ब्रेकिंग
छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को दीपावली गिफ्ट, 17-18 अक्टूबर को वेतन, दैनिक वेतनभोगियों को भी भुगतान जैसलमेर हादसा: 'मानक ताक पर रखकर बनी थी बस', जांच कमेटी ने माना- इमरजेंसी गेट के सामने लगाई गई थी सी... 'कांतारा चैप्टर 1' ने किया गर्दा! 15 दिन में वर्ल्डवाइड ₹679 करोड़ पार, विक्की कौशल की 'छावा' से महज... वेनेजुएला पर ऑपरेशन से तनाव: दक्षिणी कमान के प्रमुख एडमिरल होल्सी ने कार्यकाल से पहले दिया इस्तीफा, ... शेयर बाजार में धन वर्षा! सिर्फ 3 दिनों में निवेशकों की संपत्ति ₹9 लाख करोड़ बढ़ी, सेंसेक्स और निफ्टी... त्योहारी सीजन में सर्वर हुआ क्रैश: IRCTC डाउन होने से टिकट बुकिंग रुकी, यात्री बोले- घर कैसे जाएंगे? UP पुलिस को मिलेगी क्रिकेटरों जैसी फिटनेस! अब जवानों को पास करना होगा यो-यो टेस्ट, जानिए 20 मीटर की ... दिन में सोना अच्छा या बुरा? आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान क्या कहता है, किन लोगों को नहीं लेनी चाहिए 'द... प्रदूषण का 'खतरा' घर के अंदर भी! बढ़ते AQI से बचने के लिए एक्सपर्ट के 5 आसान उपाय, जानें कैसे रखें ह... शरीयत में बहुविवाह का नियम: क्या एक मुस्लिम पुरुष 4 पत्नियों के होते हुए 5वीं शादी कर सकता है? जानें...
देश

पति की जबरदस्ती भी है बलात्कार मैरिटल रेप पर हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी

नई दिल्ली । कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में अपनी पत्नी से बलात्कार के आरोपी पति के खिलाफ आरोप तय करने को बरकरार रखा है। अदालत ने कहा, बलात्कार बलात्कार होता है, चाहे वह किसी पुरुष द्वारा किसी महिला पर किया गया हो या किसी पति द्वारा अपनी पत्नी पर। बुधवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट की बेंच ने आरोपी पति पर पत्नी से बलात्कार के आरोप को बरकरार रखा। मामले में टिप्पणी करते हुए बेंच ने कहा, “एक पुरुष जो किसी महिला का यौन उत्पीड़न या बलात्कार करता है, आईपीसी की धारा 376 के तहत दंडनीय है। विद्वान वरिष्ठ अधिवक्ता का तर्क है कि यदि पुरुष पति है, तो वह वही कार्य करता है जो दूसरे पुरुष के समान कार्य करता है, उसे छूट है। मेरे विचार से, इस तरह के तर्क को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। एक आदमी एक आदमी है; एक कृत्य एक कृत्य है और रेप रेप है, चाहे वह एक पुरुष द्वारा महिला पर किया गया हो, या पति द्वारा पत्नी पर।” हाई कोर्ट ने आगे कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता का यह निवेदन है कि पति अपने किसी भी कार्य के लिए विवाह संस्था द्वारा संरक्षित है, और मेरे विचार में, विवाह का मसतब यह कतई नहीं कि किसी शख्स को विशेष पुरुष विशेषाधिकार या क्रूर जानवर जैसा व्यवहार करने का लाइसेंस प्रदान मिल जाए। यदि यह एक पुरुष के लिए दंडनीय है, तो यह एक पति के लिए भी उतना ही दंडनीय होना चाहिए। हालांकि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि यह विधायिका के लिए है कि वह इस मुद्दे पर विचार करे और छूट के बारे में भी विचार करे। यह न्यायालय नहीं बता रहा है कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए या इस अपवाद को विधायिका द्वारा हटा दिया जाना चाहिए। इस मुद्दे पर विधायिका को विचार करना चाहिए। यदि बलात्कार के आरोप को कथित अपराधों के खंड से हटा दिया जाता है, तो यह शिकायतकर्ता पत्नी के साथ घोर अन्याय होगा।

Related Articles

Back to top button