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IAS अभिषेक ने CM योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट में कैसे लगाया पलीता? समझें मामले की पूरी ABCD

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सोलर पैनल से प्रदेश को लैस करने की योजना में पलीता लगाने वाले IAS अधिकारी के खिलाफ CM योगी ने कड़ा एक्शन लिया है. इन्वेस्ट UP के CEO IAS अभिषेक प्रकाश को भ्रष्टाचार के मामले में निलंबित करके एक सख्त संदेश देने की कोशिश की गई है.

ये पूरा मामला उत्तर प्रदेश में इन्वेस्ट UP योजना के तहत SAEL Solar P6 private limited के प्रतिनिधि विश्वजीत दत्ता का है. उन्होंने इन्वेस्ट UP में भ्रष्टाचार की शिकायत को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव का दरवाजा खटखटाया था. दत्ता ने आरोप लगाया कि वो उत्तर प्रदेश में सोलर का एक बड़ा प्लांट्स लगाना चाहते थे, जिसको लेकर इनवेस्ट UP के CEO अभिषेक प्रकाश से उन्होंने संपर्क किया. उनसे सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने का संयंत्र स्थापित करने के लिए इनवेस्टर UP में ऑनलाइन आवेदन करने के लिए कहा गया.

आवेदन करने के बाद उनके आवेदन को स्वीकृति प्रदान की गई. प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए एक बड़े वरिष्ठ IAS अधिकारी ने विश्वजीत दत्ता को गोमती नगर लखनऊ निवासी निकान्त जैन नाम के शख्स से संपर्क करने को कहा गया. बिचौलिया निकान्त जैन ने विश्वजीत दत्ता के प्रोजेक्ट को फाइनल अप्रूवल देने की एवज में पांच फीसदी कमीशन की मांग की, जिस पर दत्ता ने कमीशन देने से मना किया तो उसकी फाइल को लटकाया गया और लंबे अरसे से उस प्रोजेक्ट को अप्रूवल नहीं मिला.

IAS अभिषेक प्रकाश को निलंबित किया गया

इसके बाद इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव कार्यालय में शिकायत की गई. शिकायत के बाद इस पूरे मामले में इन्वेस्ट UP के CEO अभिषेक प्रकाश समय जैन की भूमिका को लेकर इंक्वायरी कराई गई और मामला चूंकि एक IAS के भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ था. लिहाजा STF का भी इस्तेमाल किया गया. जांच में उद्यमी विश्वजीत दत्ता के आरोप सही पाए गए, जिसके बाद इस पूरे मामले में FIR दर्ज कराई गई. निकान्त जैन को गिरफ्तार किया गया और मुख्यमंत्री की सहमति के बाद इनवेस्ट UP के CEO अभिषेक प्रकाश को निलंबित किया गया.

यह पहली बार नहीं है जब IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश विवादों में आए हों. इससे पहले भी वो जब-जब, जहां जहां, जिन जिन पदों पर रहे वहां पर वो विवादों में रहे. भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे लेकिन अब तक वह बचते रहे लेकिन इस बार उद्यमी से रिश्वत मांगने के मामले में अभिषेक प्रकाश बुरी तरह से फंस गए और उनके खिलाफ मुख्यमंत्री ने निलंबन की कार्रवाई की है.

डिफेंस कारिडोर के जमीन अधिग्रहण में भी लगे थे आरोप

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना डिफेंस कॉरिडोर रक्षा उत्पादन इकाइयों की स्थापना के लिए भूमि अधिग्रहण किया जाना था. लखनऊ के सरोजनी नगर तहसील के भटगांव क्षेत्र में जमीन का अधिग्रहण इसी परियोजना का हिस्सा था. अधिग्रहण और मुआवजे में घोटाले का आरोप लगने पर जांच हुई. इसमें पता चला कि 20 करोड़ रुपया का मुआवजा अधिकारियों ने अवैध तरीके से हासिल किया था. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार यह मुआवजा उन किसानों और जमीन मालिकों को दिया जाना था, जिनकी भूमि अधिग्रहित की गई, लेकिन इसकी जगह अफसरों ने गड़बड़ी कर ली. खुद मुआवजे की रकम उठा लिया.

इसी मुआवजे को लेकर को लेकर लखनऊ के तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश की भूमिका पर सवाल उठे. इसमें कहा गया कि उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया के दौरान अधिकारियों की मिलीभगत को नजरअंदाज किया. जांच में ये बात भी सामने आई है कि उनके करीबी अधिकारी तहसीलदार और कानूनगों को इस घोटाले में अहम भूमिका निभा रहे थे. सरोजनी नगर के कानूनगो पर आरोप है कि उसने इस पूरी साजिश को अंजाम दिया और किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे की पूरी राशि को ही हड़प लिया.

