भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार को भारी कोहराम रहा. बीएसई सेंसेक्स 950 अंक तक गिर गया और एनएसई निफ्टी भी 24,500 अंक से नीचे पहुंच चुका है. इस गिरावट के पीछे बड़ी वजह एफपीआई की निकासी, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाया भू-राजनैतिक तनाव और अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के असर को बताया जा रहा है. क्या मार्केट की गिरावट में में चीन की इकोनॉमी में आ रहे बदलाव की चुनौती भी शामिल है ?
शेयर बाजार में मंगलवार को सेंसेक्स और निफ्टी के अलावा बैंक निफ्टी, एसएमई इंडेक्स और अन्य सभी तरह के सूचकांक में गिरावट देखी जा रही है.
बात अगर एफपीआई निकासी और उसके शेयर बाजार पर असर की जाए, तो इंडियन स्टॉक मार्केट के लिए अक्टूबर का महीना उथल-पुथल भरा रहा है. बाजार में लगातार गिरावट और करेक्शन का दौर देखा गया. ये अब भी अपने 52 हफ्तों के ऊंचे स्तर से काफी नीचे बना हुआ है.
दरअसल अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 82,000 करोड़ रुपए की निकासी की है. ये मार्केट में एक बड़े सेंटीमेंट शिफ्ट को दिखाता है. एफपीआई की निकासी करने की एक बड़ी वजह चीन की इकोनॉमी में संभावित सुधार और वहां ग्रोथ का मोमेंटम बनना है.
चीन की इकोनॉमी में बढ़ेगी लिक्विडिटी
कुछ वक्त पहले चीन के केंद्रीय बैंक ‘पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना’ ने इकोनॉमी में जान फूंकने के लिए एक बड़ा कदम उठाया. सेंट्रल बैंक ने कमर्शियल बैंकों को जो पैसा रिजर्व के तौर पर रखना होता है, अब उसके आकार को कम कर दिया गया है. चीन के सेंट्रल बैंक के इस फैसले से वहां बैंकों के पास करीब 142.6 अरब डॉलर की एक्स्ट्रा लिक्विडिटी होगी.
इससे वह लोन या निवेश के रूप में बाजार में इंवेस्ट कर सकेंगे. चीन ने देश की इकोनॉमी में इस साल ग्रोथ बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है. इससे चीन की इकोनॉमी के 5 प्रतिशत की ग्रोथ करने की उम्मीद है.
अब तक की सबसे बड़ी निकासी
अक्टूबर में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से 82,479 करोड़ रुपए की निकासी की है. ट्रेंडलाइन डेटा के मुताबिक शेयर बाजार में किसी एक महीने में होने वाली ये सबसे बड़ी निकासी है. इससे पहले कोविड के समय में ऐसा हुआ था.
मार्च 2020 में एफपीआई ने 65,816 करोड़ रुपए की निकासी की थी. अक्टूबर के महीने में सबसे ज्यादा निकासी एक दिन में 3 अक्टूबर को हुई. उस दिन 15,506 करोड़ रुपए एफपीआई का आउटफ्लो हुआ.