ग्वालियर । आईटीएम यूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित अमर शहीद स्मरण दिवस पर आठवें राममनाेेहर लाेहिया स्मृति व्याख्यान में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए जम्मू और कश्मीर के उप-राज्यपाल मनाेज सिन्हा ने छात्रों को संबोधित करते हुए बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि गांधी जी के पास किसी यूनिवर्सिटी की ला की डिग्री नहीं थी। हालाकि उन्होंने यह भी कहा कि इस बात को लोग प्रतिकार भी कर सकते हैं, परंतु यह सत्य है। उन्होंने गांधी जी की प्रशंसा करते हुए यह भी कहा कि केवल एक चीज उनके पास थी, वह था सत्य, जिसके बल पर गांधी जी फादर आफ द नेशन (राष्ट्रपिता) बने।मनोज सिन्हा ने कहा कि गांधी ने बड़े-बड़े काम किए, सब कुछ जो हासिल किया, सभी के केंद्र में एक ही बात थी, कि वे सत्य से बंधे रेह, सत्य के अधीन रहकर आचरण किया। जितनी चुनौतियां आईं, सत्य कभी नहीं त्यागा। उन्होंने कहा कि एक और चीज मैं आपसे कहना चाहता हूं, कम लोगों को मालूम है कि गांधी जी के पास कोई डिग्री नहीं थी, हालाकि मुझे नहीं लगता किसी के पास ये साहस है, कि कोई ये कहेगा कि गांधी शिक्षित नही थे।उन्होंने कहा कि भ्रांति है कि गांधी जी के पास कानून की डिग्री थी। उनके पास एक भी विश्वविद्यालय की डिग्री नहीं थी? उनकी एकमात्र योग्यता हाई स्कूल डिप्लोमा थी। उन्होंने कानून का अभ्यास करने की योग्यता प्राप्त की। उसके पास कोई डिग्री नहीं थी लेकिन वह कितने शिक्षित थे?
उन्होंने कहा कि शिक्षा का ध्येय क्या होता है ये समझने की आवश्यकता है। अगर इसे समझ लिया तो आपका जीवन धन्य हो जायेगा। बड़ी सरल परिभाषा है। जिसने अपनी अंतर ध्वनि को टटोल लिया वह निश्चित रूप से महान बन जायेगा। हर व्यक्ति के अंदर एक विशेष ध्वनि है। सिर्फ उस अंतर ध्वनि को पहचान कर उस पर चलना होगा, मेहनत करनी होगी। कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि पूर्व सांसद केसी त्यागी शामिल हुए। इस मौके पर आईटीएम यूनिवर्सिटी के फाउंडर चांसलर रमाशंकर सिंह , चांसलर रूचि सिंह चौहान, प्राे-चांसलर डा. दौलत सिंह चाैहान, वाइस चांसलर प्रो. एसएस भाकर, प्रो. राजकुुमार जैन सहित विभिन्न विभागों के शिक्षक और छात्र मौजूद रहे। इस कार्यक्रम में रमाशंकर सिंह द्वारा संपादित डा. राममनाेहर लाेहिया-रचनाकाराें की नजर में (खण्ड-2) पुस्तक का लोकार्पण हुआ। अंत में आईटीएम यूनिवर्सिटी ग्वालियर की चांसलर डॉ. रूचि सिंह चौहान ने सभी अतिथियों का आभार प्रदर्शन किया। यूनिवर्सिटी ग्वालियर के प्रो. चांसलर डा. दौलत सिंह चौहान ने कहा कि विश्व के अनेक बड़े-बड़े विचारक आज भी भारतवर्ष को डा. लोहिया के साथ ऐसे जोड़कर देखते हैं जैसे किसी जमाने में लोग ग्रीक के साथ सुकरात को देखते थे। अपना पूरा जीवन लोक कल्याण वंचित वर्ग के हितों की रक्षा के लिये समर्पित करने वाले डा. लोहिया न्याय के लिये अनवरत संघर्ष करते रहे। शब्दों के रूप में भारतीय समाज के लिये ऐसे तराशे हुए हीरे छाेड़कर गये हैं, जो उनके जाने के 56 साल बाद भी उनका दर्शन उसी रूप में इन हीरों से प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं।
लोहिया अकेले ऐसे थे, जो पांच साम्राज्यों से लड़े : रमाशंकर सिंह
इस कार्यक्रम में आईटीएम यूनिवर्सिटी के फाउंडर चांसलर रमाशंकर सिंह ने कहा कि भारत में आजादी, गरीबी, बीमारी, शिक्षा के ये जो मुख्य समस्याएं हैं, उस पर राजनीति कैसे चले, इसके लिये लाेहिया की तरह सचेतन बने। राममनोहर लोहिया नास्तिक थे, धर्म, कर्मकांड में विश्वास नहीं करते थे। लोहिया विश्व के एक अकेले ऐसे नागरिक थे जाे पांच साम्राज्यों अंग्रेज, पुर्तगाल, नेपाल, भारत और अमेरिका के साथ लड़े।