उपचुनाव: प्रचार में नहीं दिखी यूपी के दो लड़कों की जोड़ी, कांग्रेस नेताओं की दूरी क्या सपा को पड़ेगी महंगी?
उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए सोमवार शाम छह बजे प्रचार अभियान थम जाएगा और बुधवार को मतदान है. यूपी के उपचुनाव में कांग्रेस ने सपा को समर्थन दे रखा है और दोनों पार्टियों के नेता इंडिया गठबंधन की दुहाई भी दे रहे हैं, लेकिन ‘यूपी के दो लड़कों’की जोड़ी चुनाव प्रचार में कहीं नहीं दिखी. सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपनी ब्रिगेड के साथ अकेले ही सभी सीटों पर पसीना बहाते नजर आए हैं
उपचुनाव में सपा के मंच पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को छोड़िए न ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और न ही प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय सहित कोई बड़ा कांग्रेसी दिखा. यूपी कांग्रेस के बड़े नेता पहले केरल के वायनाड में प्रियंका गांधी के प्रचार में लगे रहे और उसके बाद महाराष्ट्र के रण में मशक्कत कर रहे हैं. इस तरह यूपी में सपा उपचुनाव के सियासी मझधार में अकेले ही अपनी नैया खेने में जुटी है?
कांग्रेस ने सपा को दिया पूरा समर्थन
उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी और अखिलेश यादव की जोड़ी हिट रही थी. सूबे की 80 लोकसभा सीटों में से 43 सीटें सपा-कांग्रेस जीतने में कामयाब रही थी. यूपी उपचुनाव में मनचाही सीट न मिलने के चलते कांग्रेस ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे और सभी 9 सीटें पर सपा को वॉकओवर दे दिया था. कांग्रेस ने उपचुनाव में सपा को समर्थन करने का ऐलान किया था. अखिलेश यादव और अविनाश पांडेय ने कहा था कि सपा और कांग्रेस का गठबंधन जारी रहेगा.
कांग्रेस उपचुनाव लड़ने के इनकार करने और सपा को समर्थन करने के ऐलान के बाद अखिलेश यादव ने यूपी की बची सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया था. साथ ही अखिलेश ने कहा था कि ‘बात सीट की नहीं जीत की है’. इस रणनीति के तहत ‘इंडिया गठबंधन’ के संयुक्त प्रत्याशी सभी 9 सीटों पर सपा के चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’के निशान पर चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस और सपा बड़ी जीत के लिए एकजुट होकर, कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़ी है. इंडिया गठबंधन इस उपचुनाव में, जीत का एक नया अध्याय लिखने जा रहा है. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं के साथ आने से समाजवादी पार्टी की शक्ति कई गुना बढ़ गई है.
प्रचार में सपा संग नहीं उतरी कांग्रेस
अखिलेश यादव ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से लेकर कार्यकर्ताओं के समर्थन का दावा किया था. सपा ने उपचुनाव में कांग्रेस से अपने बड़े नेताओं को प्रचार में उतारने के लिए बकायदा पत्र भी लिखे थे. दोनों ही पार्टियों में एक बेहतर समन्वय बनाए रखने के लिए नेता नियुक्त किए जा रहे हैं. सपा से उदयवीर सिंह और कांग्रेस से पीएल पुनिया एक दूसरे के साथ समन्वय बनाए रखने का जिम्मा संभाल रहे हैं. इसके बावजूद यूपी उपचुनाव प्रचार के दौरान सपा के मंच से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नदारद रहे.
हालांकि, रस्म अदायगी के तौर पर उपचुनाव प्रचार में जरूर कुछ कांग्रेस नेता दिखे हैं. अमेठी से कांग्रेस सांसद केएल शर्मा ने सीसामऊ में सपा प्रत्याशी के पक्ष में रैली की और अखिलेश यादव के साथ नजर आए. इसी तरह बाराबांकी से कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया ने गाजियाबाद सीट पर सपा प्रत्याशी के लिए वोट मांगने का काम किया. सीसामऊ में अखिलेश यादव के साथ मंच पर केएल शर्मा और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव नीलाशु चतुर्वेदी जरूर मौजूद नजर आए थे, लेकिन ओर कोई बड़ा नेता किसी भी सीट पर प्रचार करते नहीं दिखा.
उपचुनाव से दूरी, महाराष्ट्र में जुटी कांग्रेस
यूपी कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने उपचुनाव से दूरी बनाए रखी. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय उपचुनाव में किसी भी सीट पर प्रचार करने नहीं उतरे तो यूपी के प्रभारी अविनाश पांडेय भी नहीं दिखे. अजय राय केरल में प्रियंका गांधी के लिए पहले प्रचार करने गए और वहां से सीधे महाराष्ट्र चुनाव में जुट गए हैं. पिछले एक सप्ताह से अजय राय महाराष्ट्र के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं.
