कांग्रेस महासचिव और केरल के वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा. जिसमें उन्होंने आग्रह किया कि वायनाड भूस्खलन त्रासदी को लेकर घोषित राहत पैकेज को अनुदान में बदला जाए साथ ही इसके क्रियान्वयन की अवधि बढ़ाई जाए. सांसद ने यह भी कहा कि 529.50 करोड़ का राहत पैकेज पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि इस त्रासदी को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित नहीं करने से वहां के लोगों में निराशा है.
‘लोगों की उम्मीदें पूरी नहीं हुईं’
वहीं दूसरा यह कि इस धनराशि को 31 मार्च 2025 तक पूरी तरह से खर्च किया जाना चाहिए. ये स्थितियां न केवल अत्यधिक अनुचित हैं, बल्कि ये चूरलमाला और मुंदक्कई के भारी नुकसान झेलने वाले लोगों के प्रति संवेदनशीलता की कमी को भी दर्शाती हैं. प्रियंका ने पीएम मोदी को याद दिलाया कि अगस्त में प्रभावित क्षेत्रों के उनके दौरे से केंद्र सरकार से काफी वित्तीय सहायता की उम्मीदें बढ़ गई थीं. लेकिन यह उम्मीदें पूरी नहीं हो पाईं.
‘लोग अभी भी कठिनाइयों से जूझ रहे हैं’
प्रियंका गांधी ने कहा कि वायनाड की सांसद के रूप में उनका कर्तव्य है कि वो अपने क्षेत्र के लोगों की दुर्दशा से अवगत कराएं. यह वास्तव में हृदयविदारक है कि त्रासदी के छह महीने बाद भी लोग असहनीय कठिनाइयों से जूझ रहे हैं. उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा घोषित 529.50 करोड़ रुपए के राहत पैकेज को अपर्याप्त बताते हुए इस पर पुनर्विचार करने की मांग की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने केरल के सांसदों के लगातार आग्रह के बाद इस आपदा को गंभीर प्रकृति की आपदा घोषित किया. जिसे सही दिशा में एक कदम माना जा सकता है. हालांकि प्रियंका गांधी का मानना है कि इस आपदा की गंभीरता को देखते हुए इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाना चाहिए था.
‘पैकेज को ऋण के बजाय अनुदान में बदला जाए’
प्रियंका गांधी ने पत्र में लिखा कि उन्हें विश्वास है कि वायनाड के लोग इस भयानक आपदा से उबरने के लिए हर संभव सहायता और समर्थन के पात्र हैं. उन्होंने कहा कि ‘ मैं आपसे उनकी कठिनाइयों पर दया भाव से विचार करने का अनुरोध करती हूं.’ सांसद ने कहा कि वायनाड में आई इस भीषण आपदा के बाद प्रभावित लोग अभी भी अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए जूझ रहे हैं. सरकार को संवेदनशीलता दिखाते हुए इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना चाहिए और राहत पैकेज को ऋण के बजाय अनुदान में बदलकर पीड़ितों को राहत पहुंचानी चाहिए.
वायनाड के मुंडक्कई और चूरलमाला क्षेत्र में पिछले साल 30 जुलाई 2024 को हुए भूस्खलन में करीब 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. वहीं कई अन्य लोग घायल हो गए थे. थे. साथ ही 1,600 से अधिक घर, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र, दुकानें नष्ट हो गए थे. इस आपदा ने इन दोनों क्षेत्रों को लगभग पूरी तरह से तबाह कर दिया था.