दिल्ली| दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की बुधवार को आयोजित बोर्ड बैठक में अध्यक्ष व उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 7643 करोड़ रुपये के वार्षिक बजट 2023-24 को पास किया। साथ ही, 8541 करोड़ रुपये की प्राप्तियों का अनुमान लगाया। इस दौरान नरेला, द्वारका और रोहिणी में बुनियादी ढांचे के प्रोत्साहन को मंजूरी देते हुए कई अहम फैसले लिए गए।
बजट में तीसरी रिंग रोड नरेला-रोहिणी-द्वारका से गुजरने वाली यूईआर-2, यमुना के बाढ़ के मैदानों और हरित क्षेत्रों के कायाकल्प को खास तवज्जो दी गई। प्राधिकरण ने रोहिणी चरण 4 व 5, टिकरी कलां और नरेला में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में सुधार के लिए के लिए पूर्व-निर्धारित दरों पर भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू) को भी मंजूरी दी।
डीडीए ने दिल्ली मेट्रो के फेज-4 के लिए 350 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इससे मेट्रो नेटवर्क के विस्तार में और तेजी आएगी। एम्स के पुनर्विकास के लिए 219 वर्ग मीटर भूमि को हस्तांतरित किया जाएगा। बैठक में डीडीए के उपाध्यक्ष सुभाषीश पांडा, विधायक विजेंद्र गुप्ता, विधायक सोमनाथ भारती, विधायक ओपी शर्मा और विधायक दिलीप पाण्डेय की मौजूदगी में फैसले लिए गए।
सात जैव वैविध्य पार्कों के लिए 33 करोड़ रुपये
सेंटर फॉर एनवायरनमेंट मैनेजमेंट ऑफ डिग्रेडेड इको-सिस्टम (सीईएमडीई) और दिल्ली विश्वविद्यालय के सहयोग से करीब 3000 एकड़ के क्षेत्र में सात जैव वैविध्य पार्कों का एक नेटवर्क तैयार किया गया है। इनके विकास और रखरखाव के लिए बजट में 33 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
फ्लैटों के निर्माण में आएगी तेजी
बजट में नागरिक अवसंचना, तीसरे रिंग रोड के विकास, आवासीय परियोजनाएं के तहत नरेला में 9000 एचआईजी और एमआईजी फ्लैट, द्वारका गोल्फ कोर्स के सामने 1114 एचआईजी फ्लैट सहित लोकनायक पुरम में करीब 650 फ्लैटों के निर्माण में तेजी, खेल गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रावधान किए गए हैं। मेट्रो फेज-4, कड़कड़डूमा में ट्रांजिट ओरिएंटिड डेवलपमेंट (टीओडी) के तहत आवासीय परिसरों के निर्माण को भी तवज्जो दी गई है।
बुनियादी सुविधाएं बढ़ने से समय बचेगा
मेट्रो, आवासीय परिसरों, कार्यस्थलों और मनोरंजन स्थलों को एक ही कॉरिडोर में न्यूनतम दूरी में एक साथ लाने के लिए तेजी से कार्य चल रहा है। नरेला और आसपास के क्षेत्रों में प्रस्तावित मेट्रो से रिहायशी फ्लैटों की मांग भी बढ़ने की उम्मीद है। बुनियादी सुविधाएं बेहतर होने से दिल्ली वासियों को आवागमन में कम वक्त लगेगा और बुनियादी ढांचा को सुदृढ़ करने में यूईआर-2 की भी अहम भूमिका होगी। प्राधिकरण ने जंगपुरा में आरआरटीएस प्रतिष्ठानों के लिए भूमि उपयोग के परिवर्तन को भी मंजूरी दी है। बवाना में सीआरपीएफ के लिए ट्रांजिट कैंप को विस्थापित करने की भी मंजूरी दी गई।
डीडीए ने 928.92 करोड़ रुपये से यमुना के बाढ़ के मैदानों के पुनरुद्धार और कायाकल्प का काम शुररू किया है। यह काम 10 अलग-अलग उप परियोजना के रूप में चरणबद्ध रूप से किया जा रहा है। इसके लिए बजट में 405 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। यह योजना पूरी होने से यमुना में प्रदूषण कम होने में मदद मिलेगी।
सब सिटी से तेज होगी विकास की रफ्तार
नरेला, द्वारका और रोहिणी सब सिटी के विकास के लिए बुनियादी सुविधाओं को और सुदृढ़ बनाने की कवायद तेज हो गई है। मेट्रो, सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में सुधार सहित दिल्ली की तीसरे रिंग रोड की तरफ डीडीए के बढ़ते कदम से विकास की रफ्तार बढ़ेगी।
नरेला-रोहिणी-द्वारका से गुजरने वाली यूईआर-2 (तीसरा रिंग रोड) से सोनीपत से गुरुग्राम जाने के लिए वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने की जरूरत नहीं होगी। दूसरे शहरों से एयरपोर्ट तक पहुंचने में भी काफी कम वक्त लगेगा। बुनियादी ढांचे में तेजी से होने वाले बदलाव से फ्लैटों की मांग भी और बढ़ेगी। फिलहाल, इन क्षेत्रों में माकूल बुनियादी सुविधाएं नहीं होने की वजह से फ्लैटों की मांग कम है। मेट्रो फेज-4 के प्रस्तावित कॉरिडोर के निर्माण से भी सब सिटी का विस्तार और तेजी से होगा। हालांकि, तीन कॉरिडोर पर मंजूरी मिलने का इंतजार है। तीसरे रिंग रोड (यूईआर-2) के बनने से दिल्ली में वाहनों का बोझ काफी कम हो जाएगा।
इससे मुकरबा चौक से सिंघु बॉर्डर तक ट्रैफिक जाम की समस्या भी काफी कम होने की उम्मीद है। बजट में यूईआर-2 और रोहिणी, फेज-4 व 5, टीकरी कलां और नरेला के लिए सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में सुधार के लिए भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू) को भी मंजूरी दी गई है। बसों के लिए सुविधाएं बढ़ने से यात्रियों को आवागमन में दिक्कत नहीं होगी। तीसरे रिंग रोड के रूप में अर्बन एक्सटेंशन रोड-2 (यूईआर-II) का निर्माण एनएचएआई के माध्यम से आगे बढ़ रहा है।
इस परियोजना लागत में से डीडीए की तरफ से 3600 करोड़ रुपये की राशि (दिल्ली क्षेत्र के लिए) प्रदान की गई है। यह रोड रोहिणी और नरेला के लिए महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी प्रदान करने के अलावा दिल्ली के लैंड पूलिंग क्षेत्रों के लिए भी सहायक होगी। बुनियादी सुविधाएं फिलहाल मजबूत नहीं होने से फ्लैटों की मांग कम है।