वहीं, अविनाश पांडेय ने चुनाव ऐलान के बाद से ही महाराष्ट्र में डेरा डाल रखा है. अविनाश पांडेय महाराष्ट्र के नागपुर से ही आते हैं. ऐसे में गृह क्षेत्र होने के नाते भी साख दांव पर लगी है, लेकिन यूपी कांग्रेस के प्रभारी भी हैं. अविनाश पांडेय यूपी उपचुनाव की किसी भी सीट पर प्रचार करने नहीं उतरे, लेकिन महाराष्ट्र की तमाम सीटों पर महा विकास अघाड़ी के लिए मशक्कत करते नजर आ रहे हैं.
यूपी कांग्रेस का मुस्लिम चेहरा नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने भी महाराष्ट्र में कैंप कर रखा है. सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद, राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और सलमान खुर्शीद तक उपचुनाव प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं. इसी तरह कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अजय कुमार लल्लू और सांसद प्रमोद तिवारी भी उपचुनाव में किसी भी सीट पर प्रचार करते नजर नहीं आए हैं. यूपी कांग्रेस के तमाम नेता महाराष्ट्र उपचुनाव में प्रचार कर रहे हैं.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि वायनाड से लौटने के बाद उन्हें महाराष्ट्र चुनाव प्रचार के लिए बुला लिया गया. इसके अलावा भी कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को महाराष्ट्र चुनाव में लगाया गया, यूपी उपचुनाव में कांग्रेस के स्थानीय नेता पूरी तरह से सपा के लिए प्रचार कर रहे हैं. यूपी कांग्रेस सगंठन के महासचिव अनिल यादव कहते हैं कि प्रियंका गांधी वायनाड से खुद चुनाव लड़ रही हैं, जिसके चलते वो अपनी सीट पर लगी हुई थी. वोटिंग के बाद से महाराष्ट्र चुनाव में है.
वहीं, सपा के प्रवक्ता आजम खान कहते हैं कि गठबंधन में शामिल सभी दलों को उपचुनाव प्रचार में जुटना चाहिए था. सपा की तरफ से इंडिया गठबंधन के दलों को प्रचार के लिए बकायदा कहा भी गया था. सपा प्रवक्ता कांग्रेस को लेकर किसी तरह की टिप्पणी नहीं करते हैं, लेकिन यह जरूर कहते हैं कि उपचुनाव सपा के लिए जितना अहम है, उतना ही इंडिया गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण है. ऐसे में इंडिया गठबंधन के सभी नेताओं को यूपी उपचुनाव को महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव की तरह गंभीरता से लेना चाहिए.
सपा क्या सियासी मझधार में फंसी
2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने एक साथ कई रैलियां करके यूपी की सियासी फिजा को पूरी तरह से बदल दिया था, लेकिन यूपी उपचुनाव में दो लड़कों यी यह जोड़ी एक साथ नजर नहीं आई. कांग्रेस ने जरूर सपा को समर्थन कर रखा है, लेकिन कांग्रेस के बड़े नेताओं के प्रचार में न उतरने से सपा अकेले ही अपनी सियासी नैया पार लगाने में जुटी है. सपा के लिए उपचुनाव की राजनीतिक अहमियत को ऐसे भी समझा जा सकता है कि आजमगढ़ उपचुनाव से दूरी बनाए रखने वाले अखिलेश यादव इस बार सभी 9 सीटों पर पसीना बहाते नजर आ रहे हैं.
यूपी उपचुनाव में कांग्रेस भले सपा को समर्थन कर रही है, लेकिन बसपा से लेकर चंद्रशेखर आजाद और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM के उम्मीदवारों के उतरने से मुकाबला काफी रोचक हो गया है. मीरापुर सीट पर आरएलडी और कुंदरकी सीट पर बीजेपी को छोड़कर सभी पार्टियों ने मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव खेल रखा है. इसके चलते इन दोनों ही सीटों पर सपा का सियासी समीकरण गड़बड़ाता नजर आ रहा है. कांग्रेस के साथ होने से लोकसभा चुनाव में मुस्लिम और दलित दोनों का वोट एकमुश्त सपा को मिला था, लेकिन उपचुनाव में ऐसा होता नहीं दिख रहा है. ऐसे में कांग्रेस के बड़े नेताओं का सपा के मंच से दूरी बनाए रखना भी चिंता का सबब बन सकता है.