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आपके चेहरे पर खुशी लाता है जल्द मानसून लेकिन जेब पर पड़ता है भारी, आखिर क्यों

2009 के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है जब दक्षिण-पश्चिम मानसून समय से पहले आ रहा हो. समय से पहले बारिश होने की वजह से देश में लोगों को जहां गर्मी से राहत मिली है. वहीं अब उन्हें महंगाई के लिए अपनी जेब को मजबूत करना होगा. जल्दी बारिश होने की वजह से प्याज की आपूर्ति बाधित हो रही है, जिससने आने वाले दिनों में इसकी कीमतों में उछाल आ सकता है. इसके साथ ही गर्मी के मौसम के लिए FMCG कंपनियों ने जो शीतल पेय और दूसरे प्रोडक्ट तैयार किए थे उनकी डिमांड तेजी से घटी है. ऐसे में जल्द मानसून आपकी जेब पर भारी पड़ने वाला है.

IMD का बारिश का अनुमान

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 2025 के मानसून सीजन के लिए अपना पूर्वानुमान अपडेट किया है, अब मौसम विभाग ने सामान्य से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की है. मौसम विभाग ने चार महीने की मानसून अवधि के लिए अपने अनुमान को बढ़ाकर दीर्घावधि औसत को 106% कर दिया है जो पिछले महीने के 105% के अनुमान से अधिक है. वहीं जून के लिए IMD को उम्मीद है कि बारिश सामान्य से अधिक होगी और देश में औसत वर्षा 108% से अधिक होने की संभावना है.

मानसून बनाम मुद्रास्फीति

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अप्रैल 2025 में नीतिगत रेपो रेट को घटाकर 6% कर दिया था, जो की आने वाले दिनों में अब दिक्कत पैदा कर सकती है. RBI के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति मजबूत रबी फसल, रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन और वैश्विक कीमतों में नरमी के कारण उम्मीद से अधिक गिर गई है. आपको बता दें अप्रैल में सीपीआई मुद्रास्फीति 6 साल के निचले स्तर 3.16% पर आ गई, जो मार्च में 3.34% थी, और खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 1.78% रह गई.

मानसून की जल्दी प्याज के लिए नुकसानदायक

महाराष्ट्र में मानसून समय से पहले पहुंच गया है, मुंबई में तो बादल फटने की वजह से तेजी बारिश हुई है. आपको बता दें महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादन करने वाला राज्य है. महाराष्ट्र में समय से पहले मानसून का पहुंचता एक तरीके से प्याज की कीमतों के लिए खतरे की घंटी है. अमरावती, जलगांव, बुलढाणा और अहिल्यानगर जैसे जिलों में लगातार बारिश के कारण राज्य में अब कुल 34,842 हेक्टेयर में फसल के नुकसान की सूचना है.

अगर अकेले नासिक की बात करें तो यहां 3,230 हेक्टेयर से अधिक प्याज की फसल चौपट हो गई है. जबकि सोलापुर में 1252 हेक्टेयर और पुणे में 676 हेक्टेयर खेतों में उगाई गई फसल खराब हो गई है. मानसून की वजह से सबसे ज्यादा केले, आम, प्याज, नींबू और सब्जियों को नुकसान हुआ है.

प्याज, थाली और आम आदमी

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार, भारतीय घरों में मुख्य रूप से इस्तेमाल होने वाले प्याज, टमाटर और आलू शाकाहारी थाली की लागत का 37% हिस्सा बनाते हैं. अप्रैल 2025 में, शाकाहारी थाली की औसत लागत 26.3 रुपये थी, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4% कम है, और सब्जी की आपूर्ति में कोई भी व्यवधान इसे और बढ़ा सकता है.

पिछले साल अक्टूबर में, भारी बारिश के कारण आपूर्ति बाधित होने के कारण प्याज की कीमतों में साल-दर-साल 46% और आलू की कीमतों में 51% की वृद्धि हुई थी. क्रिसिल ने तब थाली की कीमतों में 20% की वृद्धि की सूचना दी थी. सितंबर में फसल के नुकसान के कारण टमाटर की कीमत लगभग दोगुनी होकर 29 रुपये प्रति किलोग्राम से 64 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई.

20 मई, 2025 तक, लासलगांव में प्याज की कीमत – भारत की फसल के लिए सबसे बड़ी थोक मंडी, 1,150 रुपये प्रति क्विंटल थी. बारिश के कारण परिवहन और भंडारण प्रभावित होने से कीमतों में और वृद्धि होने की उम्मीद है.

टमाटर की कीमतें, जो कुछ दिन पहले पुणे में थोक में 5 रुपये प्रति किलोग्राम थीं, अब कम आवक के कारण 20-25 रुपये तक बढ़ गई हैं. एपीएमसी अधिकारियों ने सब्जियों की आपूर्ति में 50% की गिरावट की सूचना दी है, क्योंकि किसानों को लगातार बारिश के बीच फसल काटने या परिवहन करने में संघर्ष करना पड़ रहा है.

एग्मार्कनेट डेटा का हवाला देते हुए ईटी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले सप्ताह महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में टमाटर की कीमतों में 10% से 25% की वृद्धि हुई है. पालक, मेथी और धनिया जैसी पत्तेदार सब्जियों की कीमतों में भी 12% से 16% की वृद्धि हुई है.

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