इस पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय से की गई, जिसके बाद राजस्व परिषद के चेयरमैन की अगुवाई में इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया. जांच में पाया गया इस जमीन के अधिग्रहण में बड़े पैमाने पर अनियमितता को अंजाम दिया गया. जांच में पता चला कि मुआवजे की रकम उन जमीनों पर दी गई, जिन्हें क़ानूनी रूप से मुआवज़ा नहीं मिलना चाहिए था. अभिषेक प्रकाश कि इस पूरे मामले में ज़िम्मेदारी थी की वो इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी करते लेकिन उन्होंने अनदेखी की या फिर जानबूझकर इस भ्रष्टाचार में संलिप्त हो गए.

एलडीए वीसी रहते हुए अभिषेक प्रकाश विवादों में थे

लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के उपाध्यक्ष रहते हुए अभिषेक प्रकाश पर कई बिल्डरों को फायदा पहुंचाने और मनमाने तरीके से सीलिंग व लाइसेंस जारी करने के आरोप लगे हैं. सूत्रों के मुताबिक, एलडीए वीसी रहते उन्होंने कई अवैध निर्माण गिरवाए, लेकिन अपने करीबी बिल्डरों को लाभ पहुंचाया. अंसल, आशियाना समेत कई इलाकों में मनपसंद बिल्डर्स को लाइसेंस जारी किए गए. एलडीए अधिकारियों से मिलीभगत कर बिल्डरों की फाइलें लटकाने और काम में देरी करवाने के भी आरोप हैं.

बेहद ही खराब छवि और तमाम विवादों के बाद सरकार के पूरे आठ साल के कार्यकाल में अभिषेक प्रकाश लगातार महत्वपूर्ण पदों में बने रहे. लखनऊ, अलीगढ़, लखीमपुर खीरी, हमीरपुर के डीएम रहे हैं. लखनऊ के अलावा अभिषेक प्रकाश जब डीएम अलीगढ़, लखीमपुर खीरी और हमीरपुर रहे, तब भी उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. अलीगढ़ में जमीन खरीद-बिक्री में धांधली की शिकायतें थीं. लखीमपुर में सरकारी टेंडरों में हेरफेर की चर्चाएं थीं. हमीरपुर में भी खनन माफियाओं से सांठगांठ के आरोप लगे थे.

अभिषेक प्रकाश के तमाम फैसलों की होगी समीक्षा

IAS अभिषेक प्रकाश के निलंबन के बाद अब उनके उत्तर प्रदेश में अलग-अलग जिलों अलग अलग पदों पर रहते हुए तमाम फैसलों की समीक्षा करने की भी बात की जा रही है. इस बीच आरोप ये भी है कि अभिषेक प्रकाश ने भ्रष्टाचार करके अकूत संपत्ति इकट्ठा की है, जिसमें आलीशान घर फ़ार्महाउस और कई बिजनेस करने के आरोप लगे हैं, जिसके बाद साक्ष्य जुटाने की कोशिश की जा रही है.

इन्वेस्ट UP प्रोजेक्ट में घपले और घोटाले के आरोपों के बाद भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों के करीबियों की धर पकड़ शुरू कर दी गई है. इस पूरे मामले में FIR दर्ज करके बिचौलिए निकान्त जैन को गिरफ़्तार कर लिया गया है जबकि बिचौलिया लकी जाफरी की भूमिका को भी जानने की कोशिश की जा रही है. ये दोनों नाम उत्तर प्रदेश की नौकरशाही के करीबी लोगों के तौर पर दिए जाते हैं. मोटी रकम वसूलने के साथ ही किसी भी काम को पूरा कराने का माद्दा रखते हैं. लिहाजा अब इस प्रकरण सामने आने के बाद इसकी भी जांच पड़ताल की जा रही है.

निकान्त जैन IAS अधिकारियों के लिए लाइजनिंग करता था निवेशकों से डील करता था. लकी जाफरी के बारे में आरोप है कि वो इस सिंडिकेट का पूरी तरह से हिस्सा रहा है. इससे पहले भी फ़ार्मा कॉलेज में छात्रवृति के 100 करोड़ के घोटाले में शामिल रहने के आरोप लगे थे जिसकी जांच ED कर रही है. मुख्यमंत्री के आदेश पर अभिषेक प्रकाश निकान्त जैन और लकी जाफरी तीनों की पूरी जांच में STF को भी शामिल कर लिया गया है. निकान्त जैन लखनऊ के सबसे पॉश कॉलोनी गोमती नगर में 3200 स्क्वायर फुट में बने आलीशान कोठी में रहता है और अक्सर इसके घर पर बड़े बड़े अधिकारियों की गाड़ियों के आवागमन की भी जानकारी मिल रही है.

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