ब्रेकिंग
क्रिस्मस के दिन बंद रहेगा शेयर बाजार, नहीं होगा सोना-चांदी का कारोबार, ये रही 2026 की हॉलिडे लिस्ट वरदान नहीं, मुसीबत भी बन सकता है AI! इन सलाहों से रखें दूरी कम बजट में क्रिसमस सेलिब्रेशन, इन यूनिक तरीकों से बच्चे होंगे खुश उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर… जानें कैसा रहेगा आज तीनों पहाड़ी राज्यों का मौसम इंद्रेश उपाध्याय ने खत्म किया विवाद: यादव समाज की नाराजगी के बाद जारी किया माफीनामा, सफाई में दी अपन... कर्नाटक में 'मौत का सफर': ट्रक से टकराते ही आग का गोला बनी स्लीपर बस, 9 यात्री जिंदा जले पीएम मोदी का क्रिसमस संदेश: पवित्र प्रार्थना सभा में शिरकत की, ईसाई समुदाय को दीं प्रभु यीशु के जन्म... अब सिर्फ चेहरा नहीं, रणनीतिकार भी": नए साल में कांग्रेस का पावर बैलेंस बदलेगा, प्रियंका गांधी के पास... आलीशान लाइफस्टाइल और काली कमाई": करोड़ों की गाड़ियां, महंगी शराब और फर्जीवाड़ा; कॉल सेंटर घोटाले का ... दोषी पर सजा नहीं": पत्नी ने पति पर किया तलवार से वार, फिर भी कोर्ट ने क्यों दी रिहा करने की मोहलत?
देश

जमीन की रजिस्ट्री कराने में ना करें देर, अप्रैल से बढ़ सकता है मिनिमम वैल्यू रेट

आपको जमीन की रजिस्ट्री करानी है तो देरी न करें। जितनी जल्दी हो सके जमीन का निबंधन करा लें। जमीन का एमवीआर यानी मिनिमम वैल्यू रेट जल्द बढ़ सकता है। ऐसे में जमीन रजिस्ट्री के लिए ज्यादा पैसा चुकाना होगा। राज्य सरकार अप्रैल में एमवीआर बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए जिलों की राय ली जा रही है। राज्य सरकार का निबंधन विभाग इसके लिए होमवर्क में जुटा है। राज्य सरकार से हरी झंडी मिलते ही जिलों के स्तर पर एमवीआर बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। उसके बाद बढ़ी हुई दरों के आधार पर लोगों को निबंधन शुल्क देना होगा। पिछली बार वर्ष 2016 में यानी छह साल पहले एमवीआर बढ़ा था। अलग-अलग जिलों में इसकी दर 10 से 40 फीसदी तक बढ़ाई गई थी।

एमवीआर यानी मिनिमम वैल्यू रेट वह दर होती है जिसे सरकार किसी जमीन का न्यूनतम मूल्य मानती है। किसी खास इलाके में खास तरीके की जमीन की हो रही खरीद-बिक्री में जो औसत बाजार मूल्य पाया जाता है, उसी के आस-पास एमवीआर तय किया जाता है। संबंधित जिलों के जिलाधिकारी इसे अधिसूचित करते हैं। अधिसूचित होने के बाद जमीन की रजिस्ट्री में उस खास तरह की जमीन का सरकार वही मूल्य मानकर चलती है। जमीन विक्रेता या खरीदार को उसी आधार पर निबंधन शुल्क तय करना होता है। अगर कोई जमीन एमवीआर से कम कीमत में भी खरीदता है तो उसे निबंधन शुल्क एमवीआर के तहत ही देना होता है। अगर किसी सरकारी परियोजना के लिए किसी रैयत की जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उस रैयत को मुआवजा के रूप में जमीन की कीमत एमवीआर के तहत ही दी जाएगी।

Related Articles

Back to top button