सोशल मीडिया की वजह से रिश्तों में खटास, दिल्ली-मुंबई और पटना जैसे शहरों के रिलेशनशिप सर्वे में सामने आई ये सच्चाई

भारत में मैरिड लाइफ से बाहर रिश्तों की तलाश करने वालों के बीच लोकप्रिय डेटिंग ऐप ग्लीडेन ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. देश में इसके 30 लाख यूजर्स हो चुके हैं. इस मौके पर ग्लीडेन ने वैश्विक शोध संस्था IPSOS के साथ मिलकर अपने ‘राष्ट्रीय संबंध अध्ययन’ का तीसरा वर्जन लॉन्च किया है. इस सर्वे का उद्देश्य यह जानना कि अलग-अलग उम्र और जेनरेशन के लोग प्यार, कमिटमेंट और इमोशनल संतुष्टि को कैसे अनुभव करते हैं और उनकी सोच में कैसे अंतर होता है. यह स्टडी भारतीय समाज में बदलते रिश्तों की परिभाषा और आधुनिक लोगों की जरूरतों को समझने की दिशा में एक अहम पहल है.
सोशल मीडिया बना रिश्तों में दरार की वजह
इस सर्वे में शामिल अलग-अलग लोगों के उत्तरों का विश्लेषण करने के बाद निकलकर आए निष्कर्षों से कई दिलचस्प बातें सामने आईं. इनमें भावनात्मक सीमाएं और सोशल मीडिया की भूमिका जैसे पहलू भी शामिल हैं. 94% लोगों ने अपने रिश्तों से संतुष्ट होने की बात कही, जबकि 84% ने फिजिकल रिलेशनशिप में संतोष जताया. एक बड़ी संख्या ने यह भी स्वीकार किया कि वो अंदर से भावनात्मक रूप से खालीपन महसूस करते हैं. 51% लोगों ने माना कि वो अपने रिश्ते में अपने साथी से भावनात्मक रूप से कटा-कटा फील करते हैं. तो वहीं, 71% लोगों ने ऑनलाइन चैट्स को छिपाना या डिलीट करना माना, चाहे उसमें कोई फिजिकल रिेलेशनशिप न भी हो फिर भी धोखे के बराबर है.
स्टडी के मुताबिक, 41% लोग इस बात को लेकर सहज हैं कि अगर उनका पार्टनर उन्हें ओपन रिलेशनशिप को लेकर कहे तो वो इसे मान सकते हैं. वहीं, 35% उत्तरदाताओं ने बताया कि वो पहले से ही किसी न किसी ओपन रिलेशनशिप में हैं. इसके अलावा, 26% लोगों ने कहा कि वो इस तरह के संबंधों पर गंभीरता से सोच रहे हैं. 55% लोगों का मानना है कि आने वाले 10 वर्षों में ओपन रिलेशनशिप प्रमुख प्रकार के संबंध बन सकते हैं. साथ ही, 59% उत्तरदाता इस राय से सहमत थे कि आने वाले समय में भारतीय समाज गैर-एकांगी रिश्तों को ज्यादा स्वीकार करेगा.
रिलेशनशिप में असंतोष की बड़ी वजह क्या?
एक और महत्वपूर्ण निष्कर्ष सामने आया कि भावनात्मक करीबी का बोझ रिलेशनशिप में असंतोष की एक बड़ी वजह है. लगभग 33% लोगों ने माना कि उनके रिश्तों में असंतोष की जड़ काम और पर्सनल लाइफ के बीच असंतुलन और जीवनसाथी के साथ कम समय मिलना है. इस चुनौती से सबसे ज्यादा प्रभावित मिलेनियल्स रहे जो कि वर्तमान कार्यबल का बड़ा हिस्सा हैं जबकि उनके बाद जेनरेशन एक्स और फिर जेनरेशन जेड का स्थान रहा. इसके साथ ही 29% उत्तरदाताओं ने बताया कि सोशल मीडिया पर दिखाए जाने वाले आदर्श और अवास्तविक रोमांटिक चित्रण वास्तविक रिश्तों में अपेक्षाओं को बढ़ाकर असंतोष को बढ़ा देते हैं.
ग्लीडेन इंडिया की कंट्री मैनेजर सिबिल शिडेल ने कहा, “ग्लीडेन में हमारा हमेशा से यह विश्वास रहा है कि किसी भी रिलेशन की बुनियाद आत्म-संतुष्टि और खुद के प्रति ईमानदारी पर टिकी होती है. इस अध्ययन के नतीजे हमारे ऐप पर देखी गई बातों की पुष्टि करते है. आज के आधुनिक भारतीय पहले से कहीं ज़्यादा आत्म जागरूक हैं. भावनात्मक रूप से खुलकर जी रहे हैं, और रिश्तों को अपनी शर्तों पर अपनाने के लिए तैयार हैं.”