले. वहीं सिसोदिया की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी का कहना था कि यह पूरा ही मामला मनगढ़ंत है.
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2024 को मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी. कोर्ट का कहना था कि मामले में ट्रायल शुरू नहीं हुआ है, इसलिए सिसोदिया जमानत के हकदार हैं. सिसोदिया की जमानत पर बहस करते हुए सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि अक्टूबर 2023 में ईडी और सीबीआई ने इस केस की ट्रायल जल्द ही शुरू करने की बात कही थी, लेकिन 10 महीने बाद भी केस की ट्रायल शुरू नहीं हुआ है.
सिसोदिया केस पर जमानत देते हुए कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी भी की थी. कोर्ट का कहना था कि जेल अपवाद है और बेल नियम.
संजय सिंह- आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी दिल्ली शराब घोटाले के मामले में बेल पा चुके हैं. सिंह को अक्टूबर 2023 में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था. सिंह पर शराब नीति मामले में साउथ ग्रुप की कंपनी से 2 करोड़ रुपए लेने का आरोप है. इसी साल अप्रैल में सिंह को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली. सिंह की जमानत का ईडी ने विरोध तक नहीं किया था.
सिंह दिल्ली शराब घोटाले केस में करीब 6 महीने तक जेल में बंद रहे.
के कविथा- तेलंगाना की भारतीय राष्ट्र समिति के प्रमुख के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविथा भी दिल्ली शराब घोटाले मामले में आरोपी है. कविथा को मार्च 2023 में गिरफ्तार किया गया था. उन पर पॉलिसी बनवाने के बदले पैसे की लेनदेन में शामिल रहने का आरोप है. कविथा को 27 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी.
विजय नायर- आप के कम्युनिकेशन विभाग के इंचार्ज विजय नायर भी दिल्ली शराब घोटाले के आरोप में जेल जा चुके हैं. नायर को सितंबर 2022 में गिरफ्तार किया था. नायर की पहली गिरफ्तारी सीबीआई ने की थी फिर नवंबर 2023 में उन्हें ईडी ने गिरफ्तार कर लिया. नायर को भी इसी महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली है.
नायर पर ही शराब घोटाले की साजिश का आरोप है. हालांकि, केस में ट्रायल शुरू नहीं होने की वजह से नायर को कोर्ट ने जमानत दे दी. नायर की जमानत पर फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा था कि किसी भी आरोपी को अंतहीन समय तक के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता है.
समीर महेंद्रू- इंडोस्प्रिट कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर समीर महेंद्रू भी दिल्ली शराब घोटाले के आरोप में गिरफ्तार होकर जेल जा चुके हैं. समीर महेंद्रू पर आरोप है कि इनकी कंपनी ने नीति बदलवाने के एवज में पैसे दिए. महेंद्रू को सितंबर 2022 में गिरफ्तार किया था. महेंद्रू भी जेल से बाहर आ चुके हैं.
अरुण पिल्लई- बिजनेसमैन अरुण पिल्लई भी दिल्ली शराब घोटाले के केस में जेल जा चुके हैं. उन पर आरोप है कि वे विजय नायर के साथ मिलकर घोटाले की पूरी साजिश रची. उन्हें मार्च 2023 में गिरफ्तार किया गया था. पिल्लई को 2 दिन पहले इस केस में जमानत मिली है.
दिल्ली का कथित शराब घोटाला क्या है?
कोरोना के दौरान नवंबर 2021 में दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति शुरू की थी. इस नीति के तहत दिल्ली में शराब का ठेका प्राइवेट कंपनियों को देने की बात कही गई. जुलाई 2022 में इस नीति को लेकर बवाल मचा, जिसके बाद एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई को जांच सौंपी.
सीबीआई ने इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत एफआईआर की. इस एफआईआर के बाद इसमें ईडी की एंट्री हुई. ईडी के मुताबिक यह शराब घोटाला 100 करोड़ से ज्यादा की है. शराब पॉलिसी बदलवाने के एवज में आप की सरकार ने साउथ कंपनियों से पैसे लिए. वहीं आप का कहना है कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से हुई और फाइल पर आखिरी मुहर तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल वैजल ने लगाई थी.