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प्याज को लेकर बदला सरकार का मूड, रात में 40% शुल्क लगाया, सुबह एक्सपोर्ट से बैन हटाया, क्या है वजह?

लोकसभा चुनावों के बीच सरकार ने प्याज को लेकर एक बार अपना रुख बदल दिया है. दिसंबर से जारी प्याज के एक्सपोर्ट पर लगा बैन शनिवार को सरकार ने अचानक से हटा दिया. जबकि इससे ठीक एक रात पहले शुक्रवार को सरकार ने प्याज पर 40 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने का आदेश जारी किया था. क्या है ये पूरा मामला?

पहले बढ़ाई एक्सपोर्ट ड्यूटी

शुक्रवार देर रात वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की जिसमें प्याज पर एक्सपोर्ट ड्यूटी को 40 प्रतिशत कर दिया गया, लेकिन प्याज एक्सपोर्ट पर लंबे समय से लगे बैन को लेकर कोई स्पष्ट रुपरेखा नहीं पेश की. इस बैन में संयुक्त अरब अमीरात और बांग्लादेश जैसे मित्र देशों को एक निश्चित मात्रा में प्याज के एक्सपोर्ट को छूट दी गई थी. वित्त मंत्रालय की अधिसूचना में पीली मटर और देसी चना के इंपोर्ट को ड्यूटी फ्री कैटेगरी में डाल दिया गया. ये आदेश 4 मई से ही लागू होने थे, लेकिन 4 मई को ही सरकार ने एक और बड़ा फैसला कर दिया.

इससे पहले भी सरकार ने पिछले साल अगस्त में प्याज पर 40 प्रतिशत की एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई थी जो 31 दिसंबर 2023 तक मान्य थी. इसी बीच 8 दिसंबर 2023, सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट को 31 मार्च 2024 तक के लिए बैन कर दिया. बाद में इसे अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दिया.

अचानक हटाया एक्सपोर्ट से बैन

सरकार का शुक्रवार का आदेश प्रभाव में आता उससे पहले ही सरकार ने शनिवार को प्याज के एक्सपोर्ट से बैन को हटा दिया. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत काम करने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने शनिवार यानी 4 मई की दोपहर इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी. हालांकि बैन को हटाने के साथ ही इसके लिए न्यूनतम निर्यात कीमत (मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस) 550 डॉलर प्रति टन (करीब 45,850 रुपए प्रति टन) तय कर दिया. ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिया गया है.

क्यों लगाया था एक्सपोर्ट पर बैन?

अलनीनो और बेमौसम बारिश के असर को देखते हुए सरकार ने प्याज के निर्यात पर बैन लगाया था. सरकार ने इसके पीछे की वजह देश में प्याज की पर्याप्त उपलब्धता और कीमतों को नियंत्रण में बनाए रखना बताई थी. इसके बाद मार्च में कृषि मंत्रालय ने प्याज उत्पादन से जुड़े आंकड़े पेश किए. इसके हिसाब से 2023-24 में पहली फसल के दौरान प्याज का उत्पादन 254.73 लाख टन रहने का अनुमान था. ये पिछले साल 302.08 लाख टन उत्पादन के मुकाबले कम था.

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