इस साल 2024 में दो दिन दिवाली मनाए जाने के बीच अब लोगों में छठ पूजा की तारीख को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है. क्योंकि देश के कुछ राज्यों में 31 अक्टूबर को दिवाली मनाई गई और कुछ राज्यों में 1 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी. छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित एक महत्वपूर्ण महापर्व है. यह खासतौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है. इस पर्व में महिलाएं व्रत रखती हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं. दो दिन दिवाली मनाए जाने के आधार पर छठ पूजा की सही तारीख यहां पर जान सकते हैं.
द्रिक पंचांग के अनुसार, छठ पूजा का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इस साल 2024 में षष्ठी तिथि 7 नवंबर दिन गुरुवार को तड़के सुबह (पूर्वाहन) 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और 8 नवंबर दिन शुक्रवार को तड़के सुबह (पूर्वाहन) 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी.
ऐसे उदया तिथि के अनुसार, छठ पूजा का पर्व 7 नवंबर दिन गुरुवार को ही मनाया जाएगा. छठ पूजा संपन्न करने के लिए इस तरह से शाम के समय का अर्घ्य 7 नवंबर को और सुबह का अर्घ्य 8 नवंबर को दिया जाएगा. इसके बाद व्रत का पारण किया जाएगा.
- छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय
- छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना
- छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-संध्या अर्घ्य
- छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उषा अर्घ्य
36 घंटे का होता है निर्जला व्रत
हिन्दू धर्म में छठ पूजा में छठी मैया और सूर्य देवता की विधि-विधान से पूजा की जाती है. दिवाली के छह दिन बाद छठ पर्व मनाया जाता है. छठ पूजा चार दिनों तक चलता है, जिसमें शुरुआत होती है नहाय-खाय और खरना से. फिर डूबते और उगते सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है. इसमें व्रती महिलाएं नदी में कमर तक जल में डूबकर सूर्यदेवता को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करती हैं. इसमें 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखा जाता है, जो बेहद ही कठिन माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मइया की पूजा करने से व्रती को आरोग्यता, सुख-समृद्धि, संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
कब शुरू होता है निर्जला व्रत
छठ पूजा के लिए नहाय खाय की प्रक्रिया कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को शुरू होगी यानी 5 नवंबर को है, जबकि खरना कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी 6 नवंबर को खरना पड़ रहा है. दिन भर निर्जला व्रत करने के बाद शाम में व्रती महिलाएं छठी मैया की पूजा करती हैं. प्रसाद ग्रहण करती हैं. इसी के बाद से लगभग 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है.
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा एक ऐसा महापर्व है जो अपने आप में विश्वास, श्रद्धा और प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक है. यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है. छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है. सूर्य देव को जीवनदाता माना जाता है और छठी मैया को संतान की देवी. इस पर्व के माध्यम से लोग प्रकृति के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं. सूर्य, जल और वायु इन तीनों तत्वों की पूजा की जाती है. छठ पूजा करने से स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. छठ पूजा के दौरान सभी लोग मिलकर पूजा करते हैं, जिससे सामाजिक एकता बढ़ती रहें.