बड़वानी। बुधवार सुबह के करीब दस बजे हैं और अभी हम यहां सतपुड़ा की वादियों से घिरे नर्मदा के बैकवाटर के किनारे मौजूद बड़वानी जिले के वनग्राम घोंघसा में हैं। यहां पर दूर तक बैकवाटर की अथाह जलराशि दिखाई दे रही है। नर्मदा की लहरों पर तैरती नदी एंबुलेंस में एक चिकित्सक सहित पांच लोगों का स्टाफ मौजूद है जो एंबुलेंस के अंदर डूबक्षेत्र के ग्रामीणों का उपचार कर रहे हैं।
नदी पर तैरते इस अस्पताल में ग्रामीण बारी-बारी से अपना इलाज करा रहे हैं। ग्रामीणों से चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि आगे वर्षाकाल में यहां बैकवाटर में उठते तूफान से गुजरना मुश्किल है इसलिए चार से पांच माह का राशन अभी से समाजसेवियों ने नौका से उपलब्ध करा दिया है। नर्मदा पर तैरती एंबुलेंस नौका से डूब गांवों तक करीब छह माह तक का राशन भी निश्शुल्क पहुंचा दिया गया है।
हम बात कर रहे हैं नर्मदा समग्र द्वारा बैकवाटर क्षेत्र में चलाई जा रही नदी एंबुलेंस सेवा की। दरअसल गुजरात के सरदार सरोवर बांध के बैकवाटर की जद में मध्यप्रदेश के बड़वानी, धार व आलिराजपुर के अलावा गुजरात व महाराष्ट्र के जिलों के गांव आए हैं।
सतपुड़ा की पहाड़ियों से घिरे डूब गांवों के दुर्गम रास्तों पर जहां जाना मुश्किल है वहां के घुप्प अंधेरे में सहयोग के जुगनू जीवन को संजो रहे हैं। नर्मदा की लहरों पर सवार होकर सहयोग की तैरती नदी एंबुलेंस और राशन दुकान तीन राज्यों के पांच जिलों के 40 गांवों तक पहुंचकर डूब प्रभावितों की निश्शुल्क सेवा कर रही है।
डूब प्रभावितों को राशन के साथ ही निश्शुल्क चिकित्सा सेवा भी उपलब्ध कराई जा रही है। बड़वानी, धार, आलीराजपुर सहित अन्य जिलों के समाजसेवियों की मदद से यह सब हो रहा है।
नर्मदा समग्र द्वारा नर्मदा के तटीय इलाकों के डूब प्रभावित क्षेत्रों में निश्शुल्क सेवाकार्य चलाए जा रहे हैं। नर्मदा समग्र के राज्य समन्वयक मनोज जोशी एवं नदी एंबुलेंस के प्रभारी राजेश जादम के अनुसार नर्मदा समग्र नदी एंबुलेंस के माध्यम से सरदार सरोवर जल ग्रहण क्षेत्र के उन वनवासी गांव में निश्शुल्क स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करता है जिन गांवों का सड़क संपर्क नहीं है।
नर्मदा समग्र के संस्थापक पर्यावरणविद स्व अनिल माधव दवे द्वारा संकल्पित यह नदी एंबुलेंस मुख्य रूप से आलीराजपुर के ककराना में बैकवाटर के तट पर खड़ी रहती है।
पूरे सप्ताह में बने शेड्यूल के अनुसार यह एंबुलेंस डूब क्षेत्र के चयनित गांवों तक पहुंचती है और पूरा दिन उस तट पर खड़ी रहकर वहां के लोगों को चिकित्सा सुविधा देती है। नदी एंबुलेंस के माध्यम से इमरजेंसी में मरीज को ककराना लाकर शासन की 108 एंबुलैंस के माध्यम से जिला चिकित्सालय भी पहुंचाया जाता है।
पांच लोगों का स्टाफ
एंबुलैंस में पांच लोगों का स्टाफ रहता है। इसमें एक डाॅक्टर, एक कंपाउंडर, हेल्पर, चालक व चौकीदार रहता है। चिकित्सक ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उनका उपचार करते हैं। इस स्टाफ का खर्च व अन्य खर्च नर्मदा समग्र वहन करता है। वहीं शासन द्वारा दवाइयां उपलब्ध कराई जाती है।
वर्ष 2014 से शुरू हुई यह सेवा एक दशक से निरंतर जारी है। नदी एंबुलेंस प्रभारी राजेश जादम, समन्वयक गुमानसिंह डावर, डाॅ नरेंद्र जोशी, चालक बलवंतसिंह सोलंकी, सहायक नासला सोलंकी द्वारा निरंतर सेवा दी जा रही है।
ऐसा रहता है पूरे सप्ताह का शेड्यूल
दिन के अनुसार इन गांवों में पहुंचती है एंबुलेंस
बुधवार :-पैईतर फल्या, डमानी, कातरखेडा, छाछकुआ, दसाना, घौंघसा, तोरखैडा, धजारा, करी, कोडवानी।
गुरुवार :-भादल, झंडाना व अन्य गांव।
शुक्रवार :-ग्राम ककराना में साप्ताहिक हाट के दौरान तट पर सेवा देती है।
शनिवार :-सादरी, भुसिया, जुनाना, सेल्दा।
रविवार :-जलसिंधी, डूबखेड़ा, अंजनबारा, भिताड़ा, सुगट।
डूब क्षेत्र के गांवों में पहुंचाते हैं राशन, वर्षा से पूर्व भेज देते हैं
नर्मदा समग्र द्वारा क्षेत्र के समाजसेवियों की मदद से वर्ष में दो बार राशन पहुंचाया जाता है। 40 गांवों के करीब एक हजार परिवारों तक यह राशन पहुंचाया जाता है। वर्षाकाल शुरू होने से पूर्व मई-जून माह में गांवों में राशन पहुंचाया जाता है क्योंकि वर्षाकाल में डूब गांवों में अथाह पानी व तूफान के दौरान जाना मुश्किल रहता है। इस बार जून माह के पहले सप्ताह में एंबुलेंस व अन्य नौका से राशन पहुंचाया जा चुका है।
शिक्षा के क्षेत्र में भी कार्य
नर्मदा समग्र स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करने के साथ ही क्षेत्र में तीन संस्कार केंद्रों के माध्यम से वनवासी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करता है। समय-समय पर भोजन किट जूते, चप्पल एवं वस्त्र वितरण भी करते हैं।