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ड्रग्स माफियाओं का नया ठिकाना बन रहा देश का दिल, जागें वरना देर हो जाएगी

देश के दिल (मप्र) ड्रग्स और अन्य मादक पदार्थों के कारोबार का सेफ जोन बनता जा रहा है। इंदौर और मालवा-निमाड़ का कुछ इलाका पहले से ही वैध-अवैध कारोबार से जुड़ा रहा है, लेकिन अब बात उससे कहीं आगे जा चुकी है। अवैध सिगरेट-गुटखा, गांजे के अलावा अब एमडी ड्रग्स जैसा हाइप्रोफाइल नशे का अंतरराष्ट्रीय कारोबार भी मप्र की धरती से ही चलाया जा रहा है।

यह कोई हवा-हवाई बात नहीं बल्कि समय-समय पर अन्य राज्यों या केंद्रीय टीमों ने मिलकर जो कार्रवाई की, उसमें यह खुलासे हो रहे हैं। दुखद और चौंकाने वाली बात यह है कि मप्र की सुरक्षा एजेंसियों या खुफिया विभाग को कुछ पता ही नहीं चल पाता। इससे मप्र के पूरे सिस्टम की मुस्तैदी पर सवालिया निशान लगते हैं। कहीं न कहीं यह आशंका भी प्रबल होती है कि मप्र में किसी का संरक्षण इस अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स रैकेट को तो नहीं मिल रहा है।

गुजरात पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने पांच अक्टूबर को भोपाल में एक ड्रग इकाई का पर्दाफाश किया। यहां की फैक्टरी से करीब 1,814 करोड़ रुपये मूल्य की 907.09 किलोग्राम मेफेड्रीन (एमडी ड्रग्स) जब्त हुई। एमडी ड्रग्स मुंबई में क्रूज और हाई प्रोफाइल पार्टियों में सबसे ज्यादा उपयोग की जाती है। यह फैक्टरी राजधानी से लगे औद्योगिक क्षेत्र में चल रही थी।

इस इंडस्ट्रियल प्लाट को साल 2017-18 में उद्योग विभाग ने अलाट किया था, जो 2022 में बनकर तैयार हुआ। फैक्टरी के संचालन में गिरफ्तार मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के प्रेमसुख पाटीदार का अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन निकला है। उसके बांग्लादेशी तस्करों से संपर्क का पता चला है। इससे बांग्लादेश तक ड्रग्स की तस्करी की आशंका व्यक्त की जा रही है।

मप्र ही क्यों, तीन वजह

1. भौगोलिक कारण नशे के माफियाओं ने मप्र को ही क्यों चुना, इसके पीछे भौगोलिक बड़ी वजह है। मप्र की सीमाएं सात राज्यों की सीमाओं से मिलती हैं। केंद्र में होने और बढ़िया रोड नेटवर्क होने के कारण आसानी से नशा अपने थोक खरीदारों तक पहुंच जाता है।

2. राजनीतिक वजह इस तरह की गतिविधियों के लिए माफियाओं को हमेशा से ही राजनीतिक संरक्षण की जरूरत होती है। प्रदेश में एक ही दल की सरकार अधिकांश समय से है। माफिया किसी ना किसी को गाड फादर बना ही लेता है और सत्ता में अपनी घुसपैठ कर अवैध काम शुरू कर देता है।

3. लाइम लाइट से दूर ड्रग्स खपाने का सबसे बड़ा मार्केट दो पड़ोसी प्रदेश- महाराष्ट्र एवं राजस्थान है। वहां पर हमेशा से ही जांच एजेंसियों की नजर रहती है इसलिए माफिया ने मप्र को चुना जहां प्रशासनिक एवं पुलिस इस तरह के मामलों पर ज्यादा अलर्ट नहीं रहती।

मप्र का पाब्लो कौन?

नेटफिलिक्स पर एक सत्यकथा आधारित वेब सीरीज है च्नार्कोसज् जिसमें बताया गया है कि कैसे दक्षिण अमेरिका के देश कोलंबिया में सत्ता और सिस्टम की मिलीभगत से वर्षों तक ड्रग्स का साम्रज्य एक माफिया ने चलाया। उसका नाम पाब्लो एमिलियो एस्कोबार गैविरिया (1 दिसंबर 1949-2 दिसंबर 1993) था। कभी च्दुनिया का सबसे बड़ा अपराधीज् कहा जाने वाला पाब्लो एस्कोबार संभवतः कोकीन का अब तक का सबसे चालबाज सौदागर था। उसने बेशुमार दौलत कमाई। ड्रग्स बनाने और उसके परिवहन करने में उसने पूरे सिस्टम की जड़ों को खोखला कर दिया था। सवाल यह है कि मप्र की सिस्टम की जड़ों को किसने ड्रग्स दिया है? प्रदेश का पाब्लो कौन है?

कोरोना काल में हुआ था बड़ा पर्दाफाश

  • यह बात चौंकाती है कि कभी कृषि उत्पादक में अव्वल रहने वाले मप्र में यह किस चीज की च्फसलज् होने लगी है। मप्र में नशे की एक सिस्टमेटिक व्यवस्था है, जिसका बड़ा राजफाश कोरोना काल में उस वक्त हुआ था, जब डायरेक्टर जनरल आफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआइ, मुंबई) टीम ने महाराष्ट्र एवं इंदौर में बड़ी छापेमार कार्रवाई की थी।
  • पर्दाफाश हुआ था कि जब लाकडाउन के चलते पूरे देश में पहिए जाम थे तब भी इंदौर की फैक्टरियों में बनने वाला गुटखे के ट्रक पूरे देश की सड़कों पर दौड़ रहे थे।
  • नशे की खेप पूरे देश में जा सके इसके लिए तत्कालीन कलेक्टर के दफ्तर से बाकायदा परिवहन पास एक-दो नहीं बल्कि 70 ट्रकों को जारी हुए थे। इन्हीं ट्रकों से गुटखा, सिगरेट अवैध रूप से पूरे देश में भेजा गया, जिसको माफिया ने ब्लैक मार्केट में हजार करोड़ रुपए में खपाया।
  • टैक्स चोरी ही करीब पौने दो सौ करोड़ रुपए की थी। कारोबार के संचालक की मोबाइल काल लिस्ट में एक-दो अधिकारियों से दर्जनों बार बात होना प्रमाणित हुई।
  • सवाल यह है कि कोरोनाकाल में जब पूरी अर्थव्यवस्था ही जाम थी तब कोई सिस्टम और उसके अधिकारी गुटखा परिवहन को कैसे अनुमति दे सकते हैं? तत्कालीन प्रशासनिक अफसरों पर बड़े सवाल थे, लेकिन किसने पूछे, क्या कार्रवाई हुई? कुछ नहीं।
  • हालांकि अब जब पूरे देश में मप्र ड्रग्स माफियाओं के संरक्षण के लिए बदनाम होने लगा है तो पुलिस ने सरकारी आंकड़े जारी कर बताया कि जनवरी 2023 से अक्टूबर 2024 तक 7886 आरोपितों को ड्रग्स तस्करी और खरीद-फरोख्त के मामले में गिरफ्तार किया गया है, जबकि 29 अपराधियों के खिलाफ 115 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त की गई।

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