ब्रेकिंग
"न्याय के लिए सड़क पर उतरीं महिलाएं": कुलदीप सेंगर की जमानत का भारी विरोध, दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर ल... "किश्तवाड़ में VPN पर पहरा": सुरक्षा एजेंसियों को अंदेशा— आतंकी कर सकते हैं गलत इस्तेमाल, प्रशासन ने... "PM मोदी का 'Gen Z' कनेक्शन": बोले प्रधानमंत्री— आपमें है दुनिया बदलने का दम, मुझे आपकी काबिलियत पर ... खाकी पर भारी पड़ा 'ओवर कॉन्फिडेंस': संभल में 12 पुलिसकर्मियों ने मिलकर लिखी फर्जी मुठभेड़ की कहानी, का... "अंकिता केस में नया सियासी मोड़": दुष्यंत गौतम का पलटवार— विपक्ष पर लगाया छवि धूमिल करने का आरोप, उत... बागबानी में पंजाब देशभर में अव्वल: 7100 करोड़ के प्रोजेक्ट और ‘अपणा पिंड-अपणा बाग’ से जुड़ा किसानों क... "इंसानियत शर्मसार, सीमा विवाद में उलझी खाकी": पटना में 7 घंटे तक सड़क पर पड़ा रहा शव, 4 थानों की पुल... शाही पदवी की लड़ाई: प्रिंस अजमत जाह के खिलाफ लामबंद हुए परिवार के अन्य सदस्य, जानें क्यों बढ़ा मनमुटाव "बीजेपी में जाना थी गलती, अब सुधारी": टीएमसी में शामिल हुईं बंगाली एक्ट्रेस, ममता बनर्जी के नेतृत्व ... "दिल्ली में प्रदूषण पर 'सर्जिकल स्ट्राइक'": 100 डग्गामार बसें जब्त, 28 पीयूसी सेंटर सस्पेंड; सरकार क...
मध्यप्रदेश

मध्य प्रदेश में होम मिनिस्टर रहते त्यागा गुलदस्ता! अब फूल माला तक से परहेज, मांगी पेंसिल कॉपी

सागर: राजनेताओं को फूल मालाओं और गुलदस्तों का काफी शौक होता है. उनके समर्थकों को नेताजी के स्वागत में ये ले जाना अनिवार्य होता है. जगह-जगह नेताओं के स्वागत के साथ उनके वाहन पर फूल मालाएं लाद दी जाती है, जिससे देखकर लोगों को दूर से ही पता चल जाता है कि कोई कद्दावर नेता गुजर रहा है, लेकिन तत्कालीन शिवराज सिंह सरकार के नंबर दो कहे जाने वाले पूर्व गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह का मिजाज आजकल बदला हुआ नजर आ रहा है.

उन्होंने अपने समर्थकों को दो टूक कह दिया है कि अब उनका स्वागत फूल-मालाओं से नहीं बल्कि ऐसी चीजों से किया जाए, जो बच्चों और गरीब लोगों के काम आए. जिनमें कापी, किताब, पेसिंल, कंबल और दूसरी सामग्री हो सकती है.

क्या कहना है भूपेन्द्र सिंह का

अपने स्वागत को लेकर किए गए इस फैसले पर पूर्व गृहमंत्री व बीजेपी विधायक भूपेन्द्र सिंह कहते हैं कि “हमने फैसला किया है कि अब कोई भी कार्यक्रम होगा, तो उसमें फूल मालाओं और गुलदस्तों का उपयोग नहीं होगा. जो हमारी भारतीय संस्कृति है कि चंदन का तिलक लगाकर स्वागत किया जाता है. उसके अनुरूप हम लोग स्वागत करेंगे, मालाएं हम सिर्फ भगवान को अर्पित करेंगे या हमारे यहां कोई मुख्यमंत्री, बडे़ नेता, साधु संत आते हैं, तो उनका स्वागत भले ही फूल मालाओं से किया जाएगा, लेकिन व्यक्तिगत मेरा किसी भी कार्यक्रम में फूल मालाओं से स्वागत नहीं होगा.

मैंने कार्यकर्ताओं से कहा कि जो पैसा आप फूल मालाओं और गुलदस्तों में खर्च करते हैं, तो उसके बदले में कोई भी सामग्री जो शिक्षा से संबंधित हो, जैसे कॉपी, किताब, पेसिंल और पैन दे सकते हैं या फिर कोई ऐसी सामग्री जो गरीबों के काम में आए, जैसे सर्दी के मौसम में कंबल दे सकते हैं या फिर जरूरत की कोई दूसरी चीज दे सकते हैं. कार्यकर्ताओं ने मेरे आग्रह को स्वीकार किया और पहले ही दिन करीब 50 हजार रुपए की सामग्री मेरे स्वागत में आयी. मैंने वहीं पर मौजूद लोगों को वितरित कर दी थी.”

मैंने कार्यकर्ताओं से कहा कि जो पैसा आप फूल मालाओं और गुलदस्तों में खर्च करते हैं, तो उसके बदले में कोई भी सामग्री जो शिक्षा से संबंधित हो, जैसे कॉपी, किताब, पेसिंल और पैन दे सकते हैं या फिर कोई ऐसी सामग्री जो गरीबों के काम में आए, जैसे सर्दी के मौसम में कंबल दे सकते हैं या फिर जरूरत की कोई दूसरी चीज दे सकते हैं. कार्यकर्ताओं ने मेरे आग्रह को स्वीकार किया और पहले ही दिन करीब 50 हजार रुपए की सामग्री मेरे स्वागत में आयी. मैंने वहीं पर मौजूद लोगों को वितरित कर दी थी.”

पूर्व गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने जो फैसला लिया है, वो अनुकरणीय है. लोग फूल माला और गुलदस्ते खरीदने में काफी पैसा खर्च करते हैं. बाद में ये किसी काम के नहीं होते हैं और किसी कचरे के ढेर में डले मिलते हैं. अब उन पैसों का सद्पुयोग होगा. बच्चों को पढ़ाई की सामग्री मिलेगी और गरीब लोगों को जरूरत का सामना मिलेगा. अगर दूसरे नेता ऐसा फैसला करते हैं, तो काफी अच्छा होगा.

Related Articles

Back to top button