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लॉकडाउन में खून का संकट हुआ तो हरियाणा की नर्स ने 4500 यूनिट रक्त जुटाया, अब राष्ट्रपति से मिला सम्मान

फरीदाबाद: सविता कहती हैं कि, बचपन में जब कभी बीमार हाेने पर अस्पताल जाती थीं तो नर्स की ड्रेस उन्हें अच्छी लगती थी। तभी से उनका यह सपना था कि मौका मिला तो वह भी इसी तरह की ड्रेस पहनेंगी।बीके अस्पताल में कार्यरत स्टाफ नर्स सविता रानी की एक जिद ने उनकी तकदीर बदल दी। ससुराल वाले जिस नाैकरी को करने से मना कर रहे थे, आज उसी पर गर्व करते हैं। ऐसा इसलिए हुआ कि पिछले दिनों सविता रानी को देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार 2021 से सम्मानित किया।इस साल का यह पुरस्कार पाने वाली वह प्रदेश की अकेली स्टाफ नर्स हैं। सविता को यह सम्मान कोराेना काल में थैलेसीमिक बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए खुद की जान जोखिम में डालकर रक्त की व्यवस्था करने के लिए दिया गया। सविता खुद भी 15 बार रक्तदान कर चुकी हैं।बचपन से नर्स की ड्रेस पहनने का चावसविता कहती हैं कि, बचपन में जब कभी बीमार हाेने पर अस्पताल जाती थीं तो नर्स की ड्रेस उन्हें अच्छी लगती थी। तभी से उनका यह सपना था कि मौका मिला तो वह भी इसी तरह की ड्रेस पहनेंगी।शादी के तीन महीने पहले ही बनी थीं नर्ससविता रानी ने अगस्त 2008 में बतौर स्टाफ नर्स नौकरी ज्वॉइन की थी। 3 माह बाद वह जींद के गांव चूड़पुर निवासी सुनील नरवाल की हमसफर बन गईं। वह पेेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। शादी के बाद पति और ससुराल वाले नर्स की नौकरी कराने को तैयार नहीं थे। क्योंकि पहले गांवों मंे नर्सिंग की सेवा को लोग अच्छा नहीं मानते थे, लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ गईं।इसलिए राष्ट्रपति से मिला सम्मानवर्ष 2020-21 में लॉकडाउन होने से अस्पतालों में खून का संकट पैदा हो गया था। ऐसे में उन्होंनेे जान जोखिम में डाल रेडक्रॉस सोसाइटी के सहयोग से 150 से अधिक रक्तदान शिविर लगवाए। 1-1, 2-2 डोनर को बुलाकर करीब 4500 यूनिट रक्त एकत्र कर थैलेसीमिक बच्चों और गर्भवतियों की जान बचाने में अहम योगदान दिया।

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