तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने सेकुलरिज्म को यूरोप का कॉन्सेप्ट बताया है, जिसके बाद सियासी पारा चढ़ गया है. कांग्रेस ने उन्हें संवैधानिक पद से बर्खास्त करने की मांग उठाई है. साथ ही साथ आरोप लगाया है कि राज्यपाल वही कर रहे हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करवाना चाह रहे हैं. राज्यपाल आर एन रवि का कहना है कि सेकुलरिज्म की भारत में कोई जरूरत नहीं है.
कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने दावा किया कि रवि केवल एक ट्रायल बैलून फ्लोटर हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो करवाना चाहते हैं, वही दोहरा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘इस व्यक्ति ने संविधान की शपथ ली है और ये अभी तक संवैधानिक पदाधिकारी बने हुए हैं. तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए. वह एक कलंक है. यह उनका पहला अपमानजनक और अस्वीकार्य बयान नहीं है, लेकिन वह केवल एक ट्रायल बैलून फ्लोटर है. वह वही दोहरा रहे हैं जो नॉन-बायलोजिकल पीएम करवाना चाहते हैं.’
राज्यपाल आर एन रवि का कहना है कि सेकुलरिज्म एक यूरोपीय कॉन्सेप्ट है जो चर्च और किंग के बीच संघर्ष के बाद विकसित हुआ है, जबकि भारत एक धर्म-केंद्रित राष्ट्र है और इसलिए यह संविधान का हिस्सा नहीं था, बल्कि इसे इमरजेंसी के दौरान एक असुरक्षित प्रधानमंत्री की ओर से जोड़ा गया था. दरअसल, इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं. उनका हमला उन्हीं के ऊपर था.
‘संविधान सभा ने खारिज कर दिया था सेकुलरिज्म कॉन्सेप्ट’
राज्यपाल आर एन रवि ने आगे कहा कि यूरोप में सेकुलरिज्म का उदय तब हुआ जब चर्च और किंग के बीच लड़ाई हुई और लंबे समय तक चले इस संघर्ष को खत्म करने के लिए इस कॉन्सेप्ट को विकसित किया गया. उन्होंने दावा किया कि आजादी के समय जब संविधान का मसौदा तैयार किया जा रहा था, तो सेकुलरिज्म पर चर्चा हुई और संविधान सभा ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि भारत एक धर्म-केंद्रित देश है और यूरोप में जैसा संघर्ष हुआ, वैसा कोई संघर्ष नहीं हुआ है.