हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव में एक महीने से भी कम का वक्त बचा है. हरियाणा की सभी 90 सीटों पर पांच अक्टूबर को मतदान होना है. आठ अक्टूबर को नतीज आएंगे. सभी दल अपने अपने उम्मीदवार उतार चुके हैं. कांग्रेस 89 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है जबकि एक सीट उसने CPIM को दिया है. टिकट बंटवारे में पार्टी ने सोशल इंजीनियरिंग का खास ख्याल रखा है.
कांग्रेस ने जाटों पर सबसे बड़ा दांव खेला है. वहीं पार्टी ने गैरजाटों का भी खास ख्याल रखा है. हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने सबसे ज्यादा जाट उम्मीदवारों को टिकट दिया है. पार्टी ने चुनावी मैदान में 35 जाट कैंडिडेट उतारे हैं. वहीं, दूसरे नंबर पर उसने ओबीसी को टिकट दिया है. 20 सीटों पर कांग्रेस ने OBC उम्मीदवार उतारे हैं. इसके अलावा पार्टी ने अन्य जातियों पर भी पूरा भरोसा जताया है.
कांग्रेस ने 17 सीटों पर अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया है. इसके अलावा पार्टी ने पांच मुसलमानों को भी चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं, पार्टी ने पंजाबियों का भी खास ध्यान रखा है. छह सीटों पर कांग्रेस ने पंजाबियों को टिकट दिया है. इसके अलावा पार्टी ने चार सीटों पर ब्राह्मण, दो सीटों पर बनिया, एक सीट पर राजपूत उम्मीदवार उतारे हैं.
किस जाति के कितने उम्मीदवार उतारे
जाति | सीटों पर उम्मीदवार |
जाट | 35 |
ओबीसी | 20 |
ब्राह्मण | 4 |
बनिया | 2 |
मुस्लिम | 5 |
पंजाबी | 6 |
राजपूत | 1 |
अनुसूचित जाति (SC) | 17 |
90 |
10 प्रमुख पार्टियां चुनावी मैदान में
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुल 10 प्रमुख पार्टियां चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी, कांग्रेस (89), आम आदमी पार्टी सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है. वहीं, जेजेपी-एएसपी का गठबंधन है. इसमें JJP 70 तो आजाद समाज पार्टी (काशी राम) 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. INLD-BSP-HLP का गठबंधन है. INLD 52, बीएसपी 37 और हरियाणा लोकहित पार्टी 1 सीट पर चुनाव लड़ रही है. इसके अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) तीन और सीपीआई पांच सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
हरियाणा में 5 अक्टूबर को वोटिंग
हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए 5 अक्टूबर को एक चरण में मतदान होना है. 12 सितंबर नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख थी. 16 सितंबर पर्चा वासप लेने की तारीख है. 8 अक्टूबर को इसके नतीजे आएंगे. 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. चुनाव के बाद जननायक जनता पार्टी और सात निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर बीजेपी ने यहां गठबंधन की सरकार बनाई थी. बाद में बीजेपी-जेजेपी का गठबंधन टूट गया था.