आखिर क्यों Bsc थर्ड ईयर की छात्रा ने ‘SORRY..मम्मी-पापा, यह मेरी गलती है’… लिखकर लगा ली फांसी, जानिए क्या है इसके पीछे का राज

इंदौर। SORRY… खुश रहना आप सब। मम्मी-पापा यह मेरी गलती है। किसी की कोई गलती नहीं है। गलती सिर्फ मेरी है, आपने मुझ पर इतना विश्वास कर मुझे भेजा और मैंने… मयंक को अच्छे से पढ़ाना। घर में खुश रहना और मेरी जगह वह आपका नाम रोशन करेगा….. ये लाइन उस छात्रा की है, जो अब इस दुनियां में नहीं है। गुरुवार को इंदौर में Bsc थर्ड ईयर की छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। नकल प्रकरण बनने के कारण छात्रा डिप्रेशन में आ गई थी। डिप्रेशन में ही उसने फांसी लगा ली। मृतिका इंदौर के भंवरकुआं थाना क्षेत्र में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही थी।
छात्रा मूलत बरेली ग्राम पिपरिया मोती तबेला की रहने वाली थी। उसके पिता होशंगाबाद जिले के बनखेड़ी में पुलिस आरक्षक हैं। बताया जा रहा है कि तीन दिन पहले परीक्षा के दौरान रेणुका का नकल प्रकरण बना था और तब से वो डिप्रेशन में थी।
इंदौर में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करने वाली एक छात्रा ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। छात्रा का नाम रेणुका धाकड़ है जो माता जीजाबाई कॉलेज में Bsc थर्ड ईयर की छात्रा थी। थाना प्रभारी शशिकांत चौरसिया ने बताया कि रेणुका का तीन दिन पहले केमिस्ट्री का पेपर था और इस दौरान उसका नकल प्रकरण भी बना था। तब रेणुका ने नकल न करने की बात कही थी लेकिन कॉलेज प्रबंधन व इनविजिलेटर ने उसकी एक न सुनते हुए उसका नकल प्रकरण बना दिया था और कॉलेज से निष्कासित करने की भी बात कही थी। नकल प्रकरण बनने की बात रेणुका ने अपने पिता नारायण धाकड़ को फोन कर बताई थी जिन्होंने कॉलेज प्रबंधन से बात करने का कहा था। 21 तारीख को रेणुका का पेपर था लेकिन इससे पहले ही उसने 20 अप्रैल को रात में हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी।
बचपन से ही हाथ-पैर पर पेन से लिखने की आदत थी
परिवार वालों ने कहा कि रेणुका पढ़ाई में अच्छी थी। वह पढ़ाई करते वक्त कभी हथेली पर तो कभी अपने हाथ-पैर पर पेन से लिख लेती थी। बचपन में भी इस आदत के लिए मां-बाप ने कई बार उसे डांटा था, लेकिन रेणुका की यह आदत नहीं छूटी। सिर्फ हाथ पर कुछ शब्द लिखे देखकर कॉलेज प्रबंधन ने रेणुका का नकल प्रकरण बना दिया।