रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई, तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई
अरे रजनीश...
कहां हो,,, कैसे हो
यार बधाई हो..तुम्हारी पीएचडी हो गई...देखो मैं अभी रीवा में हूं..अगर तुम यहां फैकल्टी के तौर पर आना चाहो तो आ सकते हो…
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