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मध्यप्रदेश

अब ई-साक्ष्य जुटा रही पुलिस, ऐप का उपयोग करने वाला पहला राज्य बना मप्र

भोपाल। देश में 1 जुलाई से 3 कानूनों के नए स्वरूप में प्रभावी होने के बाद इनके अनुरूप मध्य प्रदेश में ई-साक्ष्य संकलन भी शुरू कर दिया गया है। इसके लिए नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा तैयार ई-साक्ष्य ऐप का उपयोग विवेचना अधिकारी हर स्तर पर कर रहे हैं। एक सप्ताह से प्रदेश में इस ऐप का उपयोग शुरू हो गया है। इसमें विवेचना अधिकारी मोबाइल से वीडियो तैयार करके ऐप पर अपलोड करते हैं।

ऐप में रिकॉर्डिंग का विकल्प

हर तरह की रिकॉर्डिंग लिए ऐप में अलग विकल्प चुनना होता है। उदाहरण के तौर पर घटनास्थल, पीड़ित और साक्षी की रिकॉर्डिंग के लिए अलग-अलग विकल्प रहेगा। यह रिकॉर्डिंग उसी विकल्प के नाम से पुलिसकर्मी की लाग इन-पासवर्ड से डिजी लाकर में सुरक्षित हो जाएगी, जिसे बाद में आवश्यकता के अनुसार देखा जा सकेगा।

इसके अतिरिक्त ऑनलाइन समन भी भेजे जाने लगे हैं। नए कानून प्रभावी होने के साथ प्रदेश में हर जगह इसका उपयोग शुरू हो गया है। कोर्ट से थानों को समन ऑनलाइन आ रहे हैं। जिन आरोपियों या गवाहों के मोबाइल नंबर या मेल आईडी उपलब्ध हैं, उन्हें थाने से भी व्हाट्सएप या मेल से समन भेजे जा रहे हैं।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक चंचल शेखर ने दावा किया है कि ई-साक्ष्य व्यवस्था को अपनाने में मध्य प्रदेश देश में अव्वल रहा है। दरअसल, पुराने कानूनों में बदलाव के बाद भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत डिजिटल साक्ष्य को मान्य किया गया है। इसी कड़ी में सभी राज्यों को ई-साक्ष्य एप्लीकेशन पर वीडियो और फोटो के साथ जानकारी अपलोड करनी है।

प्रदेश में विवेचना अधिकारियों ने अपने मोबाइल पर यह एप्लीकेशन इंस्टॉल किया है। घटना स्थल की रिकार्डिंग, घटना स्थल की गूगल लोकेशन, शिकायतकर्ता, आरोपित और साक्ष्य देने वाले के बयान का वीडियो अपलोड करने के बाद विवेचना अधिकारी घटनास्थल से ही अपनी सेल्फी अपलोड करेंगे।

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