आईवीसीए-बैन एंड कंपनी की जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है भारत में ऐसे यूनिकॉर्न की संख्या 96 हो गई है। हालाँकि, इस वर्ष की संख्या 2021 में बनाए गए 44 यूनिकॉर्न की तुलना में आधी है। उस वर्ष कुल 73 यूनिकॉर्न देश में थे। रिपोर्ट के अनुसार, 23 यूनिकॉर्न में से नौ शीर्ष 3 महानगरों के बाहर के शहरों से निकले हैं। इसका मतलब है कि गैर-महानगरों में स्टार्टअप की कुल फंडिंग में 18 फीसदी की वृद्धि हुई है। इस साल भी कई निवेशकों ने अपना सबसे बड़ा फंड भारत केंद्रित स्टार्टअप से जुटाया है। वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2022 में देश में वेंचर कैपिटल निवेश (वीसी) में बढ़ोतरी देखी गई, क्योंकि वृहद आर्थिक अनिश्चितता और मंदी की आशंकाओं ने निवेश की गति को प्रभावित किया।
देश में 2021 में स्टार्टअप के सौदों का मूल्य 38.5 अरब डॉलर था जो 2022 में घटकर 25.7 अरब डॉलर रह गया। सौंदों में ज्यादा गिरावट दूसरी छमाही यानी अक्टूबर से मार्च के दौरान देखी गई।सरकार अगले वित्त वर्ष में बाजार से 15.43 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखी है। यह कुल उधारी का करीब 55 से 58% होगा। चालू वित्त वर्ष में 14.21 लाख करोड़ जुटाने का लक्ष्य था। दो सरकारी अधिकारियों ने बताया कि इस पर अंतिम निर्णय 27 मार्च को भारतीय रिजर्व बैंक के साथ बैठक में लिया जाएगा। सरकार हालांकि इस दौरान कोई 20 या 50 साल वाले बॉन्ड्स को लॉन्च नहीं करेगी क्योंकि पहले के बॉन्ड्स से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं मिली है। इस साल सरकार 160 अरब रुपये हरित बॉन्ड्स से जुटाई है।
सरकार इस महीने के अंत तक नई पंचवर्षीय विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) जारी कर सकती है। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि वस्तुओं व सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने पर यह नीति होगी। मंत्रालय 2030 तक वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को दो लाख डॉलर ले जाने का लक्ष्य बना रहा है। बर्थवाल ने कहा, हमने अपना एफटीपी तैयार किया है और हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह इस महीने के अंत तक जारी हो जाएगी। एफ़टीपी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और रोजगार सृजित करने के लिए दिशानिर्देश प्रदान करेगी।एलआईसी ने एनएमडीसी में दो फीसदी हिस्सा 700 करोड़ रुपये में बेच दिया है। शेयर बाजारों से मिली जानकारी के मुताबिक, 14 मार्च तक एलआईसी का हिस्सा 11.69% रहा है जो पहले 13.69 फीसदी था। इसे 119.37 रुपये प्रति शेयर पर बेचा गया है।